मुरैना में शुक्ल, दमोह में देवड़ा और होशंगाबाद में राकेश सिंह करेंगे रायशुमारी
भोपाल
भाजपा प्रदेश में मिशन 29 में रोड़ा बनी छिंदवाड़ा सीट पर जमकर फोकस कर रही है। कमलनाथ का अभेद गढ़ माने जाने वाले छिंदवाड़ा में इस बार भी उनके बेटे नकुलनाथ चुनाव लड़ेंगे। भाजपा ने इस सीट पर जीत हासिल करने की जिम्मेदारी कैलाश विजयवर्गीय, कविता पाटीदार और विनोद गोटिया को सौंपी है। आज तीनों ही छिंदवाड़ा पहुंच गए हैं जहां वे यहां की जमीनी हकीकत का जायजा लेंगे। इसके अलावा सांसदों के विधायक बन जाने से खाली होने वाली सीट पर भी भाजपा तगड़े उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है।
छिंदवाड़ा सांसद एवं कांग्रेस नेता नकुलनाथ के बाद अब उनके पिता और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी कहा है कि नकुलनाथ ही लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे। उधर भाजपा ने मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, राज्यसभा सदस्य कविता पाटीदार और विनोद गोटिया को छिंदवाड़ा जीतने की जिम्मेदारी सौंप दी है। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के मिशन 29 में रोड़ा बनी छिंदवाड़ा लोकसभा सीट की जीताने की जिम्मेदारी इस बार मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को सौंपी गई है। उन्हें सोमवार को आब्जर्वर बनाया और मंगलवार को वे छिंदवाड़ा पहुंच गए। छिंदवाड़ा में उनके साथ राज्यसभा सदस्य कविता पाटिदार और विनोद गोटिया भी पहुंचे हैं। तीनों नेता यहां पर पार्टी की जमीन हकीकत जानने के साथ ही रायशुमारी भी कर रहे हैं।
छिंदवाड़ा में हो रही भाजपा की रायशुमारी
भाजपा ने इस बार प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों पर जीतने का लक्ष्य तय किया है। कमलनाथ का अभेद गढ़ माना जाना वाली छिंदवाड़ा लोकसभा सीट को जीताने की जिम्मेदारी कैलाश विजयवर्गीय और विनोद गोटिया को सौंपी गई है। दोनों ही नेता मंगलवार की सुबह छिंदवाड़ा पहुंच गए हैं। इनके साथ ही प्रदेश महामंत्री एवं राज्यसभा सदस्य कविता पाटीदार भी यहां पर हैं। तीनों नेताओं ने सुबह से ही यहां के नेताओं से अलग-अलग बात की। इसके बाद पूरे लोकसभा क्षेत्र के नेताओं की बैठक बुलाई। इस लोकसभा क्षेत्र की सभी विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के विधायक काबिज हैं, ऐसे में यहां के नेताओं के साथ ही इन तीनों नेताओं ने रणनीति बनाने का क्रम शुरू कर दिया है।
1980 से एक बार ही जीती भाजपा
भाजपा के गठन के बाद से इस सीट पर भाजपा सिर्फ एक बार चुनाव जीती है, जबकि 11 बार कमलनाथ या उनके परिवार के लोग ही यहां से चुनाव जीते हैं। 1980 में कमलनाथ ने यहां से पहली बार चुनाव लड़ा था। इसके बाद वे 1991 तक चार चुनाव में लगातार जीतते रहे। वर्ष 1996 में उन्होंने अपनी पत्नी अलका नाथ को यहां से चुनाव लड़ाया वे चुनाव जीती। इसके बाद अलका नाथ ने इस्तीफा दे दिया और उपचुनाव हुए। जिसमें भाजपा पहली बार यहां से जीती थी।