अन्तर्राष्ट्रीय

रूसी हमलों से तिलमिलाया पोलैंड, कड़ा ऐक्शन ऐलानते ही रूस ने दी दोहरी जवाबी धमकी

पोलैंड 
पोलैंड ने अपने देश में चल रहे रूसी दखल और तोड़फोड़ की घटनाओं को देखते हुए रूस के आखिरी बचे कॉन्सुलेट (ग्दांस्क) को भी बंद करने का निर्णय ले लिया है। यह कदम पोलैंड में रेलवे ट्रैक उड़ाने की घटना के बाद उठाया गया है, जिसके लिए दो यूक्रेनी नागरिकों पर संदेह है जो कथित तौर पर रूसी खुफिया एजेंसियों के लिए काम कर रहे थे। पोलैंड के विदेश मंत्री रादेक सिकोर्स्की ने बताया कि रूस को कई बार चेतावनी दी गई थी कि यदि उसने “शत्रुतापूर्ण गतिविधियाँ” नहीं रोकीं तो उसके कूटनीतिक ठिकानों को और कम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि “यह हमारी पूरी प्रतिक्रिया नहीं है, लेकिन मैंने ग्दांस्क में चल रहे रूस के आखिरी कॉन्सुलेट को बंद करने का फैसला किया है।” उन्होंने इसे एक “राज्य प्रायोजित आतंकवादी कृत्य” बताया क्योंकि विस्फोट का उद्देश्य लोगों को नुकसान पहुँचाना था।

रूस की प्रतिक्रिया
रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़ाखारोवा ने कहा कि इसके जवाब में रूस भी “पोलैंड की कूटनीतिक मौजूदगी कम करेगा।” क्रेमलिन प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि पोलैंड के साथ संबंध “पूरी तरह से खराब हो चुके हैं” और इस कदम पर उन्होंने “अफसोस” जताया।
 
घटना क्या थी?
सप्ताहांत में पोलैंड के वारसॉ से यूक्रेन सीमा की ओर जाने वाली रेलवे लाइन पर विस्फोट हुआ। पटरी को गंभीर नुकसान पहुँचा। किसी के घायल होने की सूचना नहीं। यह घटना मीका के पास हुई (वारसॉ से 100 किमी दूर) एक दूसरी घटना में पुलावी इलाके में पावर लाइनों को भी नुकसान पहुँचाया गया। पोलैंड के प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क ने इसे “अभूतपूर्व सबोटाज” बताया।उन्होंने संसद में बताया कि दो संदिग्ध लंबे समय से रूसी गुप्तचर एजेंसियों से जुड़े थे। दोनों संदिग्ध पोलैंड से भागकर बेलारूस चले गए हैं। पश्चिमी अधिकारियों के अनुसार, यूक्रेन पर हमले के बाद रूस और उसके सहयोगियों ने यूरोप मेंदर्जनों सबोटाज और आगजनी जैसी घटनाएँ करवाई हैं।

माना जा रहा है कि इस सब के पीछे रूस का लक्ष्य यूक्रेन के लिए समर्थन कम करना औऱ यूरोपीय देशों में डर और विभाजन फैलाना है। पिछले वर्षों में पोलैंड ने पहले भी रूस के क्राकोव और पोजनान स्थित कॉन्सुलेट बंद किए थे। क्राकोव कॉन्सुलेट को इसलिए बंद किया गया क्योंकि 2024 में वारसॉ के शॉपिंग सेंटर में लगी आग को रूसी खुफिया एजेंसी द्वारा करवाया गया षड्यंत्र बताया गया।

 

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