सेहत और स्वास्थ्य

नई शोध का खुलासा: डायबिटीज मरीजों में कैंसर कोशिकाएं तेजी से फैलने का खतरा बढ़ा

लखनऊ

डायबिटीज में कैंसर कोशिकाओं को अनुकूल माहौल मिल जाता है। केजीएमयू के अध्ययन में देखा गया कि डायबिटीज और प्रोस्टेट कैंसर से एक साथ पीड़ित व्यक्तियों में इंसुलिन और आइजीएफ- 1 का स्तर सामान्य कैंसर रोगियों की तुलना में लगभग दोगुणा होता है। एचबीएसी का बढ़ा हुआ स्तर सीधे तौर पर कैंसर की गंभीरता से जुड़ा पाया गया। लिपिड प्रोफाइल (कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड) में गड़बड़ी भी कैंसर की आशंका बढ़ा देती है ।

300 मरीजों पर अध्ययन

शोध में शामिल 100 पुरुष बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया (बीपीएच) से, 100 केवल प्रोस्टेट कैंसर से और 100 डायबिटीज के साथ प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित थे। इन सभी के हार्मोनल और मेटाबोलिक प्रोफाइल से निष्कर्ष निकाला गया कि डायबिटीज, प्रोस्टेट कैंसर को अधिक आक्रामक बना देता है।

कैंसर को बढ़ावा देने वाले तत्व की अधिकता
शोधकर्ताओं ने पाया कि डायबिटीज में इंसुलिन, आइजीएफ – 1, एचबीए | सी और पीएसए का स्तर सामान्य पुरुषों से अत्यधिक ऊंचा रहता है। इंसुलिन और आइजीएफ-1 दोनों ही ऐसे हार्मोन हैं, जो कोशिका वृद्धि को उत्तेजित करते हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि सभी मधुमेह रोगियों को प्रोस्टेट कैंसर नहीं होता, परंतु जोखिम सामान्य पुरुषों की तुलना में काफी अधिक रहता है। यह तभी कम हो सकता है, जब शुगर नियंत्रित रखी जाए, वजन सामान्य हो, भोजन संतुलित हो और जीवनशैली सक्रिय हो।

प्रोस्टेट के समस्या लक्षण

    बार-बार पेशाब लगना
    रात में कई बार उठकर पेशाब जाना
    पेशाब का फ्लो धीमा होना
    पेशाब रुक-रुक कर आना
    पेशाब में जलन
    निचले पेट या पेल्विस में भारीपन कई बार प्रोस्टेट कैंसर शुरुआती अवस्था में बिल्कुल लक्षणहीन भी रहता है, इसलिए नियमित जांच सबसे महत्त्वपूर्ण है।

कब कराएं प्रोस्टेट की जांच

    सामान्य पुरुषों को 50 वर्ष के बाद
    डायबिटिक वालों को 45 की उम्र के बाद
    जिनके परिवार में इसका इतिहास है, उन्हें 40 वर्ष के बाद
    पीएसए टेस्ट और डिजिटल रेक्टल एग्जाम (डीआरई) साल में एक बार जरूर कराना चाहिए। यदि शुगर अधिक समय से अनियंत्रित हो या मोटापा अधिक हो तो यह जांच 6-12 महीने में दोहरानी चाहिए।

बचाव के आसान तरीके

    रोज 30-45 मिनट तेज चाल से चलना
    वजन (बीएमआई) के अनुसार रखना
    मीठे, तले और प्रोसेस्ड फूड से बचना
    फाइबर युक्त भोजन- सलाद, सब्जियां
    नियमित ब्लड शुगर और पीएसए जांच विशेषज्ञों का कहना है कि इन उपायों से प्रोस्टेट कैंसर का खतरा कम होता है।

सही जीनवशैली और समय पर जांच जरूरी

हर डायबिटिक पुरुष को 50 वर्ष की उम्र के बाद प्रोस्टेट की नियमित जांच करानी चाहिए भले ही कोई लक्षण न हों। डायबिटीज के चलते होने वाली सूजन कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती है और डीएनए की मरम्मत प्रणाली को कमजोर करती है। ऐसे में कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने आसानी होती है। डायबिटीज और प्रोस्टेट कैंसर का मेल कैंसर को अधिक खतरनाक बना देता है।

मोटे पुरुषों में एस्ट्रोजन बढ़ता है, टेस्टोस्टेरोन घटता है और इंसुलिन प्रतिरोध बढ़ जाता है । इस स्थिति को ही 'मेटाबोलिक सिंड्रोम' कहा जाता है। पेट की चर्बी, हाइ ब्लड प्रेशर, हाइ ट्राइग्लिसराइड, कम एचडीएल (अच्छा कोलेस्ट्राल) और हाइ ब्लड शुगर प्रोस्टेट कोशिकाओं के कैंसर में बदलने की आशंका बढ़ाते हैं। कुछ शोधों में पाया गया है कि मेटफार्मिन जैसी दवाएं कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि धीमा कर सकती है। हालांकि जीवनशैली पर नियंत्रण, वजन प्रबंधन और नियमित जांच सेहतमंद रहने के लिए जरूरी है।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button