राजनीतिक

क्या देश और जनता से झूठ बोलने वालों पर कार्रवाई नहीं होनी चाहिए?

नई दिल्ली

अग्निवीर पर राहुल गांधी और कांग्रेस ने संसद में और संसद के बाहर जो नरेटिव सेट करना चाहा फिलहाल उस पर लगाम लगती दिख रही है. सेना के क्लैरिफिकेशन के बाद शहीद अग्निवीर परिवार ने भी मान लिया है कि उसे अब तक उसे 98 लाख रुपये मिल चुके हैं और 67 लाख की रकम और मिलने वाली है. इसके अलावा पंजाब सरकार से भी एक करोड़ रुपया अतिरक्त परिवार को मिला है. सेना से मिले 98 लाख रुपये के बैंक ट्रांजेक्शन की डिटेल भी सामने आ चुकी है. शायद इन्ही सब कारणों का नतीजा है कि कांग्रेस ने शुक्रवार को इस मुद्दे पर बिल्कुल चुप्पी साध ली है. पर देर शाम तक कांग्रेस की ओर से पहले रणदीप सुरजेवाला ने पीसी करके सफाई देने की कोशिश की. फिर राहुल गांधी का भी बयान आ गया. अब कांग्रेस इंश्योरेंस की रकम मिलने की बात कहकर झेंप मिटाना चाहती है. कांग्रेस को समझना चाहिए कि इंश्योरेंश के लिए भी प्रिमियम जमा करना होता है, और सरकार सभी अस्थाई कर्मचारियों के लिए इतनी बड़ी रकम की इंश्योरेंश नहीं कराती.

दरअसल कांग्रेस आज कल भारतीय जनता पार्टी के ही तरीके से आक्रामक ढंग से खेल रही है. झूठ या सच किसी भी तरीके से सामने वाली पार्टी पर हावी होना है. अग्निवीर ही नहीं एमएसपी आदि जैसे कई मुद्दो्ं पर बीजेपी को बैकफुट पर डालने के लिए इस तरह के हथकंडे अपनाए गए. पर अग्निवीर जैसे संवेदनशील मुद्दे पर विवाद खड़ा करके कांग्रेस ने भारतीय सेना को नुकसान पहुंचाया है. जिन परिवारों से सेना के सबसे निचले लेवल की भर्तियां होती हैं उन तक जो गलतफहमियां पैदा हो चुकी हैं उन्हें खत्म होने में महीनों में लग जाएंगे. झूठ बातों का नरेटिव सेट करना भारतीय राजनीति में सबसे बड़े बुराई के रूप में उभरी है. राजनीतिक फायदा उठाने के लिए इस हथकंडे का इस्तेमाल सभी पार्टियां करने लगी हैं. लेकिन अग्निवीर को लेकर जिस तरह की बातें संसद में हुई हैं, वे फिक्र बढ़ाने वाली हैं – और इस मामले में सेना की भी एंट्री होने से बात और भी सीरियस हो जाती है. इसलिए जरूरी है कि अग्निवीर ही नहीं किसी भी तरह का झूठ बोलकर जनता को गुमराह करने वाले बयानों को रोकने के लिए जल्द से जल्द कोई कदम उठाया जाना चाहिये.

लोकसभा में झूठ गंभीर मुद्दा है, पर होगा कुछ नहीं

लोकसभा भारतीय लोकतंत्र का मंदिर है. यहां पर सत्ता पक्ष या विपक्ष, किसी भी पक्ष के लोग झूठ बोलते हैं तो उस पर तत्काल एक्शन की व्यवस्था होनी चाहिए. पीएम नरेंद्र मोदी ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से सदन में राहुल गांधी के झूठ पर झूठ बोले जाने पर कार्रवाई करने की अपील की थी. बीजेपी सांसद बांसुरी स्वराज ने भी राहुल के खिलाफ लोकसभा अध्यक्ष को नोटिस भेजा है. संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने साफ-साफ कहा है कि गांधी परिवार का सदस्य होने के नाते राहुल गांधी सदन को गुमराह करके बच नहीं सकते हैं, उन्हें नियमों के तहत कार्रवाई का सामना करना ही पड़ेगा. पर ऐसा कुछ होता नजर नहीं आता. गृहमंत्री अमित शाह ने भी राहुल गांधी के अग्निवीर योजना, हिंदुत्व, किसानों के मुद्दे पर जो भी बयान दिया, उस पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी. उन्होंने स्पीकर ओम बिरला से नेता प्रतिपक्ष के बयानों की जांच की मांग की थी. शाह ने कहा, बयानों के सत्यापन का निर्देश दिया जाए और हमें संरक्षण प्रदान किया जाए. राहुल गांधी ने भाषण के अंत में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष की कई बातें तथ्यात्मक और सत्य नहीं है. उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष से आग्रह किया कि इन बातों का सत्यापन किया जाए. जिसपर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, सत्यापन किया जाएगा. पर एक्शन के नाम पर कुछ नहीं होने वाला है. क्योंकि झूठ का सहारा सभी लेते हैं.

