हिमाचल प्रदेश

बजट सत्र के पहले ही दिन विपक्ष ने दिखाए अपने तेवर

टीम एक्शन इंडिया/शिमला/चमन शर्मा
हिमाचल प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र की शुरूआत हंगामापूर्ण रही। विपक्षी दल भाजपा ने प्रदेश सरकार द्वारा विधायक क्षेत्र विकास निधि जारी नहीं किए जाने के मुद्दे पर सत्र के पहले ही दिन मंगलवार को सदन से वाकआउट कर दिया। भाजपा ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए नियम 67 के तहत काम रोको प्रस्ताव का नोटिस विधानसभा सचिवालय को दिया था। विपक्ष ने सदन में शोकोद्गार खत्म होते ही काम रोको प्रस्ताव का मामला उठाया और विधानसभा अध्यक्ष से विधायक क्षेत्र विकास निधि के मुद्दे पर तुरंत चर्चा की मांग की। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सरकार पर नियम 67 के तहत उठाए गए विधायक क्षेत्र विकास निधि को मुद्दे को राजनीतिक रंग देने का आरोप लगाया। जयराम ने कहा कि प्रदेश की वित्तीय स्थिति न तो हमारे समय में अच्छी थी और न ही आज अच्छी है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में भी स्थिति अच्छी होने की उम्मीद नहीं है। इसके बावजूद जनहित के काम नहीं रुकने चाहिए और विपक्ष जनहित में विधायक क्षेत्र विकास निधि जारी करने की मांग कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि विधायक क्षेत्र विकास निधि हर विधायक का अधिकार है और सरकार इसे तुरंत बहाल करें। जयराम ठाकुर ने कहा कि सुक्खू सरकार में सब जगह बंद-बंद का काम चल रहा है। ऐसे में अब सरकार को कहीं कुछ तो खोलना चाहिए। उन्होंने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार ने कोविड काल में भी विधायक निधि बंद नहीं की और इसे बढ़ाकर दो करोड़ तक पहुंचा दिया। उन्होंने सरकार पर कर्ज को लेकर झूठ बोलने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2012 से 2017 के बीच कांग्रेस सरकार ने 27 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया और प्रदेश पर कर्ज को बढ़ाकर 48 हजार करोड़ रुपए तक पहुंचा दिया। इससे पूर्व, विधायक विपिन सिंह परमार ने काम रोको प्रस्ताव का मुद्दा उठाते हुए कहा कि सरकार ने न केवल विधायक क्षेत्र विकास निधि को बंद कर दिया है, बल्कि पिछड़ा क्षेत्र उपयोजना सहित कई अन्य योजनाओं के लिए आवंटित धन को भी सरकार ने वापस ले लिया है। उन्होंने कहा कि विधायक क्षेत्र विकास निधि का बजट में प्रावधान है। ऐसे में इस निधि का पैसा रोकना सरासर गलत है।
भाजपा के ही रणधीर शर्मा ने कहा कि विधायक क्षेत्र विकास निधि का मामला प्रदेश के विकास से जुड़ा है, क्योंकि इससे ग्रामीण क्षेत्रों में अनेकों छोटे-छोटे विकास कार्य हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष के लिए विधायक क्षेत्र विकास निधि का बजट में प्रावधान है और इसकी तीन किस्तें जारी भी हो चुकी हैं। ऐसे में सरकार स्पष्ट करे कि उसने चौथी किस्त क्यों रोकी है। इस दौरान सदन में कई बार हंगामापूर्ण स्थिति बनी और सत्तापक्ष तथा विपक्ष ने एक दूसरे के खिलाफ नारेबाजी भी की। मुख्यमंत्री सुक्खू द्वारा इस मुद्दे पर दिए गए जवाब से असंतुष्ट होकर पूरा विपक्ष नारेबाजी करते हुए सदन से वाकआउट कर बाहर चला गया।
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संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि विधायक क्षेत्र विकास निधि की किस्त जारी करने का कांग्रेस विधायकों ने भी मुख्यमंत्री से आग्रह किया है, लेकिन प्रदेश की वित्तीय स्थिति किसी से छिपी नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रदेश पर कर्ज का बोझ 75 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। यही कारण है कि सरकार ने फि लहाल इस निधि पर फि लहाल रोक लगा दी है। उन्होंने यह भी कहा कि इस निधि का पैसा जारी करना सरकार के विचाराधीन है। उन्होंने कहा कि आज सरकार पर बहुत देनदारियां है, जो पूर्व भाजपा सरकार छोडकर गई हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार ने संस्थान खोलने में सभी कायदे कानूनों की धज्जियां उड़ाई और बिना पैरामीटर और बजट प्रावधान के सैंकड़ों संस्थान खोल दिए।
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विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि इसी मुद्दे पर भाजपा के विपिन परमार, रणधीर शर्मा और बिक्रम सिंह ने सवाल भी पूछे हैं। ऐसे में विपक्ष प्रतिपूरक प्रश्नों के माध्यमों से सरकार से जवाब मांग सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसे में इस मुद्दे पर नियम 67 के तहत चर्चा करने का कोई औचित्य नहीं बनता और वह विपक्ष के प्रस्ताव को निरस्त करते हैं।

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