बीजापुर मुठभेड़ में आधा दर्जन शव उठा ले गए नक्सली, एनकाउंटर में पुलिस ने 13 नक्सलियों को किया था ढेर
बीजापुर
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के कोरचोली और लेंड्रा के जंगल में हुए मुठभेड़ के बाद पुलिस को 13 नक्सलियों के शव मिले हैं, पर प्रत्यक्षदर्शी ग्रामीणों का कहना है कि इस मुठभेड़ के बाद मारे गए आधा दर्जन से अधिक शव नक्सली अपने साथ ले जाने में कामयाब हुए हैं। यही नहीं लगभग इतनी ही संख्या में नक्सली बुरी तरह से घायल भी हुए हैं।
ऐसे में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इस मुठभेड़ में नक्सलियों के पश्चिम बस्तर डिविजन के अंतर्गत लड़ाकू कंपनी नंबर दो को बड़ा नुकसान पहुंचा है। यह बात सामने आ रही है कि बस्तर से बड़ी संख्या में नक्सली आंध्रप्रदेश व तेलंगाना में आत्मसमर्पण करने की तैयारी में है।
घटना के दो दिन बाद भी गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है। गांव के लोग दहशत में है। जब मुठभेड़ शुरू हुई तो गोलियों की आवाज से पूरा गांव दहल गया था। पुरुष गांव छोड़कर दूसरी जगह चले गए है। 10 घंटे तक चली मुठभेड़ के बाद पुलिस को घटनास्थल से मारे गए 13 नक्सली के शव व बड़ी मात्रा में हथियर मिले थे। इनमें से 11 नक्सलियों पहचान हो चुकी है, जबकि दो नक्सलियों की पहचान होना बाकी है।
डर से दो दिन तक पेड़ पर चढ़ा रहा ग्रामीण
मुठभेड़ के बाद कोरचोली गांव खाली हो चुका है। गांव में ग्रामीण अपने महिलाएं बच्चों को साथ लेकर पहाड़ियों में चले गए। गांव के कुछ ग्रामीण दूसरे से बात करने भी घबरा रहे हैं। दो दिन चली मुठभेड़ से ग्रामीण कुछ भी बात करने में घबरा रहे है। ग्रामीणों ने बताया कि मुठभेड़ के डर से 30 वर्षीय ग्रामीण पप्पू पदम एक पेड़ चढ़ गया था। दो दिन तक वह पेड़ से उतरा नहीं, जिससे उसकी तबियत बिगड़ी गई। जंगल से घर लाते वक्त उसकी मौत हो गई।
जंगल और गांव में पड़े हैं कारतूस के खोखे
घटना की ग्राउंड रिपोर्ट पर जब मीडिया टीम पहुंची तो देखा जंगलों और खेत में कारतूस के खोखे पड़े हुए थे। सौर ऊर्जा की प्लेट में गोलियां के निशान थे। दैनिक उपयोग सामान बिखरे हुए नजर आए। तीनों ओर से घीरे नक्सली एक पेड़ के नीचे सुरंग नुमा गड्ढे में बचने का प्रयास में थे, लेकिन जवानों की गोलियों के आगे नक्सलियों को घुटने टेकने पड़े।
लेंड्रा मुठभेड़ में 11 नक्सली की पहचान
गंगालूर थाना क्षेत्र के लेंड्रा में दो अप्रैल को हुए मुठभेड़ में सुरक्षा बल ने 13 नक्सली को मार गिराया था, जिसमें से 11 नक्सली की पहचान पीएलजीएस कंपनी दो के सुखराम हेमला, हूंगा परसी, लक्खू कोरसा, डिवीसीएम सीतक्का (जितरू , डीवीसी की पत्नी), दुला कुहराम, सोनू अवलम, सुदरू हेमला, चैतु पोटाम, लच्छू कड़ती, लक्ष्मी ताती व कमली कुंजाम के रुप में हुई है।