मनोरंजन

हिंदी फिल्म उद्योग का महत्वपूर्ण मुद्दों पर चुप्पी साधना कोई नयी बात नहीं: नसीरुद्दीन शाह

दिग्गज अभिनेता नसीरुद्दीन शाह का कहना है कि हिंदी फिल्म उद्योग कभी भी चुनौतियों का सामना करने और समस्याओं से निपटने में आगे नहीं रहा है। उन्होंने पूछा कि क्या कोई राष्ट्रीय राजधानी में विरोध प्रदर्शन कर रहे पहलवानों पर फिल्म बनाएगा। शाह (72) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार के मुखर आलोचक रहे हैं और पहले भी उनके बयानों को लेकर विवाद हुआ है। शाह ने कहा कि “महत्वपूर्ण मुद्दों पर मौन” रहने का हिंदी फिल्म उद्योग का रुख कोई नया नहीं है। शाह को भारतीय सिनेमा में सबसे सम्मानित कलाकारों में से एक माना जाता है। वह जी5 की फिल्म “ताज: रीन ऑफ रिवेंज” में बादशाह अकबर की भूमिका निभा रहे हैं।

अभिनेता ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा, “नफरत का माहौल इसे और खराब करता है, मजबूत बनाता है और इसलिए ये हो रहा है। ऐसे में सभी डरे हुए हैं। ऐसा नहीं है कि हिंदी फिल्म उद्योग किसी भी स्तर पर विशेष रूप से राजनीतिक या सामाजिक रूप से जागरूक है। पहले के. ए. अब्बास और वी. शांताराम जैसे फिल्मकार होते थे, उनकी फिल्म बहुत प्रगतिशील होती थीं।” उन्होंने कहा, “लेकिन हिंदी फिल्म उद्योग ने कब चुनौतियों का सामना किया है और एक ऐसे विषय पर अपनी बात रखी है, जिसपर बोलने की मांग की जा रही है? क्या कोई इन महिला पहलवानों पर फिल्म बनाएगा, जो हमारे लिए पदक लेकर आईं…? क्या कोई फिल्म बनाने की हिम्मत करेगा? क्योंकि वे अंजाम से डरे हुए हैं। हिंदी फिल्म उद्योग का महत्वपूर्ण मुद्दों पर चुप्पी साधना कोई नयी बात नहीं है, वह हमेशा से ऐसा ही करता आया है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button