‘निकाय चुनावों को लेकर अदालत को गुमराह कर रही राज्य सरकार’, भाजपा ने लगाया आरोप
रांची.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आरोप लगाया कि झामुमो के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार निकाय चुनावों को लेकर अदालत को गुमराह कर रही है। पार्टी ने राज्य में नगर निकाय चुनाव कराने में देरी को लेकर स्पष्टीकरण मांगा। विधानसभा में विपक्ष के नेता अमर बाउरी ने दावा किया कि शहरी स्थानीय निकाय चुनावों मे देरी करने की सरकार की याचिका को झारखंड उच्च न्यायालय ने सोमवार को खारिज किया।
बाउरी ने रांची में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार झूठे हलफनामे के जरिए अदालत को गुमराह करने की कोशिश कर रही है, ताकि चुनाव में देरी हो सके। उच्च न्यायालय ने सोमवार राज्य सरकार की उस याचिका को सुनने से इनकार कर दिया था जिसमें निकाय चुनाव कराने और तीन हफ्ते के भीतर चुनाव की तारीख अधिसूचित करने के एकल न्यायाधीश के 4 जनवरी के आदेश को चुनौती दी गई थी।
भाजपा नेता ने कहा, पिछला निकाय चुनाव अप्रैल 2018 में हुआ था। पार्षदों का कार्यकाल 2023 में समाप्त हो गया था। बाउरी ने कहा, झारखंड में पिछले साल अप्रैल से 48 शहरी स्थानीय निकायों के चुनाव लंबित हैं। राज्य सरकार जानती थी कि वह ट्रिपल टेस्ट कराने के बाद ही चुनाव करा सकती है। लेकिन इसने ट्रिपल टेस्ट आयोजित करने की कोई पहल नहीं की। उन्होंने कहा, ट्रिपल टेस्ट की शर्तों में से एक में स्थानीय निकायों के संबंध में पिछड़ेपन की प्रकृति की जांच करने के लिए एक समर्पित आयोग का गठन करना शामिल है। दूसरी शर्त यह बताना है कि आयोग की सिफारिशों के अनुसार स्थानीय निकायों में आरक्षण का कितना प्रावधान किया जाना है। तीसरी शर्त यह है कि अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण कुल सीटों के 50 फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार निकाय चुनाव नहीं कराना चाहती है ताकि वह शहरी स्थानीय निकायों को नियंत्रित कर सके और भ्रष्टाचार में लिप्त हो सके। भाजपा ने विधानसभा के बजट सत्र के दौरान शहरी स्थानीय निकाय चुनावों का मुद्दा भी उठाया था। तब सरकार ने जवाब दिया था कि राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट सौंपने के बाद नगर निकाय चुनाव कराए जाएंगे।