नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ़्रंट (जेकेएलएफ) प्रमुख और कश्मीरी आतंकवादी से अलगाववादी बने यासीन मलिक के लिए मौत की सजा के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया। मलिक को इससे पहले निचली अदालत ने एक आतंकी फंडिंग मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
मलिक ने 10 मई को अदालत से कहा था कि वह अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों की खिलाफत नहीं कर रहा है, जिसमें धारा 16 (आतंकवादी अधिनियम), 17 (आतंकवादी अधिनियम के लिए धन जुटाना), 18 (आतंकवादी कृत्य करने की साजिश) और 20 (सदस्य होने के नाते) आतंकवादी गिरोह या संगठन) और आईपीसी की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) और 124-ए (राजद्रोह) शामिल हैं।
इससे पहले अदालत ने फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे, शब्बीर शाह, मसरत आलम, मोहम्मद यूसुफ शाह, आफताब अहमद शाह, अल्ताफ अहमद शाह, नईम खान, मोहम्मद अकबर खांडे, राजा महराजुद्दीन, कलवाल, बशीर अहमद भट, जहूर अहमद शाह वटाली, शब्बीर अहमद शाह, अब्दुल रशीद शेख और नवल किशोर कपूर सहित कश्मीरी अलगाववादी नेताओं के खिलाफ औपचारिक रूप से आरोप तय किए।