नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम ने विभिन्न उच्च न्यायालयों के 23 न्यायाधीशों के स्थानांतरण की सिफारिश की है, जिसमें गुजरात उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस हेमंत एम प्रच्छक भी शामिल हैं. ये वो जज हैं, जिन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की उस याचिका को खारिज कर दी थी, जिसमें उन्होंने “मोदी सरनेम” टिप्पणी पर 2019 के आपराधिक मानहानि मामले में उनकी सजा पर रोक लगाने की मांग की थी.
भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, बीआर गवई और सूर्यकांत की सदस्यता वाले कॉलेजियम ने 3 अगस्त को हुई अपनी बैठक में ‘न्याय के बेहतर प्रबंधन’ के लिए उच्च न्यायालयों के नौ न्यायाधीशों के स्थानांतरण की सिफारिश की. गुरुवार देर रात को शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किए गए कॉलेजियम प्रस्ताव के अनुसार, इन नौ नामों में से चार न्यायाधीश गुजरात उच्च न्यायालय से हैं, जबकि चार पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय से हैं. दूसरे जज इलाहाबाद हाई कोर्ट से हैं. कॉलेजियम के प्रस्ताव के अनुसार, गुजरात उच्च न्यायालय के अन्य तीन न्यायाधीशों – जस्टिस अल्पेश वाई कोग्जे, जस्टिस कुमारी गीता गोपी और जस्टिस समीर जे दवे को क्रमशः इलाहाबाद, मद्रास और राजस्थान के उच्च न्यायालयों में स्थानांतरित करने की सिफारिश की गई है.
गुजरात हाई कोर्ट जज का तबादला :प्रस्ताव में कहा गया है कि कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति प्रच्छक को गुजरात उच्च न्यायालय से पटना उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने की सिफारिश की है. 7 जुलाई को, गुजरात उच्च न्यायालय ने राहुल गांधी की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने “मोदी सरनेम” टिप्पणी पर आपराधिक मानहानि मामले में उनकी सजा पर रोक लगाने की मांग की थी. याचिका को खारिज करते हुए, जस्टिस प्रच्छक ने कहा था कि राहुल गांधी पहले से ही भारत भर में 10 आपराधिक मामलों का सामना कर रहे थे. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को उनकी टिप्पणियों के लिए दो साल की जेल की सजा देने का निचली अदालत का आदेश “उचित और कानूनी” है. बाद में 4 अगस्त को, उच्चतम न्यायालय ने ‘मोदी सरनेम’ वाली टिप्पणी पर 2019 के मानहानि मामले में राहुल गांधी की सजा पर रोक लगा दी, जिससे उनकी लोकसभा सदस्यता के पुनरुद्धार का मार्ग प्रशस्त हो गया.