राष्ट्रीय

स्वामी चैतन्यानंद पर गंभीर आरोप, लड़कियों ने लगाए शोषण और हिडन कैमरे लगाने के आरोप

नई दिल्ली

खुद को आध्यात्मिक गुरु और शिक्षा के क्षेत्र का मार्गदर्शक बताने वाला स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती अब फरार है. यह वही चेहरा है, जो किताबों के सहारे खुद को 'महान लेखक और दार्शनिक' की पहचान बनाता रहा, मगर असलियत में वह उन मासूम छात्राओं का शिकारी निकला जिन्हें उसने ज्ञान और सुरक्षा का भरोसा देकर अपने जाल में फंसाया. चौंकाने वाली ये कहानी किसी उपन्यास की तरह लग सकती है, लेकिन एफआईआर की कॉपी और दर्ज बयानों ने साफ कर दिया है कि यह कोई गढ़ी हुई कथा नहीं, बल्कि काली हकीकत है.

FIR में दर्ज काली करतूत

एफआईआर की पन्नों में दर्ज आरोप पढ़कर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं. आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) की छात्राओं को देर रात स्वामी अपने क्वार्टर में बुलाता था. छात्राओं के हॉस्टल में “सुरक्षा” के नाम पर गुप्त कैमरे लगाए गए. एक छात्रा को उसकी मर्जी के खिलाफ नया नाम अपनाने पर मजबूर किया गया. छात्राओं को विदेश यात्राओं और देर रात प्राइवेट रूम में बुलाने के लिए दबाव बनाया जाता था. डीन सहित कुछ स्टाफ छात्राओं को स्वामी की मांगें मानने पर मजबूर करते और शिकायतों को दबा देते. विरोध करने वाली छात्राओं को निलंबन और निष्कासन की धमकी मिलती.

व्हाट्सऐप और एसएमएस के जरिए अश्लील संदेश भेजे जाते थे. एफआईआर में साफ लिखा है कि छात्राओं को मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न का शिकार बनाया गया. विरोध करने पर न सिर्फ पढ़ाई बल्कि करियर दांव पर लगाने की धमकी दी जाती.

छात्राओं के बयान ने खोल दी पोल

जांच एजेंसियों ने अब तक 32 छात्राओं के बयान दर्ज किए हैं. इनमें से 17 ने मजिस्ट्रेट के सामने साफ कहा कि बाबा गालियां देता, अश्लील मैसेज भेजता और अनुचित हरकतें करने की कोशिश करता था. कई छात्राओं ने बताया कि तीन महिला वार्डन उन्हें जबरन बाबा के कमरे तक ले जातीं. यानि पूरा सिस्टम एक साजिश की तरह रचा गया था, ताकि कोई बाहर आवाज न उठा सके.

पहले भी रहा विवादों में

ये पहली बार नहीं है जब चैतन्यानंद विवादों में आया हो. 2009 में डिफेंस कॉलोनी थाने में उसके खिलाफ धोखाधड़ी और छेड़छाड़ का केस दर्ज हुआ. जबकि 2016 में वसंत कुंज थाने में भी छेड़छाड़ की शिकायत हुई. हर बार उसने रसूख, पैसे और नेटवर्क का इस्तेमाल करके खुद को बचा लिया. लेकिन इस बार छात्राओं की गवाही और डिजिटल सबूतों ने उसके लिए बच निकलने के सारे रास्ते बंद कर दिए हैं.

फरारी पर पुलिस की नजर

एफआईआर दर्ज होने के बाद से ही चैतन्यानंद फरार है. दिल्ली पुलिस ने उसे पकड़ने के लिए कई टीमें गठित की हैं. सभी एयरपोर्ट्स और बॉर्डर इलाकों पर निगरानी बढ़ा दी गई है. सूत्रों के मुताबिक, उसकी अंतिम लोकेशन आगरा में मिली थी. पुलिस को शक है कि वह लगातार ठिकाने बदल रहा है और मोबाइल फोन इस्तेमाल करने से बच रहा है, ताकि ट्रैक न हो सके. संस्थान से मिले सीसीटीवी फुटेज के डीवीआर और हार्ड डिस्क को फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी भेजा गया है. जांचकर्ताओं को आशंका है कि कई रिकॉर्ड्स से छेड़छाड़ की गई है.

किताबों के सहारे बनाई थी पहचान

शायद सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि यही स्वामी चैतन्यानंद शिक्षा और अध्यात्म की दुनिया में बड़ा नाम बनाने की कोशिश कर रहा था. उसने 28 किताबें लिखी थीं. इन किताबों पर नामी-गिरामी हस्तियों के नाम से प्रस्तावना और समीक्षाएं दर्ज थीं. ‘फॉरगेट क्लासरूम लर्निंग’ नाम की किताब की प्रस्तावना तो एप्पल के सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स के नाम से बताई जाती थी. ई-कॉमर्स साइट्स पर उसे “प्रोफेसर, स्पीकर, लेखक और आध्यात्मिक दार्शनिक” कहा गया. अब पुलिस का कहना है कि यह सब उसकी सोची-समझी रणनीति थी. किताबों और चमकदार छवि के पीछे उसका असली चेहरा छिपा था – एक शातिर शिकारी, जो मासूम छात्राओं को अपना शिकार बना रहा था.

समाज में डर और गुस्सा

यह खुलासा होते ही संस्थान के भीतर दहशत फैल गई है. कई छात्राएं डर के कारण सामने आने से कतरा रही हैं. वे साफ कह रही हैं कि उन्हें अपनी जान का खतरा महसूस होता है. अभिभावकों में गुस्सा है. उनका कहना है कि अगर संस्थान के भीतर ही बच्चे सुरक्षित नहीं हैं, तो वे किस पर भरोसा करें?

पुलिस का दावा और अगला कदम

दिल्ली पुलिस का कहना है कि यह सिर्फ व्यक्तिगत अपराध नहीं, बल्कि एक संगठित षड्यंत्र है. चैतन्यानंद और उसके सहयोगियों ने संस्थान के सिस्टम का इस्तेमाल करते हुए छात्राओं को शिकार बनाया. एफआईआर में दर्ज धाराओं के तहत यह मामला गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है. जांच एजेंसियां जल्द ही आरोपियों की गिरफ्तारी और कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करने का दावा कर रही हैं.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button