US के दुश्मनों संग आए पुतिन, बाइडन की नाक के नीचे परमाणु पनडुब्बी और युद्धपोत भेज रहा रूस
मास्को
यूक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिका और रूस के बीच चल रहा तनाव और गहरा गया है। रूस ने ऐलान किया है कि वह अमेरिका के पड़ोसी देश क्यूबा में परमाणु पनडुब्बी कजान और युद्धपोत भेजने जा रहा है। बताया जा रहा है कि यह परमाणु पनडुब्बी अगले सप्ताह क्यूबा की राजधानी हवाना पहुंच जाएगी। क्यूबा सरकार ने इसका ऐलान किया है। क्यूबा ने यह भी कहा है कि इस परमाणु पनडुब्बी पर कोई भी परमाणु बम नहीं होगा। कजान पनडुब्बी के अलावा मिसाइल फ्रीगेट एडमिरल गोर्शकोव और तेल टैंकर भी क्यूबा पहुंच रहा है। क्यूबा एक वामपंथी देश है और अमेरिका के साथ दशकों से उसके तनावपूर्ण रिश्ते रहे हैं।
क्यूबा के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि यह पनडुब्बी 12 से 17 जून तक हवाना में रहेगी। क्यूबा ने कहा, 'इन सभी रूसी युद्धक जहाजों में कोई भी परमाणु बम नहीं है। ऐसे में इनका हमारे देश में रुकना इस इलाके को कोई खतरा नहीं पैदा करता है।' माना जा रहा है कि क्यूबा का इशारा अमेरिका की ओर था। इस ऐलान से एक दिन पहले ही अमेरिका ने कहा था कि वह रूसी सबमरीन, विमानों और युद्धपोतों को ट्रैक कर रहा है। बताया जा रहा है कि रूसी युद्धपोत क्यूबा के साथ सैन्य अभ्यास करेंगे। अमेरिका ने यह भी कहा है कि यह अभ्यास अमेरिका के यूक्रेन को दिए जा रहे सैन्य मदद के जवाब में रूस आयोजित कर रहा है।
क्यूबा संकट की क्यों आ गई याद?
अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि रूसी सेना की मौजूदगी उल्लेखनीय है लेकिन चिंता की बात नहीं है। इससे पहले पुतिन ने चेतावनी दी थी कि अमेरिका ने यूक्रेन को लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलें दी हैं और इसके जवाब में दुनिया के अन्य हिस्सों में वह जवाबी कदम उठा सकता है। रूस ने अमेरिका के इतने करीब इस महाविनाशक पनडुब्बी को बहुत असामान्य तरीके से तैनात किया है। वह भी तब जब यूक्रेन में युद्ध तेज हो गया है और रूस ने खारकीव को निशाना बनाना शुरू किया है।
रूस की यह सबमरीन ठीक उसी समय में क्यूबा पहुंच रही है जब बाइडन इटली में जी7 देशों की बैठक में हिस्सा ले रहे होंगे। इससे पहले क्यूबा के राष्ट्रपति मिगुएल डिआज कानेल ने पिछले महीने पुतिन से मास्को में सैन्य परेड के दौरान मुलाकात की थी। बता दें कि शीत युद्ध के दौरान क्यूबा और सोवियत संघ के बीच बहुत करीबी दोस्ती थी। सोवियत संघ ने साल 1962 में क्यूबा में परमाणु मिसाइलें तैनात कर दी थी जिससे विश्वयुद्ध का खतरा पैदा हो गया था। इसके बाद अमेरिका और सोवियत संघ में समझौता हुआ और परमाणु मिसाइलों को हटाया गया।