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शांतिपूर्ण चुनाव सुरक्षाबलों के लिए बड़ी चुनौती बन गई, कई जिलों में सक्रिय हुए नक्सली कमांडर

रायपुर

लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। इसी के साथ ही बस्तर में लगातार मुठभेड़ की खबरें सामने आ रही है। ऐसे में अब शांतिपूर्ण चुनाव के लिए सुरक्षाबलों के लिए बड़ी चुनौती बन गई है। क्योंकि बौखलाएं नक्सली कभी भी अपनी नापाक मंसूबों को अंजाम दे सकते हैं। खबर है कि बस्तर के बाद अन्य जिलों में भी सक्रिय अलग-अलग संगठन के नक्सली कमांडर की भी चहल अब सुनाई दे रही है।

धमतरी में भी सुनाई दे रही नक्सलियों की आहट
ऐसे में धमतरी जिले के नगरी-सिहावा वनांचल में शांतिपूर्ण चुनाव कराना धमतरी पुलिस के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है, क्योंकि बस्तर में नक्सलियों पर दबाव बढ़ने के बाद यहां वनांचल में नक्सलियों की चहल-कदमी बढ़ने की बात सुनाई दे रही है। खुद पुलिस भी इस बात से इनकार नहीं कर रही। ऐसे में टाइगर रिजर्व के संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल उठ रहा है।

धमतरी जिले में तीन विधानसभा सीटें हैं। सिहावा कांकेर संसदीय क्षेत्र में आता है। धमतरी और कुरूद विधानसभा क्षेत्र महासमुंद संसदीय क्षेत्र में शामिल है। उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव के लिए बिगुल बज चुका है। प्रदेश में तीन चरण में चुनाव होंगे, जिसमें दूसरे चरण में 26 अप्रैल को महासमुंद और कांकेर संसदीय क्षेत्र में मतदान होगा।

अति संवेदनशील की श्रेणी
चुनाव को अब महज 35 दिन शेष रह गया हैं। बता दें कि जिले के वनांचल में अधिकांश मतदान केन्द्र नक्सल प्रभावित होने के कारण अति संवेदनशील की श्रेणी में आता है। यहां शांतिपूर्ण चुनाव कराना पुलिस और प्रशासन के लिए किसी चुनौती से कम नहीं रहता।

 धूर नक्सल प्रभावित गांव
खासकर धूर नक्सल प्रभावित ग्राम पंचायत ठेन्ही, बेलरबहारा, मेचका के तुमडीबहार, अर्जुनी, बासीन, गाताभर्री, कसलोर, बेलरबहारा, अरसीकन्हार, सोन्ढूर, रिसगांव, मादागिरी, चमेदा, साल्हेभाट, जोरातराई, आमाबहार, रिसगांव, करही, खल्लारी, मुंहकोट, फरसगांव आदि ऐसे गांव हैं, जहां हमेशा लाल आतंक का डर बना रहता है।

 यहां नक्सली संगठन सक्रिय
वनांचल में सीतानदी दलम, नगरी एरिया कमेटी, रावस कमेटी, मैनपुर डिवीजन कमेटी आदि नक्सल संगठन सक्रिय है। यहां जंगल में नक्सली कमांडर सत्यम गावडे़, टिकेश ध्रुव अपने साथियों के साथ सक्रिय हैं, जिनके द्वारा समय-समय पर बैनर-पर्चा फेंककर पुलिस और प्रशासन के लिए सिरदर्द पैदा करते हैं।

 बौखलाए हुए हैं नक्सली
बीते विधानसभा चुनाव के दौरान भी जिले की सीमा से करीब 10 किमी दूर मैनपुर मार्ग में नक्सलियों से घात लगाकर पोलिंग पार्टी को निशाना बनाया था, जिसमें एक जवान शहीद हुए थे। लोकसभा निर्वाचन को लेकर जिला पुलिस मुस्तैद है। इधर, नक्सली भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने वारदात को अंजाम दे सकते हैं। वैसे भी बस्तर में दबाव से नक्सली बौखलाए हुए हैं।

 इन गांवों के लोग 8 किमी दूर जाते हैं वोट डालने
वनांचल में कई ऐसे मतदान केन्द्र हैं, जहां मतदान करने करीब 5 से 8 किमी दूरी तय कर मतदान करने जाते हैं। ऐसे केन्द्रों में संदबहारा, उजरावन, मादागिरी, गादुलबहारा, करका, मासूलकोई, चमेदा, नयापारा, जोगीबिरदो, गाताबहारा, आमझर, साल्हेभाट, मुंहकोट, ठोठाझरिया आदि शामिल हैं।

 इतने संवेदनशील बूथ
धमतरी जिले के कुरूद व धमतरी विधानसभा क्षेत्र में कुल 494 मतदान केन्द्र आते हैं। इनमें 240 बूथ सामान्य, 243 राजनैतिक संवेदनशील तथा 11 माओवाद प्रभावित केन्द्र है। इसी तरह कांकेर विधानसभा क्षेत्र क्रमांक-11 में सिहावा विधानसभा क्षेत्र के कुल 253 बूथ शामिल है, जिसमें से 36 बूथ सामान्य, 97 राजनैतिक संवेदनशील, 91 माओवाद प्रभावित तथा 29 बेहद संवेदनशील माना गया है।

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