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RPSC के अभ्यार्थियों ने दस्तावेज सत्यापन में निजी विवि की लगाईं फर्जी डिग्रियां, चिट्ठी मिलने से मचा हड़कंप

जयपुर.

राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) व राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड (RSSB) की भर्ती परीक्षाओं में अभ्यार्थियों के दस्तावेज सत्यापन में बड़ी संख्या में निजी विश्वविद्यालय की फर्जी डिग्री के मामले सामने आने के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है। उच्च शिक्षा विभाग की ओर से जारी नए दिशा निर्देशों में कहा गया है कि निजी विश्वविद्यालय अपने अधिनियमों के प्रावधानों व संबंधित विनियमन निकायों के नियमों, परिनियमों, मापदण्डों की पूरी पालना के प्रति गंभीर नहीं हैं।

कुछ निजी विश्वविद्यालय कूटरचित तरीके से फर्जी डिग्री देने, बैंक डेट में डिग्री देने, बिना पढ़ाई के डिग्री देने, बिना अनुमति के पाठ्यक्रम संचालित करने, सिंगल सिटिंग में डिग्री प्रदान करने, वर्ष पर्यन्त प्रवेश देने, बिना एंट्री परीक्षा की वैधता का सत्यापन किए पाठ्यक्रमों में प्रवेश देने, लेटरल एण्ट्री के नाम पर डिग्री देने, शोध में यूजीसी रेगुलेशन की पालना न कर बड़ी संख्या में शोध उपाधियां प्रदान करने, अनियमित तरीके से संख्या में खेल प्रमाण पत्र प्रदान करने आदि गतिविधियों में लिप्त हैं। इस बारे में सचिव, आरपीएससी ने भी राज्य सरकार को पत्र लिखा हैं। कॉलेज शिक्षा विभाग को फर्जी डिग्री रोकने की कवायद के लिए आरपीएससी ने भी सुझाव दिए है। जिसमें कहा गया है कि निजी विश्वविद्यालयों की फीस ऑनलाइन ही ली जाए।

प्राइवेट विवि को इन नियमों की करनी होगी पालना
निजी विश्वविद्यालय यूनिटरी हैं, इसलिए कैम्पस के बाहर इनकी कोई ब्रांच नहीं हो सकती। बिना राज्य सरकार, यूजीसी व होस्ट स्टेट/कंट्री की अनुमति के अपने कैंपस के अलावा राजस्थान प्रदेश या बाहर देश/विदेशों में ऑफ कैंपस सेंटर,स्टडी सेंटर चलाने का अधिकार नहीं है। डिस्टेंस मोड पर पहले से अनुमति प्राप्त कोर्स ही चल सकते हैं। इसकी सूचना विभाग को भी भेजनी होगी। निजी विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रमों में प्रवेश केवल मेरिट के आधार पर ही दिए जा सकते हैं। व्यावसायिक और तकनीकी पाठ्यकमों में प्रवेश केवल प्रवेश परीक्षा के माध्यम से ही दिए जा सकते हैं। जिन व्यावसायिक और तकनीकी पाठ्यक्रमों यथा शिक्षण प्रशिक्षण पाठ्यक्रम, बीपीएड., एमपीएड, डीएलएड, कृषि शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा, प्रौद्योगिकी शिक्षा इत्यादि से संबंधित पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए राज्य या केंद्र की एजेंसियां प्रतिवर्ष प्रवेश परीक्षा का आयोजन कर प्रवेश देती हैं। इन पाठ्यक्रमों में प्रवेश इन एजेंसियों के द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षा के माध्यम से छात्र आवंटित करवाकर ही दिए जा सकेंगें। निजी विश्वविद्यालयों को कोर्स- पाठ्यक्रम की अनुमति स्वीकृत सीटों की संख्या और आदेश अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक करने होंगे। निजी विश्वविद्यालय प्रवेश में राज्य सरकार की आरक्षण नीति की पालना करनी होगी। विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने वाले अभ्यर्थियों को सभी फीस ऑनलाइन विवि के बैंक खाते में ही प्राप्त करें। ऑफलाइन आवेदन शुल्क अवैध श्रेणी में माना जाएगा। निजी विश्वविद्यालय प्रतिवर्ष 31 अगस्त या पाठ्यक्रमों से संबंधित विनियमन निकायों, राज्य सरकार द्वारा प्रवेश हेतु निर्धारित अंतिम तिथि, इनमें से जो भी बाद में हो, के पश्चात किसी भी प्रकार से प्रवेश नहीं देंगे। प्रवेश के साथ ही विद्यार्थियों को एनरोलमेंट नंबर आवंटित करने होंगे। विश्वविद्यालय अंकतालिका व डिग्रियों को जारी करने के दिन ही उन्हें डिजी लॉकर पर भी अपलोड करेंगे और भ्रामक विज्ञापन जारी नहीं किए जाएंगे। विज्ञापन में यह भी बताना होगा कि कोई ऑफ कैंपस संचालित नहीं है।

यूजीसी ने एफिल पाठयक्रम को बंद कर दिया है। इसमें प्रवेश बंद करना होगा। पीएचडी में प्रवेश से पहले सभी यूजीसीनियमों की पालना करनी होगी। पार्ट टाइम एक्जेक्ट फैकल्टी को शोध निदेशक नियुक्त नहीं करें। इन रेगुलेशन की पालना के अभाव में जारी शोध उपाधियां अवैध मानी जायेंगी। विश्वविद्यालय प्रतिवर्ष 30 जून से पूर्व दीक्षान्त समारोह आयोजित करेंगे और बांटी गई और डिग्रियों की विस्तृत पाठ्यक्रमवार रिपोर्ट अनिवार्य रूप से अपनी वेबसाटइ पर शो करेंगे और राज्य सरकार को भी भेजेंगे।

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