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जिले की स्वच्छता यात्रा:खुले में शौच से ओडीएफ और सस्टेनेबल स्वच्छता की ओर

विश्व शौचालय दिवस आज

बिलासपुर,

 स्वच्छ  भारत मिशन के जिले में बेहतर क्रियान्वयन से अब कभी खुले में शौच की समस्या से जूझते ग्रामीण इलाकों की तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है और एक बड़ा सकारात्मक बदलाव आया है। शौचालय निर्माण से लेकर ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन तक आम जनता की भागीदारी से स्वच्छ भारत का सपना अब साकार होता नजर आ रहा है स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण से गांवों में स्वच्छता अभियान ने जोर पकड़ा है ग्रामीण क्षेत्रों में योजना के तहत शौचालय निर्माण से ग्रामीणों को राहत मिली है।

    स्वच्छ भारत मिशन के पहले चरण में ग्रामीण परिवारों की  व्यक्तिगत शौचालय की आवश्यकता थी लेकिन संसाधन और जागरूकता की कमी बड़ी चुनौती थी। प्रशासन, पंचायतों और आम नागरिकों के संयुक्त प्रयास से जिले में 2,03,091 व्यक्तिगत शौचालयों का निर्माण हुआ। इनमें स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत 1 लाख 38 हजार 770, मनरेगा के तहत 30 हजार 574, डीएमएफ 5 हजार 68 एवं अन्य योजनाएँ 28 हजार 679 शौचालय शामिल है। इन शौचालयों के निर्माण ने हजारों परिवारों को गरिमा, सुरक्षा और स्वच्छ जीवन जीने की राह दिखाई। महिलाएँ, जो पहले अंधेरा होने का इंतज़ार करती थीं, अब उनके पास अपने घर में सुरक्षित और सम्मानजनक सुविधा उपलब्ध है। इसी चरण ने जिले को ओडीएफ की ओर अग्रसर करने की मजबूत नींव रखी।

     बिल्हा ब्लॉक के ग्राम नवगंवा की श्रीमती गायत्री खरे और रानी सूर्यवंशी कहती है कि शौचालय निर्माण से उनकी एक बड़ी समस्या का समाधान हो गया है अब उन्हें किसी भी मौसम में बाहर जाना नहीं पड़ता।।मस्तूरी ब्लॉक के  ग्राम ढेका निवासी युवा खुशबू राजपूत ने कहा कि सरकार द्वारा शौचालय निर्माण महिलाओं की  गरिमा का सम्मान है।

 स्वच्छ भारत मिशन के दूसरे चरण में जिले ने केवल शौचालय निर्माण तक खुद को सीमित नहीं रखा। यहाँ लक्ष्य था स्वच्छता को स्थायी और सस्टेनेबल बनाना। पहले से निर्मित शौचालयों के अलावा इस चरण में भी 13,987 नए शौचालयों का निर्माण किया गया, जिससे नई बस्तियों और जरूरतमंद परिवारों को सुविधा मिली। ग्राम बाजार, हाट-बाजार और भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में 512 सामुदायिक शौचालयों ने स्वच्छता को और सुदृढ़ किया। गाँवों में गीले और सूखे कचरे के पृथक्करण और प्रबंधन की दिशा में 636 इकाइयाँ स्थापित की गईं। अब कचरा नालियों या सड़कों में इकट्ठा नहीं होता कृ व्यवस्थित निपटान से गाँवों की स्वच्छता स्तर पहले से कई गुना बढ़ गया है। जिले के 4 विकासखण्डों में 4 यूनिट्स स्थापित की गईं, जहाँ प्लास्टिक कचरे का वैज्ञानिक तरीके से निपटान किया जाता है। यह कदम पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बेहद महत्वपूर्ण उपलब्धि है। फिकल स्लज निपटान हेतु एक क्रियाशील और एक निर्माणाधीन इकाई स्थापित की गई है। यह ग्रामीण स्वच्छता के उन्नत स्तर की ओर बड़ा कदम है, जिससे जल स्रोतों के प्रदूषण में भारी कमी आई है। जिले में 8 बायोगैस संयंत्र क्रियाशील हैं। इससे न केवल कचरे का उपयोग हो रहा है, बल्कि स्वच्छ, धुआँ-रहित ऊर्जा भी ग्रामीण परिवारों को मिल रही है।

    उल्लेखनीय है कि विश्व शौचालय दिवस हर वर्ष 19 नवंबर को मनाया जाता है। यह दिन स्वच्छता, स्वास्थ्य और सम्मानजनक जीवन के महत्व के प्रति जागरूकता के लिए समर्पित है। संयुक्त राष्ट्र ने इस दिवस की शुरुआत दुनिया भर में मौजूद स्वच्छता संकट की ओर ध्यान दिलाने के लिए किया।सुरक्षित शौचालय की सुविधा न होने से विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ फैलती हैं और लोगों के जीवन की गुणवत्ता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

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