अन्तर्राष्ट्रीय

पाकिस्तान के परमाणु हथियारों पर पुतिन ने अमेरिका से जताई थी चिंता, बुश से बातचीत आई सामने

वाशिंगटन

पाकिस्तान के परमाणु संयंत्र को लेकर पश्चिमी देशों और रूस की चिंता नई नहीं है। अब इस पर मुहर लगाती हुई अमेरिकी नेशनल सिक्योरिटी आर्काइव की गोपनीय जानकारी साझा की गई हैं। आर्काइव की तरफ से 2001 से लेकर 2008 के बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिका के राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के बीच हुई निजी जानकारी को सार्वजनिक किया गया है। इन दस्तावेजों में पुतिन और बुश दोनों ही पाकिस्तानी परमाणु अस्थिरता को लेकर अपनी चिंता जाहिर करते नजर आते हैं।

दस्तावेजों के मुताबिक जून 2001 में स्लोवेनिया में हुई अपनी पहली व्यक्तिगत मुलाकात में पुतिन पाकिस्तान की आलोचना करते उसे एक परमाणु हथियार से संपन्न जुंटा (सैन्य शासन) बताया था।

जारी किए गए दस्तावेजों के मुताबिक बाहर से भले ही अमेरिका 9/11 के बाद पाकिस्तान से अपनी साझेदारी बढ़ा रहा था, लेकिन वह पाकिस्तान की परमाणु शक्ति से चिंतित भी था। इसी बातचीत में पुतिन ने खास तौर पर पश्चिमी देशों की यह कहते हुए आलोचना की थी कि वह पाकिस्तान के ऊपर लोकतंत्र का दबाव बनाने में नाकामयाब रहे।

पुतिन और बुश के बीच यह बातचीत जिस समय में हो रही थी, उस समय दुनिया को इस बात की जानकारी नहीं थी कि क्या पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम के जनक कहे जाने वाले ए.क्यू.खान इसकी डिजाइन को किसी को बेच रहे हैं। हालांकि दोनों ही परमाणु ताकत के प्रसार के खिलाफ दिखाई देते हैं।
बुश और पुतिन की बातचीत

इन दस्तावेजों में सबसे अहम रूप से दोनों ही देश ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर चिंता जताते हैं। पुतिन कहते हैं कि अभी तक यह साफ नहीं है कि ईरान के पास प्रयोगशालाओं में क्या है और वह कहां है लेकिन उनका पाकिस्तान के साथ सहयोग मौजूद है।

इस पर बुश कहते हैं, 'मैंने इस बारे में मुशर्रफ से बात की है। मैंने उनसे कहा कि हमें ईरान और उत्तर कोरिया को ट्रांसफर को लेकर चिंता है। उन्होंने ए. क्यू. खान और उसके कुछ साथियों को जेल में डाला, फिर हाउस अरेस्ट में रखा। हम जानना चाहते हैं कि उन्हें क्या बताया गया है। मैं मुशर्रफ को लगातार याद दिलाता रहता हूं। या तो उन्हें कुछ पता नहीं है या फिर वे पूरी जानकारी नहीं दे रहे हैं।"

इसका जवाब देते हुए पुतिन कहते हैं, 'मेरी समझ के मुताबिक सेंट्रीफ्यूज में पाकिस्तानी मूल का यूरेनियम मिला है।'

इस पर बुश ने कहा,' हां, वही चीज जिसके बारे में ईरान ने आईएईए को नहीं बताया था। यह नियमों का उल्लंघन है।

पुतिन-वह पाकिस्तानी मूल का था, यह मुझे परेशान करता है।

बुश-हमें भी यह बात परेशान करती है।

पुतिन- हमारे बारे में भी सोचिए

बुश-हमें परमाणु हथियारों लिए ढेर सारे धार्मिक उन्मादी नहीं चाहिए, ईरान में तो वही सरकार चला रहे हैं।

गौरतलब है कि पाकिस्तान को लेकर भारत यह बात शुरुआत से ही कहता आ रहा है। लेकिन वैश्विक राजनीति की वजह से अमेरिका पाकिस्तान का समर्थन करते नजर आता है। अफगानिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के दौरान अमेरिका ने पाकिस्तान के हजारों गुनाह माफ किए, क्योंकि उस वक्त उसे पाकिस्तान की जरूरत थी। बाइडन प्रशासन के दौर में जैसे ही अमेरिकी सैनिक पाकिस्तान से बाहर निकले, वाशिंगटन में इस्लामाबाद की पहुंच कमजोर हो गई। शुरुआत में खबरें यह तक आईं कि बाइडन ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री का फोन उठाना बंद कर दिया है। हालांकि, राजनीति ने फिर करवट ली और पाकिस्तान आज के समय में एक बार फिर से अमेरिका की गोद में जाकर बैठ गया है।

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