राष्ट्रीय

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा गोली लगने से हुई थी शुभकरण की मौत! सिर में मिले छर्रे

चंडीगढ़

किसान आंदोलन के दौरान शुभकरण सिंह की मौत को लेकर पोस्टमार्टम रिपोर्ट में अहम खुलासे हुए हैं। पांच डॉक्टरों की एक टीम ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि शुभकरण की सिर से कई छर्रे बरामद हुए हैं। इसके बाद किसानों के उन दावों को बल मिल गया है जिसमें वे लगातार आरोप लगा रहे हैं कि गोली लगने से उसकी मौत हुई थी।

आपको बता दें कि 21 फरवरी को हरियाणा-पंजाब सीमा पर खनौरी के पास उसकी मौत हुई थी। किसानों ने उसे शहीद का दर्जा दिया है। सरकार से भी लगातार शहीद का दर्जा देने की मांग की है। पंजाब सरकार ने इसकी घोषणा भी कर दी है।

किसानों ने आरोप था कि हरियाणा पुलिस ने विरोध कर रहे किसानों के खिलाफ रबर की गोलियों और आंसू गैस का इस्तेमाल किया था।

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, शुभकरण की कुछ ही मिनटों के भीतर मृत्यु हो गई थी। सरकारी राजिंदरा अस्पताल के सूत्रों के अनुसार, पुलिस ने डॉक्टरों के द्वारा तैयार पोस्टमार्टम रिपोर्ट को एक सीलबंद लिफाफे में सौंपने के लिए कहा था।

रिपोर्ट में कहा गया है कि शुभकरण की सिर में दो चोटें पाई गईं। उनमें से एक उसके लिए घातक साबित हुई। द ट्रिब्यून के मुताबिक, रिपोर्ट में लिखा है, “मस्तिष्क के दोनों गोलार्धों से कई गोल छर्रे बरामद किए गए हैं। घाव के आसपास के बाल और त्वचा और कटे हुए बालों को एक जार में सील कर दिया गया है। आईओ को जीएसआर (बंदूक की गोली के अवशेष) और बैलिस्टिक राय के लिए सौंप दिया गया है।''

आपको बता दें कि शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने सोमवार शुभकरण सिंह की हत्या के मामले में हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज, राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) और अन्य सभी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की। विधायक मनप्रीत सिंह अयाली ने विधानसभा में कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) सरकार को किसानों और उनकी मांगों का समर्थन करना चाहिये और यह सुनिश्चित करना चाहिये

अयाली ने किसानों की मांगों को बहुत वास्तविक बताया और कहा कि किसान उच्च लागत और खाद्यान्न के लिये दिये गये कम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को देखते हुए पूर्ण ऋण माफी के हकदार हैं। उन्होंने कहा कि इसी तरह किसानों को उत्पादन की लागत से अधिक 50 प्रतिशत मुनाफा सुनिश्चित करने के लिये एमएसपी तय करने का स्वामीनाथन फार्मूला भी लागू किया जाना चाहिये। उन्होंने केंद्र से यह भी आग्रह किया कि दो साल से अधिक समय पहले जब किसानों ने अपना आंदोलन उठाया था, तब उन्हें दिये गये आश्वासन के अनुसार एमएसपी प्रणाली को कानूनी रूप दिया जाये।

 

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