चुनाव प्रचार के दौरान भी लगातार झूठ बोला गया

पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह ने चुनाव प्रचार के दौरान दूषित चुनाव अभियान पर एक बयान देकर एक बहस को जन्म दे दिया था. सिंह ने कहा था कि अतीत में किसी भी प्रधान मंत्री ने समाज के एक विशिष्ट वर्ग या विपक्ष को निशाना बनाने के लिए ऐसे घृणित, असंसदीय और असभ्य शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया है. पर मनमोहन सिंह ने केवल एक चश्मे से ही वर्तमान को देखा. जबकि झूठे प्रचार से गलत नरेटिव सेट करने की कोशिशें इस बार के चुनावों इंडिया गठबंधन की ओर से ज्यादा हुईं.एक उदाहरण देखिए नरेंद्र मोदी फिर पीएम बन गए तो देश में फिर चुनाव नहीं होंगे. रूस की तरह देश में एक दलीय प्रणाली की शुरूआत होगी और पुतिन की तरह नरेंद्र मोदी स्थाई रूप से देश के शासक बन जाएंगे.

संविधान खतरे में है, आरक्षण खतरे में है का नरेटिव सेट करने की कोशिश कितनी हास्यास्पद थी. इसका फायदा भी विपक्ष को मिला. पर क्या देश में अब तक संविधान संशोधन नहीं होते रहे हैं. कांग्रेस राज में कितने संविधान संशोधन हुए हैं. क्या संविधान खतरे में पड़ गया. इसी तरह आरक्षण समाप्त करने का भ्रम फैलाना देश की जनता के साथ गद्दारी से कम नहीं था.

अरविंद केजरीवाल का सीएए विरोध तो इतना हास्यास्पद था कि सीधे इसके लिए केस होना चाहिए था. चुनाव प्रचार के शुरूआती दिनो में कई दिन टीवी पर वे आते और यही कहते कि इस कानून के बन जाने के बाद करोड़ों पाकिस्तानी दिल्ली में आकर बस जाएंगे. हमारी नागरिक सुविधाओं का क्या होगा. जबकि हर कोई जानता है कि इस कानून के लागू होने के बाद भी मुट्ठी भर लोग ही पाकिस्तान से भारत आकर नागरिकता ले सकते हैं. यह कानून इसलिए लाया गया है कि भारत में दशकों से जो लोग रहे हैं उन्हें देश की नागरिकता मिल सके.

लगातार झुठ बोलने वाले नेताओं पर लगाम के लिए उठाने होंगे कदम

अग्निवीर पर कांग्रेस का झूठ सुनियोजित लगता है. क्योंकि राहुल ने अग्निवीर के परिवार का जो विडियो जारी किया उसमें परिवार से बातचीत चुनाव प्रचार के दौरान की है. स्पष्ट है कि एक बार भी कांग्रेस की ओर से यह प्रयास नहीं किया गया कि दोबारा शहीद परिवार से बातकर के पूछें कि उसे पूरी रकम मिली की नहीं. यह जानबूझकर ही किया गया. प्रशानिक कामों में समय लगता है ये सभी जानते हैं. इंश्योरेंस आदि की रकम मिलने में भी समय लगता है. चूंकि यह मामला सेना से जुड़ा हुआ है इसलिए देश के लिए बहुत सेंसिटिव है. इसके पहले राफेल विमानों पर भी इस तरह राहुल गांधी का झूठ पकड़ा गया था. जाहिर है कि भारतीय जनता पार्टी इस खेल की पुरानी एक्सपर्ट है. कांग्रेस को बैकफुट पर लाने के लिए उसकी तरफ से भी ऐसी ही हरकत की जाएगी. इसलिए यह जरूरी है कि इस तरह के झूठे नरेटिव सेट करने का चलन रोकने के लिए कुछ आवश्यक उपाय किए जाएं.

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button