अन्तर्राष्ट्रीय

जंग खत्म होते ही पद छोड़ने का एलान, राष्ट्रपति जेलेंस्की का बड़ा फैसला

कीव
रूस के साथ करीब चार साल से चल रही जंग के बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने बड़ा ऐलान किया है. उन्होंने साफ कहा कि रूस के खिलाफ युद्ध खत्म होने के बाद वह राष्ट्रपति पद छोड़ने को तैयार हैं. जेलेंस्की ने कहा कि मेरा मकसद जंग खत्म करना है और उसके बाद इस पद पर नहीं रहना चाहता.

'सीजफायर हुआ तो कराएंगे चुनाव'
 जेलेंस्की ने कहा कि उनका इरादा शांतिकाल में अपने देश का नेतृत्व करने का नहीं है. जेलेंस्की ने यह भी कहा कि अगर रूस के साथ सीजफायर हो जाता है, तो वह यूक्रेन की संसद से चुनाव कराने के लिए कहेंगे. यह पूछे जाने पर कि क्या जंग खत्म समाप्त होने पर वह अपना काम खत्म मानेंगे, जेलेंस्की ने कहा कि वह पद छोड़ने के लिए तैयार हैं.

उन्होंने कहा, 'मेरा मकसद जगं खत्म करना है, न कि पद के लिए भाग-दौड़ को जारी रखना.' यूक्रेन में जंग की वजह से चुनाव अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिए गए हैं और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से लेकर तमाम आलोचकों ने इस मुद्दे को उठाया है. जेलेंस्की ने कहा कि सुरक्षा स्थिति और यूक्रेन का संविधान, दोनों ही चुनाव कराने में चुनौतियां पेश करते हैं. लेकिन उनका मानना है कि चुनाव मुमकिन हैं.

ट्रंप को बताई अपने दिल की बात

संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) से कीव लौटने से ठीक पहले जेलेंस्की ने न्यूयॉर्क में यह इंटरव्यू दिया है. जब उनसे पूछा गया कि अगर कई महीनों के सीजफायर पर सहमति बन जाती है, तो क्या वह चुनाव कराने के लिए प्रतिबद्ध होंगे, तो उन्होंने 'हां' में जवाब दिया. जेलेंस्की ने कहा कि मंगलवार को जब वह राष्ट्रपति ट्रंप से मिले थे तो उन्होंने उनसे कहा था कि अगर सीजफायर होता है तो हम इस टाइम पीरियड का इस्तेमाल कर सकते हैं और मैं संसद को यह संकेत दे सकता हूं.'

जेलेंस्की ने कहा कि वह समझते हैं कि लोग एक नए जनादेश वाले नेता की चाहत रखते हैं, जो हमेशा के लिए शांति कायम करने के लिए जरूरी फैसले ले सके. उन्होंने कहा कि सुरक्षा संबंधी चिंताओं के कारण फिलहाल चुनाव आयोजित करना मुश्किल हो जाएगा, लेकिन उनका मानना है कि ऐसा किया जा सकता है.

मई 2024 में ही खत्म हो चुका है कार्यकाल

यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की 2019 में भारी वोटों से निर्वाचित हुए थे. अगर रूस के खिलाफ जंग नहीं छिड़ती तो उनका पांच साल का कार्यकाल मई 2024 में ही खत्म हो जाता. युद्ध के शुरुआती महीनों में उनकी लोकप्रियता करीब 90% तक बढ़ गई थी. फरवरी में ट्रंप ने दावा किया था कि यह घटकर 4% रह गई है, लेकिन हाल के ज़्यादातर सर्वे में यह 60% से कहीं ज़्यादा बताई गई है.

जुलाई में जब उनके संसदीय सहयोगियों ने यूक्रेन की स्वतंत्र भ्रष्टाचार-विरोधी एजेंसियों को कमज़ोर करने का कदम उठाया, तो ज़ेलेंस्की को घरेलू विरोध का सामना करना पड़ा. हालांकि इस कदम को तुरंत पलट दिया गया, लेकिन इसने जेलेंस्की के नेतृत्व में यूक्रेन की लोकतांत्रिक प्रगति को लेकर चिंताएं जरूर पैदा कर दीं.

जंग के बीच चुनाव कराने पर पाबंदी

अगर जेलेंस्की चुनाव आयोजित करने के लिए किसी विधेयक का समर्थन करते हैं, तो संसद में उनकी पार्टी के बड़े बहुमत को देखते हुए यह आसानी से पारित हो जाएगा. असल बात यह है कि यूक्रेन के संविधान के तहत मार्शल लॉ के दौरान चुनावों पर साफ तौर पर प्रतिबंध है. अगर उस पर काबू पा भी लिया जाए, तो सुरक्षा स्थिति के कारण रसद व्यवस्था बेहद मुश्किल हो जाएगी.

यूक्रेन का लगभग 20% हिस्सा रूस के कब्ज़े में है और लाखों यूक्रेनी विस्थापित हैं. अगर मॉस्को इस प्रक्रिया में बाधा डालने की कोशिश करता है, तो पूरा देश रूसी हमलों की जद में होगा. ज़ेलेंस्की ने कहा, 'मुझे लगता है कि सीजफायर के दौरान सुरक्षा व्यवस्था चुनाव कराने की संभावना दे सकती है, ऐसा हो सकता है.'

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