अन्तर्राष्ट्रीय

राष्ट्रपति जिनपिंग और जो बाइडेन की आज मुलाकात

नई दिल्ली

दुनिया में इस वक्त जंग का माहौल बना हुआ है. इजरायल-हमास की जंग जारी है. कोल्ड वार की आहट है और इसी बीच 14 नवंबर की तारीख एक बड़ी घटना का गवाह बनने जा रही है. खबर है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग APEC शिखर सम्मेलन के मौके पर आज आमने-सामने बैठकर मुलाकात करेंगे. ये मुलाकात दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों पर क्या और कितना असर डालेगी, इससे क्या निष्कर्ष निकलेगा, विशेषज्ञ इसका आंकलन करने पर जुटे हुए हैं. 

इंडोनेशिया मीटिंग के ठीक एक साल बाद मिलेंगे दोनों नेता
व्हाइट हाउस ने सोमवार को कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडेन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस सप्ताह एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपीईसी) शिखर सम्मेलन के मौके पर मुलाकात करेंगे और संचार को मजबूत करने और प्रतिस्पर्धा के प्रबंधन पर चर्चा करेंगे. बुधवार को सैन फ्रांसिस्को खाड़ी क्षेत्र में आमने-सामने होने वाली दोनों राष्ट्रपति की यह मुलाकात इंडोनेशिया में हुई मीटिंग के ठीक एक साल बाद हो रही है.

दोनों नेताओं की मुलाकात पर पूरी दुनिया की नजर
इन दोनों नेताओं की मीटिंग APEC शिखर सम्मेलन का केंद्र बिंदु नहीं है, लेकिन इस पर पूरी दुनिया की नजर बनी हुई है क्योंकि हाल के वर्षों में अमेरिका और चीन के संबंधों में कुछ हद तक तना-तनी रही है. इस बैठक में दोनों महाशक्तियों के बीच तनाव को कम करने के उद्देश्य से हाई लेवल की कूटनीतिक बातचीत होगी. जनवरी 2021 में बाइडन के पदभार संभालने के बाद से यह दोनों नेताओं के बीच केवल दूसरी व्यक्तिगत बैठक होगी. 

बुनियादी मसलों पर चर्चा की उम्मीद
व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने संवाददाताओं से कहा कि बाइडेन का मानना ​​है कि जटिल संबंधों को मैनेज करने के लिए आमने-सामने की कूटनीति का कोई विकल्प नहीं है. सुलिवन ने कहा, "हमें उम्मीद है कि नेता यूएस-पीआरसी द्विपक्षीय संबंधों के कुछ सबसे बुनियादी तत्वों पर चर्चा करेंगे, जिसमें संचार की खुली लाइनों को मजबूत करने और प्रतिस्पर्धा को जिम्मेदारी से मैनेज करने का निरंतर महत्व शामिल है ताकि यह संघर्ष में न बदल जाए." 

बीते साल ताइवान दौरे पर गई थीं स्पीकर नैंसी पेलोसी
बता दें कि चीन ने पिछले साल अमेरिकी सदन की तत्कालीन स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ मिलिट्री टु मिलिट्री कम्यूनिकेशन काट दिया था. ताइवान पर पर चीन अपना दावा करता है, जबकि यह लोकतांत्रिक रूप से शासित द्वीप है. इसके बाद इस तनावपूर्ण संबंध में तब और खटास आ गई जब फरवरी में अमेरिका के ऊपर से उड़ान भरने वाले एक संदिग्ध चीनी जासूसी गुब्बारे को मार गिराया गया था.

फरवरी में संदिग्ध जासूसी गुब्बारे पर अटैक से और बिगड़े थे संबंध
बाइडन के आदेश के बाद दोनों देशों के बीच संबंध खराब हो गए थे. हालांकि बाइडन प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों ने तब से बीजिंग का दौरा किया है और संचार और विश्वास के पुनर्निर्माण के लिए अपने समकक्षों से मुलाकात की है. उन्होंने कहा, "हम देखेंगे कि सैन फ्रांसिस्को में क्या होता है और राष्ट्रपति बैठक के बाद रिपोर्ट दे सकेंगे कि क्या वास्तव में हमने मिलिट्री टु मिलिट्री कम्यूनिकेशन बहाल करने में प्रगति की है.

इन मुद्दों पर भी हो सकती है बातचीत
एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी के मुताबिक, बाइडन-शी जिनपिंग की बैठक में इजरायल-हमास युद्ध से लेकर यूक्रेन पर रूस के आक्रमण, उत्तर कोरिया के रूस के साथ संबंध, ताइवान, इंडो-पैसिफिक, मानवाधिकार, फेंटेनाइल उत्पादन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता के साथ-साथ व्यापार और आर्थिक संबंधों जैसे वैश्विक मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है.

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