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रामदास बने झारखंड के मंत्री, हेमंत ने दिया चंपाई की भरपाई का काम

 रांची
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कोल्हान में चंपाई सोरेन की भरपाई के लिए बगैर समय गंवाए एक तीर से कई निशाने साधे हैं। कोल्हान टाइगर के नाम से मशहूर और झारखंड आंदोलन की उपज चंपाई सोरेन के झामुमो छोड़ने से उपजी रिक्ति की भरपाई के लिए रामदास सोरेन को मंत्री बना दिया है। रामदास ने शुक्रवार को पद और गोपनीयता की शपथ ली।

वैसे रामदास सोरेन दूसरी बार (2009 और 2019 से अब तक) विधायक हैं, पर उनमें और चंपाई में कई समानताएं हैं। रामदास भी चंपाई की तरह संताली हैं। वे कोल्हान में आदिवासी बहुल क्षेत्र घाटशिला से आते हैं और अलग झारखंड के आंदोलनकारी भी रहे हैं। लंबे समय से पूर्वी सिंहभूम के झामुमो संगठन की कमान उनके हाथों में ही रही है।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि चंपाई के मुकाबले ज्यादातर मानकों में रामदास फिट बैठते हैं। चंपाई सरायकेला से निर्वाचित होते रहे हैं तो रामदास इससे सटे घाटशिला से। चंपाई संताली समुदाय के सशक्त हस्ताक्षर हैं तो रामदास की भी झामुमो में संगठनकर्ता के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका है। सियासी पंडितों का यहां तक कहना है कि चंपाई सोरेन का कोल्हान में इतना बड़ा कद हो गया था कि उनके नीचे के दूसरे नेताओं को उभरने का मौका नहीं मिल सका। लेकिन रामदास के रूप में हो रही पहल से क्षेत्र के दूसरे नेताओं के दिन अब बहुरेंगे।

रामदास सोरेन ने ली पद और गोपनीयता की शपथ।

यही वजह है कि हेमंत सोरेन ने आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर रामदास सोरेन को न सिर्फ मंत्री बनाने का निर्णय लिया, बल्कि चंपाई के बागी होने से झामुमो को नुकसान की भरपाई की जिम्मेदारी भी सौंपी। चंपाई के भगवाधारी होने से कोल्हान में झामुमो का किला अभेद्य रखने में रामदास कितने प्रभावी होंगे यह तो चुनाव परिणाम से ही साबित होगा, लेकिन झामुमो को रामदास पर पूरा भरोसा है कि चंपाई के भाजपा में जाने से सीधे तौर पर कोल्हान की आदिवासी आरक्षित नौ सीटों पर होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। बकौल झामुमो महासचिव विनोद कुमार पांडेय रामदास कुशल संगठनकर्ता हैं और पार्टी को उनके अनुभव का लाभ जरूर मिलेगा।

ऐसा रहा है सफर

● रामदास सोरेन कोल्हान प्रमंडल के घाटशिला से झामुमो के विधायक हैं।

● 1995 में जमशेदपुर पूर्वी से रघुवर दास के खिलाफ लड़ा था, लेकिन तब हार गए।

● 2005 में टिकट नहीं मिलने पर बतौर निर्दलीय ताल ठोका था।

● स्नातक तक की शिक्षा हासिल करने वाले सोरेन की पहचान झारखंड आंदोलनकारी के रूप में रही है।

● रामदास सोरेन मूल रूप से घाटशिला के तामपाड़ा निवासी हैं और वर्तमान में जमशेदपुर के घोड़ाबांधा में रहते हैं।

● वे झामुमो पूर्वी सिंहभूम के जिलाध्यक्ष भी हैं और कोल्हान में इनकी कद्दावर नेता के रूप में पहचान है।

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