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मोदी-बाइडेन की जुगलबंदी देख बौखलाया चीन, कहा- अमेरिका का चाल होगा फेल, भारत नहीं ले सकता है बीजिंग की जगह

भारत और अमेरिका के बीच बढ़ती सैन्य और राजनीतिक भागीदारी ने चीन को इतना परेशान कर दिया है कि चीन अपनी तिलमिलाहट को छुपा नहीं पाया है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के भोंपू ग्लोबल टाइम्स ने पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा से पहले एक ओपिनियन आर्टिकल लिखा है। चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी ग्लोबल टाइम्स ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा से पहले आर्टिकल पब्लिश किया है। दरअसल, चीन भारत और अमेरिका के मजबूत रिश्तों से परेशान है। इस आर्टिकल में ग्लोबल टाइम्स ने भारत और अमेरिका को नसीहत दी है। इसके साथ ही भारत को चेताया भी है कि अगर उसके और अमेरिका के डिफेंस कॉरपोरेशन बढ़ जाते हैं तो भारत एक रिमोर्ट कंट्रोल की तरह चलेगा। लेकिन शायद ये चीन भूल गया है कि डिफेंस के क्षेत्र में भारत अब आत्मनिर्भर हो चुका है।

अमेरिकियों ने पीएम मोदी की यात्रा को गंभीरता से लिया

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के  मुखपत्र ने लिखा है कि 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से वो अक्सर अमेरिका का दौरा करते हैं। लेकिन नवंबर 2009 के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की ये पहली राजकीय यात्रा है। अमेरिकियों ने पीएम मोदी की यात्रा को गंभीरता से लिया है और उन्हें कांग्रेस में बोलने का सम्मान दिया है। ये ऐसा सम्मान है जो वेस्टर्न चर्चिल जैसे बड़े नामों को ही मिला हुआ है। ड्रैगन ने अचानक रंग बदलकर भारत के प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ में काफी कुछ लिखा है। लेकिन कुछ देर बाद जिनपिंग की पार्टी की जहरीली सोच सामने आ गई।

अमेरिका चीन का सामना करने के लिए भारत को कर रहा इस्तेमाल

ग्लोबल टाइम्स ने भारत को आगे बढ़ाने और चीन की आर्थिक प्रगति को परेशान करने के अपने प्रयासों को तेज करने” के लिए अमेरिका को फटकार लगाई। द ग्लोबल टाइम्स में चीन के शीर्ष राजनयिक वांग यी ने कहा कि अमेरिका की भू-राजनीतिक गणना ने भारत के साथ आर्थिक और व्यापार संबंधों को मजबूत करने के अपने प्रयासों को आगे बढ़ाया, यह कहते हुए कि यह विफल होना तय था। जैसा कि अमेरिका चीन का सामना करने और चीन की आर्थिक प्रगति को परेशान करने के लिए भारत को आगे बढ़ाने के प्रयासों को तेज करता दिख रहा है।

ग्लोबल चेन में चीन को रिप्लेस नहीं किया जा सकता 

चीन के पूर्व विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि अमेरिका की भू-राजनीतिक गणना को पढ़ना मुश्किल नहीं है। जैसा कि कई भारतीय अभिजात वर्ग द्वारा आशंका है, भारत के साथ आर्थिक और व्यापार सहयोग को मजबूत करने के वाशिंगटन के जोरदार प्रयास मुख्य रूप से चीन के आर्थिक विकास को धीमा करने के लिए हैं। हालांकि, यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि अमेरिका ने भारत के साथ आर्थिक और व्यापारिक बातचीत को बढ़ाते हुए कई भू-राजनीतिक जोड़ गणित भी की है।

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