दर-दर की ठाकरें खा रहे डाकघरों के खाताधारक
नई दिल्ली । एएनएन (Action News Network)
कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए लागू किए गए देशव्यापी लॉकडाउन में अधिकतर बैंकों की शाखाएं खुली हुई हैं और अपने खाताधारकों को तय समय पर सेवाएं उपलब्ध करा रही हैं। वहीं दूसरी ओर अधिकतर डाकखाने बंद पड़े हैं। इन डाकखानों में अपनी छोटी-छोटी पूंजी जमा करने वाला मजदूर वर्ग अपने पैसों के लिए दर-दर की ठोकरें खाता फिर रहा है। ऐसे ही कुछ लघु बचत खाताधारक मंगलवार को दक्षिणी पूर्वी दिल्ली जिले के बदरपुर गांव स्थित एक डाकखाने पर भटकते मिले।चार-पांच किलोमीट पैदल चल कर लालकुआं से यहां आई 38 वर्षीय बीरमति ने बताया, "घर में गैस सिलेंडर खत्म हो गया है। कई दिन से जंगल से लकड़ी लाकर चूलहें पर खाना पकाना पड़ रहा है।
मजबूरी में डाकखाने आना पड़ा, जब देखा कि रोड पर लोग चल रहे हैं तो हिम्मत कर के पैदल आ गई। यहां आकर देखा तो पता चला कि डाकखाना बंद पड़ा है। एक आदमी निकल कर आया और बोला कि 17 तारीख के बाद खुलेगा। यह कह कर अंदर चला गया। गेट बंद है। डाकखाने के एक बचत खाते में दो-चार हजार पड़े थे, सोचा था सिलेंडर भरवा लूंगी। अब वो भी नहीं हो पाएगा, दोबारा आना पड़ेगा।" 30 वर्षीय गौतमपुरी निवासी गौरव ने बताया जब से लॉकडाउन हुआ है छठी बार आया हूं। ऑनलाइन चेक करने पर दिखता है कि डाकघर खुला है लेकिन यहां आओ तो ताला लगा मिलता है। हमने जो थोड़े-बहुत पैसे जमा किए हैं वो भी नहीं निकाल पा रहे हैं। निकल आता तो घर का थोड़ा-बहुत खर्च चल जाता।