अन्तर्राष्ट्रीय

पोप फ्रांसिस ने लिया फैसला, लंदन में पैदा हुए एक 15 साल के किशोर को मरणोपरांत संत की उपाधि मिलने वाली है

लंदन
लंदन में पैदा हुए एक 15 साल के किशोर को मरणोपरांत संत की उपाधि मिलने वाली है। पोप फ्रांसिस ने यह फैसला लिया है। इसके साथ ही ऐसा पहली बार होगा, जब कैथोलिक चर्च की ओर से किसी Millennial को संत की उपाधि दी जाएगी।  Millennial उन बच्चों को कहा जाता है, जिनका जन्म 1980 या 1990 के दशक में हुआ हो। 15 साल के कार्लो एक्युटिस की मौत 2006 में कैंसर से हो गई थी, लेकिन उसने इतनी ही आयु में कई ऐसी वेबसाइट्स डिवेलप की थीं, जिनसे ईसाइयत का प्रचार करने में मदद मिली थी। इसके अलावा कार्लो एक्युटिस को कुछ चमत्कारों के लिए भी श्रेय दिया जाता है।

कार्लो एक्युटिस को गॉड्स एन्फ्लुएंसर यानी ईश्वर का प्रभाव बढ़ाने वाले के तौर पर भी जाना जाता है। इसके अलावा कार्लो का एक उपनाम इंटरनेट का संत भी है। अल्पायु में ही मौत से पहले कार्लो एक्युटिस ने ईसाइयत के ऑनलाइन प्रचार के लिए काफी मेहनत की थी। कार्लो एक्युटिस के शव को इटली के असिसि शहर में रखा गया है। कार्लो के शव को नाइकी की जींस और स्वेटशर्ट पहनाकर रखा गया है। कार्लो का जन्म ब्रिटेन में हुआ था और उसकी मां इटली मूल की थी। इसके अलाव उसके पिता इटली मूल के ब्रिटिश नागरिक हैं। वह ब्रिटेन में एक मर्चेंट बैंकर के तौर पर काम करते थे।

कार्लो के जन्म के बाद परिवार मिलान चला गया था। यहां कार्लो ने तीन साल की उम्र में ही गरीबों की मदद के लिए अपनी पॉकेट मनी दान कर दी थी। इसके बाद स्कूल में वह ऐसे लोगों की मदद करते थे, जो बुलिंग का शिकार होते थे। बेघरों को खाना खिलाने और कपड़े एवं बिस्तर बांटने का भी वह काम करते थे। कैंसर से मौत से पहले कार्लो ने अपने पैरेंट्स से कहा था, 'मुझे मरने में खुशी है क्योंकि मैंने एक मिनट भी नहीं गंवाया और जिंदरी पूरे मन से जी है।  मैंने ऐसा कुछ भी नहीं किया, जिससे भगवान दुखी हों।'

किन दो चमत्कारों के लिए मिलने जा रही संत की उपाधि
संत की उपाधि के लिए कार्लो एक्युटिस के मरणोपरांत दो चमत्कारों को भी क्रेडिट दिया जा रहा है। कार्लो का शव जब शीशे के बॉक्स में रखा था, तब कोस्टा रिका की रहने वाली एक महिला की मां आई थी। उसने कार्लो के शव के सामने प्रार्थना की थी और एक नोट छोड़कर गई थी। यह 2022 की बात है और उसके बाद उसी दिन से बेटी ने अच्छे से सांस लेना शुरू किया। फिर 10 दिनों के बाद उसे डिस्चार्ज कर दिया गया। महिला की बेटी ब्रेन हैमरेज की शिकार थी, लेकिन वह ठीक हो गई और दिमाग से खून की ब्लीडिंग भी बंद हो गई। इसके अलावा गंभीर रूप से बीमार एक बच्चे को बचाने के चमत्कार का क्रेडिट भी कार्लो को दिया जाता है।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button