हरियाणा

विरोध: शुगर मिल में किसानों का धरना तीसरे दिन भी जारी

कैथल/टीम एक्शन इंडिया
गन्ने के रेट बढ़ाने की मांग को लेकर कैथल शुगर मिल के बाहर भाकियू (चढ़ूनी) का धरना तीसरे दिन भी जारी रहा। धरने की अध्यक्षता भाकियू जिलाध्यक्ष महावीर चहल नरड व गन्ना संघर्ष समिति के प्रधान महिपाल नैन ने की। किसान लगातार धन धरने पर दिन और रात बैठकर अपनी मांगों के हकों में नारेबाजी करते रहे। रविवार को भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चरणों में धरने पर मिल में पहुंचे। भाकियू राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि वर्तमान सरकार किसान विरोधी है और सरकार की गलत नीतियों के कारण किसान की फसल व नस्ल दोनों ही खतरे में हैं। सरकार की अगर लगातार ऐसी ही गलत नीतियां जारी रही तो किसानों का खेल ही 10 साल के बाद समाप्त होने वाला है।

सरकार की गलत नीतियों के कारण ही आज हमारे बच्चे रोजगार के लिए विदेशों में डोंकी जैसी गलत परंपरा का सहारा ले रहे हैं और अपने जीवन को दांव पर लगाकर विदेशों में रोजगार के लिए जा रहे हैं। बेरोजगारी में हरियाणा नंबर वन है। सरकार अपने चेहते पूंजीपतियों का ख्याल तो रख रही है लेकिन मजदूर किसान का ख्याल इनको ना तो आया है ना ही आएगा। यह लोग पैसे के बल पर सत्ता में काबिज होते हैं और काबिज होने के बाद अपने पूंजीपति मित्रों का हित ही देखते हैं। किसानों की आय दोगुनी करने का वादा करके सत्ता में आए थे, लेकिन इन लोगों ने किसानों की आमदनी दुगनी तो कहां करनी थी किसानों को भुखमरी के कगार पर पहुंचा दिया है।

महंगाई इनके राज में 7 प्रतिशत बढ़ चुकी है, लेकिन इन लोगों ने फसल के रेट मात्र 2 प्रतिशत बढ़ाई है। पंजाब में गन्ने का रेट हालांकि हरियाणा से ज्यादा है लेकिन हमारी मांग पंजाब के बराबर रेट की नहीं है। हम तो गन्ने की लागत के आधार पर रेट मांग रहे हैं। गन्ना कमेटी के सुप्रीमो मुख्यमंत्री खुद हैं। बार-बार धरना, प्रदर्शन ज्ञापन के बाद भी सरकार हमारी बात नहीं सुन रही। हम तो जिंदा रहने के लिए लड़ रहे हैं ताकि हमारे किसानों की भी दाल रोटी चलती रहे।
इसीलिए भविष्य में भी किसानों को अपनी सरकार बनानी पड़ेगी। सरकार ने गन्ना की कीमतों में नाममात्र इजाफा किया है। जबकि गन्ने की खोई का रेट भी गन्ने के रेट से ज्यादा है।

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