श्रीमद भागवत कथा के सात दिन सात रातें बदल देती हैं किस्मत
कश्मीर ठाकुर
बिलासपुर: नगर के डियारा सेक्टर में श्री पिपलेश्वर महादेव मंदिर में दो जून से श्रीमद भागवत कथा का शुभारंभ हो गया। बाबा नंदी सरस्वती महाराज के सानिध्य एवं जन सहयोग से हो रही इस कथा यज्ञ में प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए प्रसिद्ध कथावाचक पंडित सुरेश भारद्वाज ने कहा कि सबसे ज्यादा बेहतर काल कलियुग का है। यह एक ऐसा युग चल रहा है जिसमें ईश्वरीय कृपा से सब कुछ त्वरित है। उन्होंने कहा कि त्रेता, द्वापर और अन्य काल में भगवान की प्राप्ति के लिए करोड़ों वर्षों तक कठोर तप करना पड़ता था।
तरह तरह के संकट और यातनाएं अपने उपर झेल कर ईश्वर की प्राप्ति के मार्ग पर चलना होता था किंतु कलियुग में मात्र भजन कीर्तन से ईश्वर को प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि श्रीमद भागवत कथा के सात दिन और सात रातें बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। जो जीव इस समय में केवल ऊं नमो भगवते वासुदेवा, मंत्र का लग्न से जाप करता है तो उसे अंतिम दिन भगवान के दर्शन अवश्य होते हैं। कलियुग में यदि कोई किसी का बुरा सोचता है तो पहले उसका ही बुरा हो जाता है जबकि इसके विपरीत किसी का अच्छा सोचने वालों का पहल ही अच्छा हो जाता है।
पंडित सुरेश भारद्वाज ने कहा कि कर्म का प्रारूप सुंदर होना चाहिएए अपना कर्म करने के बाद फल के लिए ईश्वर पर छोड़ देना चाहिए। जीव के मन में अच्छा काम करने की लालसा होनी चाहिए। वहीं उन्होंने कहा कि किसी जीव की बलि देने से कभी सुख की प्राप्ति नहीं होती। उन्होंने कहा कि ऐसा संभव नही है कि किसी को कष्ट देकर सुख की प्राप्ति हो। इसलिए जीव की बलि देने जैसे जघन्य पाप से बचना चाहिए।
बलि देनी ही हो तो अपने भीतरी अहंकार और कुरीतियों की देनी चाहिए। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण जी की लीलाओं का भी वर्णन किया। कथा का समापन 8 जून को होगा जबकि नौ जून को दोपहर दो बजे से अटूट भंडारे का आयोजन भी किया जाएगा।