
अब लावारिस लाशों की पहचान को अपनाई जाएगी बायोमेट्रिक टेक्निक
गृह मंत्री आडवाणी ने दी बायोमेट्रिक तकनीक अपनाने की सलाह
- लाशों की आंख और उंगली की छापों से होगा बायोमेट्रिक टेस्ट
- पहले नहीं हो पाती थी लाशों की ठीक से पहचान
- बिना पहचान के ही देते थे लाशों को जला
- पता नहीं चलता था मरने वालों के रिश्तेदारों का
- गृह मंत्री आडवाणी ने दी बायोमेट्रिक तकनीक अपनाने की सलाह
देश भर में बहुत से लोग अपने घर – परिवार से दूर होकर रोजगार करते हैं तो कुछ घर से भाग जाते हैं। उनमें से कुछ लोग कभी हादसे का शिकार होकर मर भी जाते हैं तो पुलिस के लिए उनकी लाशों को पहचान पाना मुश्किल हो जाता है। कभी कभी हत्या के मामलों में कातिल लाश को जला देते हैं या फिर चेहरे को इतना बिगाड़ देते हैं कि लाश की पहचान नहीं हो पाती है। उसके बाद पुलिस को मज़बूरी में लाश को जलाना या दफनाना पड़ता है। और किसी को पता ही नहीं चलता कि मरने वाला कौन था। बता दें कि देश में ऐसे लाखों मामले हुए हैं, जिनमें लाशों का पता ही नहीं चला कि वे असल में कौन थे। ऐसे बहुत से परिवार होते हैं जो अपनों से दूर हुए किसी सदस्य का इंतजार उम्र भर करते हैं, लेकिन वे कभी वापस नहीं आते है। परिवार वाले कभी नही जान पाते हैं कि उनका लाड़ला भाई, बेटा और बेटी जिन्दा भी है कि नही। या कहीं पर लावारिस लाश बनकर जला दिया गया है।
लेकिन अब जाकर लावारिस लाशों की इस समस्या पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का ध्यान गया है। गृहमंत्री अमित शाह ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि लावारिस लाशों की पहचान के लिए बायोमेट्रिक तकनीक अपनाई जानी चाहिए। उन्होंने यह आदेश एनसीआरबी के साथ तीन नए कानूनों को लागू करने की बैठक में दिए। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लावारिस लाशों और लापता हुए, लेकिन ‘ढूंढ लिए गए लोगों’ की पहचान के लिए बायोमेट्रिक तकनीक के इस्तेमाल की जरूरत पर जोर दिया। अमित शाह ने आपराधिक जांच के सभी मामलों में तकनीक के इस्तेमाल पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि मामले के निपटारे तक की समय सीमा भी तय की जानी चाहिए। गृहमंत्री के आदेश के बाद उम्मीद है कि लावारिस लाशों के पहचान में अब आसानी होगी। वैसे भी अब देश के अधिकांश नागरिकों के आधार कार्ड बन चुके हैं, जिससे बायोमेट्रिक टेक्निक से लाशों की पहचान होने में मदद मिलेगी।