प्रफुल्ल पटेल ने बुधवार को अपने और अन्य राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेताओं के एकनाथ शिंदे-देवेंद्र फडणवीस सरकार में शामिल होने के फैसले का बचाव किया। एमईटी बांद्रा में बैठक के दौरान विधायकों को संबोधित करते हुए पटेल ने महा विकास अघाड़ी गठबंधन बनाने के लिए राकांपा से शिवसेना को समर्थन देने पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि “जब हम शिवसेना की विचारधारा को स्वीकार कर सकते हैं तो बीजेपी के साथ जाने में क्या आपत्ति है? हम एक स्वतंत्र इकाई के रूप में इस गठबंधन में शामिल हुए हैं।
विपक्षी एकता पर रखी बात
प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि महबूबा मुफ्ती और फारूक अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर में भाजपा के साथ चले गए और वे अब संयुक्त विपक्ष का हिस्सा हैं। हाल ही में पटना में हुई विपक्ष की बैठक का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ”मैं शरद पवार के साथ पटना में संयुक्त विपक्ष की बैठक में गया था और वहां का दृश्य देखकर मुझे हंसने का मन हुआ। वहां 17 विपक्षी दल थे, उनमें से 7 ने लोकसभा में केवल 1 सांसद है और एक पार्टी ऐसी है जिसके 0 सांसद हैं। उनका दावा है कि वे बदलाव लाएंगे। उन्होंने कहा कि हमने जो फैसला (एनडीए में शामिल होने का) लिया है वह देश और हमारी पार्टी के लिए है, व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं।
35 विधायक, पांच विधान पार्षद शामिल हुए
प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि जब महाराष्ट्र में एमवीए सरकार गिरने वाली थी, तब सभी राकांपा विधायकों एवं मंत्रियों ने शरद पवार से भाजपा के साथ जाने का अनुरोध किया था। सूत्रों ने कहा कि अजित पवार द्वारा मुंबई में बुलाई गई राकांपा की बैठक में पार्टी के 35 विधायक, पांच विधान पार्षद शामिल हुए। अजित पवार ने इस बैठक में कहा कि राकांपा ने कांग्रेस से अधिक विधायक होने के बावजूद 2004 में मुख्यमंत्री पद हासिल करने का अवसर खो दिया। 83 वर्षीय शरद पवार पर चुटकी लेते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी में नेता 75 साल की उम्र में सेवानिवृत्त हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा 2014 में नरेन्द्र मोदी के करिश्मे की वजह से ही सत्ता में आयी।