28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन का उद्घाटन किया था। हालांकि, 21 विपक्षी दलों ने इसका बहिष्कार किया। इन विपक्षी दलों की मांग थी कि संसद का उद्घाटन नरेन्द्र मोदी को नहीं बल्कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को करना चाहिए। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी ने भी नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार किया था। नीतीश कुमार ने तो साफ तौर पर कहा था कि नए संसद की जरूरत ही क्या थी। हालांकि, जदयू सांसद हरिवंश राज्यसभा के उपसभापति है। इसलिए वह इसमें शामिल हुए।
अपनी पार्टी में घिरे राज्यसभा के उपसभापति
अब अपनी पार्टी में ही राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश घिरते नजर आ रहे हैं। जदयू के प्रवक्ता और वरिष्ठ नेता नीरज कुमार ने कहा कि ‘‘पत्रकारिता में आपके योगदान के फलस्वरूपपार्टी ने आपको राज्यसभा भेजा था। लेकिन जब देश में संसदीय लोकतंत्र के इतिहास का काला अध्याय लिखा जा रहा था तब आपने रसूखदार पद के लिए अपने जमीर से समझौता कर लिया।’’ उन्होंने कहा कि ‘‘यहां तक कि आपके सभापति, माननीय उप राष्ट्रपति तक मौजूद नहीं थे।’’
होगी कार्रवाई!
जदयू प्रवक्ता ने कहा कि समारोह का बहिष्कार करने के पार्टी के फैसले के बावजूद आप उसमें शामिल हुए जिसके बाद अब शीर्ष नेतृत्व को तय करना है कि वह क्या कार्रवाई करेगा। आपने जो किया वह आपके जैसे कद वाले व्यक्ति से अपेक्षित नहीं था और भावी पीढ़ी उसके बारे में क्या सोचेगी। राज्यसभा में यह हरिवंश का दूसरा कार्यकाल है जो अगले साल समाप्त होगा। वह 2018 से उच्च सदन के उप सभापति हैं। हरिवंश इस पद पर आसीन तीसरे गैर-कांग्रेसी सांसद हैं। झारखंड और बिहार के प्रमुख हिंदी समाचार पत्रों में से एक ‘प्रभात खबर’ के संपादक के रूप में कार्य करने से पहले 66 वर्षीय हरिवंश ने तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के मीडिया सलाहकार के रूप में कार्य किया था।