तमिलनाडु के मंत्री को करप्शन केस में 3 साल की सजा, स्टालिन को लगा झटका
आय से अधिक संपत्ति के मामले में मद्रास हाई कोर्ट ने डीएमके नेता और तमिलनाडु के मंत्री के पोनमुडी को तीन साल की कैद और 50 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. इसी मामले में पोनमुडी की पत्नी विशालाक्षी को भी दोषी ठहराया गया है, हालांकि कोर्ट ने फैसले के अमल पर 30 दिन तक के लिए रोक लगा दी है. कोर्ट में सुनवाई के दौरान मंत्री और उनकी पत्नी ने अपना मेडिकल रिकॉर्ड पेश किया. इस दोनों जोड़े की ओर से न्यूनतम सजा का अनुरोध करते हुए कहा कि यह मामला बहुत पुराना है. मंत्री 73 साल के हैं जबकि उनकी पत्नी 60 साल की हैं.
तीन साल की कारावास के साथ 50 लाख का जुर्माना
तमिलनाडु के मंत्री के पोनमुडी को तीन साल की कारावास की सजा सुनाने के साथ-साथ अदालत ने उन पर और उनकी पत्नी पर 50 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. अगर वो जुर्माना देने में नाकाम रहते हैं, तो उन्हें 6 महीने की अतिरिक्त जेल की सजा काटनी होगी. मद्रास उच्च न्यायालय की ओर से सजा को 30 दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया है, जिससे दोषियों को उच्च अपील के लिए जाने की अनुमति मिल गई है.
मद्रास हाई कोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान
बीते 19 दिसंबर को तमिलनाडु के मंत्री के पोनमुडी को मद्रास हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा था. अदालत ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में उन्हें दोषी करार दिया था. इससे पहले 28 जून को वेल्लोर की सत्र अदालत ने मामले में पोनमुडी और उनकी पत्नी को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था. अदालत ने पोनमुडी और उनकी पत्नी को मामले में यह कहते हुए बरी कर दिया कि अभियोजन पक्ष पर्याप्त सबूत पेश करने में विफल रहा. मद्रास उच्च न्यायालय ने जून में वेल्लोर की एक अदालत की ओर से बरी किए जाने के बाद आय से अधिक संपत्ति के मामले में तमिलनाडु सरकार के मंत्री के पोनमुडी और उनकी पत्नी को बरी करने के फैसले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए अगस्त में पुनर्विचार करने का फैसला किया. उसके बाद मद्रास हाई कोर्ट ने बड़ा सुनाते हुए सजा का ऐलान किया है.
जानें क्या है मंत्री के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला?
आय से अधिक संपत्ति का मामला पोनमुडी और उनकी पत्नी के खिलाफ सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय (डीवीएसी) ने 2002 में दर्ज किया गया था. जब तत्कालीन अन्नाद्रमुक सरकार 1996-2001 तक सत्ता में थी. डीवीएसी ने दावा किया कि पोनमुडी ने 1996-2001 तक राज्य सरकार में मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान अवैध संपत्ति अर्जित की.