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अब वसुंधरा भी गवर्नर से मिलीं, रिजल्ट से पहले राजस्थान में बढ़ी हलचल

जयपुर

राजस्थान विधानसभा चुनाव के परिणाम कल घोषित होंगे. उससे पहले राज्य में राजनीतिक हलचल बढ़ गई है. एग्जिट पोल जारी होने के एक दिन बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ने अलग-अलग राज्यपाल कलराज मिश्र से मुलाकात की. राजस्थान की राजनीति के इन दोनों धुरंधरों की गवर्नर से मुलाकात के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. हालांकि, गहलोत और वसुंधरा दोनों ने इसे शिष्टाचार भेंट बताया है.

राजस्थान के लिए अधिकतर एजेंसियों के एग्जिट पोल ने राज्य में बीजेपी की सरकार बनते हुए दिखाया है. लेकिन इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया और टुडे चाणक्य ने अपने एग्जिट पोल में राजस्थान में कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर की संभावना जताई है. दोनों एजेंसियों के मुताबिक राज्य में कांग्रेस को हल्की बढ़त हासिल है. एक्सिस माय इंडिया ने अपने एग्जिट पोल में बीजेपी को 80 से 100 और कांग्रेस को 86 से 106 सीटें दी हैं. वहीं टुडे चाणक्य ने कांग्रेस को 101 (± 12 सीट) और भाजपा को 89 (± 12 सीट) सीटें दी हैं.

'पोल ऑफ पोल्स' में भाजपा को बहुमत मिलने की संभावना

अगर 'पोल ऑफ पोल्स' (सभी एजेंसियों के एग्जिट पोल का औसत) की बात करें तो राजस्थान में भाजपा की सरकार बन रही है और 110 से 116 के बीच सीटें मिलने की संभावना है. एग्जिट पोल के नतीजों में इतनी कांटे की टक्कर देखते हुए भाजपा और कांग्रेस ने निर्दलीय ​उम्मीदवारों और दूसरे छोटे दलों से संपर्क साधाना शुरू कर दिया है. भाजपा ने राजस्थान में किसी को आधिकारिक तौर पर सीएम फेस घोषित नहीं किया था. लेकिन वसुंधरा राजे की सक्रियता के मायने यही निकाले जा रहे हैं कि अगर राजस्थान में नतीजे बीजेपी के अनुकूल रहते हैं तो केंद्रीय नेतृत्व द्वारा सूबे की कमान एक बार फिर उनके ही हाथों में सौंपी जा सकती है.

चुनाव परिणाम आने से पहले सक्रिय हुए वसुंधरा और गहलोत

वहीं, अशोक गहलोत मुख्यमंत्री होने के नाते इस चुनाव में कांग्रेस के चेहरा थे. पार्टी ने राज्य में चुनाव प्रचार के दौरान होर्डिंग्स और बैनरों पर प्रमुखता के साथ गहलोत की तस्वीरें ही छापी थीं. ऐसे में अगर नतीजे कांग्रेस के पक्ष में रहते हैं तो अशोक गहलोत का कद और बढ़ जाएगा. क्योंकि दशकों बाद यह पहली बार होगा जब राज्य में कोई सरकार रिपीट होगी. ऐसे में अशोक गहलोत के 'जादूगर' वाली छवि को और बल मिलेगा. अगर पार्टी बहुमत के आंकड़े से कुछ कम पर रुक जाती है और भाजपा भी जादुई आंकड़ा नहीं छू पाती, तो ऐसे में अपनी अपनी पार्टियों के लिए अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे संकटमोचक साबित होंगे.

वसुंधरा राजे बीजेपी और गहलोत कांग्रेस के क्राइसिस मैनेजर

इसमें कोई दो राय नहीं कि अगर सरकार बनाने के लिए 5-10 विधायकों के समर्थन की जरूरत पड़े तो कांग्रेस के लिए अशोक गहलोत और भाजपा के लिए वसुंधरा राजे समीकरण साधने वाले सबसे उपयुक्त नेता होंगे. सूबे की राजनीति में दोनों का कद इस वक्त सबसे बड़ा है. ऐसे में दोनों का राज्यपाल से मिलना इस ओर इशारा करता है कि किसी विपरीत परिस्थिति में स्थिति संभालने के लिए इनकी पार्टियों ने इन्हें ही जिम्मेदारी सौंपी है. वैसे तो कांग्रेस और भाजपा दोनों में ही मुख्यमंत्री पद के कई दावेदार हैं. लेकिन क्राइसिस मैनेजमेंट के मामले में अशोक गहलोत और वसुंधरा के कद का कोई दूसरा नहीं दिखता. अब कुछ घंटे और बाकी हैं, फिर वास्तविक चुनाव परिणाम सामने होंगे और राजस्थान का राजनीतिक परिदृश्य भी.

 

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