हरियाणा

कच्चे कर्मचारी पक्के होने से कम पर संतुष्ट नहीं

टीम एक्शन इंडिया
चंडीगढ़। हरियाणा सरकार ने बृहस्पतिवार को विभिन्न विभागों में कार्यरत अनुबंध कर्मचारियों को रिटायरमेंट तक सेवा सुरक्षा प्रदान करने की घोषणा की है। सरकार के दावे अनुसार आऊटसोर्सिंग पालिसी पार्ट -1 व पार्ट 2 तथा हरियाणा कौशल रोजगार निगम में लगे लगभग 1.20 लाख अनुबंध कर्मचारियों को रिटायरमेंट तक सेवा सुरक्षा प्रदान की गई है। लेकिन सालों से विभिन्न विभागों, बोर्डों , निगमों, नगर निगमों, पालिकाओं व युनिवर्सिटी में कार्यरत कच्चे कर्मचारियों की मांग सेवा सुरक्षा की बजाय पालिसी बनाकर पक्का करने की रही है। सरकार की घोषणा से कच्चे कर्मचारी संतुष्ट नहीं हैं और उनमें सरकार के खिलाफ नाराजगी बढ़ी है।

आल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट एम्पलाइज फेडरेशन के प्रधान सुभाष लांबा ने फैसले का अध्ययन करने उपरांत मुख्यमंत्री की घोषणा पर कई सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि पिछले कई महीने से राज्य में ठेका कर्मियों को रेगुलर करने का शोर मचा हुआ था। लेकिन सरकार की घोषणा खौदा पहाड़ निकली चुहिया जैसी निकली है। उन्होंने कहा कि सरकार की घोषणा कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने की मांग को कमजोर करने व उन्हें रिटायरमेंट तक कच्चे व कम वेतन देने की योजना का हिस्सा है। जिसको किसी भी तरह स्वीकार नहीं किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि अखबारों में प्रकाशित खबरों के अनुसार 50 हजार से ज्यादा वेतन लेने वाले कर्मचारियों और एनएचएम व आईसीडीएस आदि जैसी केन्द्रीय परियोजनाओं में कार्यरत कर्मचारियों तथा पार्ट -1,पार्ट -2 व हरियाणा कौशल रोजगार निगम से अलग कार्यरत कर्मचारियों को अलग छोड़ दिया गया है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण सफाई कर्मचारी सहित कई हजार कर्मचारी ऐसे हैं,जो इनसे बाहर है और रेगुलराइजेशन की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर भी केन्द्र एवं राज्य कर्मचारी संगठन सभी विभागों, बोर्डों , निगमों,नगर निगमों व विश्वविद्यालयों एवं केन्द्रीय परियोजनाओं में कार्यरत सभी प्रकार के अनुबंध, कैजुअल, दैनिक वेतनभोगी, आउटसोर्स, संविदा कर्मचारियों को रेगुलर करने की मांग कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि जहां तक सीएम की घोषणा का सवाल है तो सरकार आउटसोर्स एवं एचकेआरएन कर्मचारियों को रिटायरमेंट तक सेवा सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक्ट लाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार की नीयत साफ हो तो रेगुलराइजेशन का एक्ट भी लाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की कैबिनेट ने भी अगस्त-सितम्बर, 2014 में पंजाब के समान वेतन देने व रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाकर 60 साल करने आदि अनेक घोषणाएं की थी। जो आज तक लागू नहीं हो पाई है।

इसके अलावा 2014 में पूर्व कांग्रेस सरकार ने रेगुलराइजेशन की तीन पालिसी भी बनाई थी। जिसमें 4654 कर्मचारी रेगुलर हुए थे। जिसको सरकार द्वारा मजबूत पैरवी न करने के कारण हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था। उन्होंने सवाल किया कि जब रेगुलर भर्ती होगी तब सेवा सुरक्षा प्रदान किए ठेका कर्मचारियों का क्या होगा ? क्योंकि यह ठेका कर्मचारी स्वीकृत रिक्त पदों के विरुद्ध लगाए हुए हैं। फैसले से स्पष्ट दिखाई देता है कि है कि सरकार भविष्य में रेगुलर भर्ती करने की बजाय ठेके पर ही कर्मचारी रखेगी। ताकि न पूरा वेतन देना पड़े और न ही रिटायरमेंट पर पेंशन व डीसीआरजी आदि सेवा लाभ देने पड़े। उन्होंने कहा कि रेगुलराइजेशन होने तक इन कर्मचारियों को पे स्केल का बेसिक वेतन की बजाय समान काम, समान वेतन मिलना चाहिए।

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