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तेलंगाना : फोन टैपिंग मामले में बड़ा खुलासा, पूर्व डीसीपी ने कबूला, बीआरएस सरकार में हुई थी जासूसी

हैदराबाद
 तेलंगाना फोन टैपिंग में बड़ा खुलासा हुआ है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि पूर्व पुलिस उपायुक्त पी राधाकिशन राव ने बीआरएस सरकार के सत्ता में रहने के दौरान विशेष खुफिया ब्यूरो (एसआईबी) के कुछ अधिकारियों द्वारा फोन टैपिंग में अपनी संलिप्तता कबूल की है। हैदराबाद पुलिस ने राधाकिशन राव के बयान को नामपल्ली आपराधिक न्यायालय में प्रस्तुत अन्य दस्तावेजों के साथ शामिल किया है। सूत्रों ने कहा कि इस बयान में राधाकिशन राव ने तत्कालीन एसआईबी प्रमुख टी प्रभाकर राव के निर्देशों के तहत राजनेताओं और अन्य लोगों पर निगरानी रखने में अपनी संलिप्तता स्वीकार की।

कथित जासूसी तेलंगाना राज्य में केसीआर के नेतृत्व वाली बीआरएस सरकार के कार्यकाल के दौरान हुई थी। पुलिस वर्तमान में बीआरएस शासन के दौरान राजनेताओं, अधिकारियों, कार्यकर्ताओं और अन्य लोगों से जुड़े फोन टैपिंग के आरोपों की जांच कर रही है। उन्होंने राधाकिशन राव के बयान के साथ-साथ अन्य दस्तावेज नामपल्ली क्रिमिनल कोर्ट में जमा कर दिए हैं। सूत्रों के अनुसार, राधाकिशन राव ने तत्कालीन एसआईबी प्रमुख टी प्रभाकर राव के निर्देश पर राजनेताओं और अन्य लोगों पर निगरानी रखने की बात कबूल की है। राव ने पुलिस को बताया कि जो लोग के. चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली बीआरएस सरकार की आलोचना करते हैं या जिन्हें पार्टी के लिए खतरा माना जाता है, उनकी गहन इलेक्ट्रॉनिक निगरानी की जाती है।

विपक्ष और बीआरएस नेताओं की जासूसी
सूत्रों ने बताया कि बीआरएस और विपक्ष दोनों के जिन राजनीतिक नेताओं पर निगरानी की आवश्यकता थी, उनसे संबंधित विवरण एसआईबी के पूर्व पुलिस उपाधीक्षक डी. प्रणीत राव को उपलब्ध करा दिए गए थे। उन्होंने कथित तौर पर उनका प्रोफाइल तैयार किया तथा उन पर लगातार निगरानी रखने के लिए उनके फोन टैप करने का व्यापक अभियान चलाया। सूत्रों के अनुसार, निगरानी में रखे गए लोगों में पूर्व आईपीएस अधिकारी आर एस प्रवीण कुमार भी शामिल हैं। उन्होंने वीआरएस ले लिया था और बीएसपी में शामिल हो गए थे। हाल ही में वे बीआरएस में भी शामिल हुए थे।

इंटरनेट प्रोटोकॉल डेटा रिकॉर्ड्स का उपयोग
यह पता चलने के बाद कि बड़ी संख्या में लोग संचार के लिए व्हाट्सएप या स्नैपचैट जैसे एन्क्रिप्टेड प्लेटफार्मों का उपयोग करने लगे हैं, पूर्व एसआईबी प्रमुख प्रभाकर राव ने कथित तौर पर टीम को इंटरनेट प्रोटोकॉल डेटा रिकॉर्ड्स का उपयोग करके कॉल की निगरानी करने का निर्देश दिया। इस मामले में प्रभाकर राव को मुख्य संदिग्ध के रूप में पहचाना गया है। पुलिस ने इस मामले में पी राधाकिशन राव के अलावा निलंबित डीएसपी प्रणीत राव, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक एन भुजंगा राव और एम थिरुपटन्ना को गिरफ्तार किया है। निगरानी उन राजनेताओं और व्यक्तियों पर केंद्रित थी जिन्हें पार्टी के लिए खतरा माना जाता था। बीआरएस के लिए खतरा बनने वाले हर व्यक्ति पर निगरानी रखी जाती है। यह बयान तेलंगाना जासूसी विवाद के संबंध में एक पूर्व डीसीपी ने दिया।

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