
वेदों में वर्णित सोने की महिमा, आज भी मिडिल क्लास के लिए जरूरी निवेश
मुंबई
हर सुबह आंख खुलने के साथ, आप बिजनेस की खबरों में रुचि रखते हों या न रखते हों, लेकिन एक चीज पर आपकी निगाहें ज़रूर टिकती होंगी, वो है सोने का भाव- आंखें नचाते हुए आप ये जरूर कहते होंगे- अरे यार! सोना फिर इतना महंगा हो गया? चांदी भी कहां रुकने का नाम ले रही है.
वाकई सोने-चांदी के दामों में बेतहाशा बढ़ोतरी ने मिडिल क्लास लोगों की नींद उड़ा दी है. बच्चों की शादी, सेविंग्स, इन्वेस्टमेंट, गहनों का शौक और कुछ शोशेबाजी… इन सारी जरूरतों को पूरा करता है सोना. कुल मिलाकर मिडिल क्लास फैमिली को अपने लेवल से कुछ ऊंचा उठाकर एलीट वाली लॉबी में एंट्री कर जाने की फीलिंग कराता है सोना.
बीते कुछ सालों में सोने के भाव में बढ़ोतरी ने ख़रीदारों को बड़ा झटका दिया है. आज सोने की कीमत लगभग सवा लाख रुपये प्रति दस ग्राम (24 कैरेट) है. लिहाजा आगे आने वाले हैं करवाचौथ, धनतेरस और दिवाली जैसे बड़े त्योहार जो सोने की खरीदारी के खास दिन माने जाते हैं. वहीं लगन का समय भी शुरू होने वाला है, जो जूलरी की खरीदारी का सबसे डिमांडिंग टाइम है.
साल 2024 में धनतेरस पर खरीदारी
इन सबके बावजूद कोई चौंकने वाली बात नहीं होगी कि महंगाई के इस बड़े आंकड़ों के बाद भी सोने की खरीदारी फेस्टिवल टाइम में कोई रिकॉर्ड बना जाए. साल 2024 के धनतेरस पर नजर डालें तो उस दौरान करीब 25 टन सोने की बिक्री हुई थी, जिसका मूल्य करीब 20 हजार करोड़ रुपये आंका गया था. इसी तरह देशभर में 250 टन चांदी भी बिकी थी. इसकी अनुमानित कीमत 2,500 करोड़ रुपये रही.
ये आंकड़ा तब है, जब साल 2024 में ही सोने में 30 फीसदी से ज्यादा की तेजी आई थी. वहीं साल 2023 में धनतरेस के मौके पर सोने का भाव 60 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास था, जो 2024 में बढ़कर 80 हजार रुपये हो गया है. वहीं चांदी का भाव साल 2023 में 70 हजार रुपये किलो था, जो 2024 में 1 लाख रुपये के करीब पहुंच गया था.
ये आंकड़े बताते हैं कि सोने-चांदी की कीमतों में इतनी भयानक तेजी होने के बाद भी लोगों में इसकी खरीदारी में कमी नहीं आती है और खास मौकों पर लोग सुनार के पास जुटते हैं.
सोने से मोह की क्या है वजह?
सवाल उठता है कि आखिर इसकी वजह क्या है? सवाल ये भी है कि सोने-चांदी को ही ये तवज्जो क्यों मिलती है? जबकि हीरा, पन्ना, माणिक्य, मोती जैसे रत्न और प्लेटिनम जैसी सोने से भी कीमती धातु होने के बाद भी लोग आभूषण और सेविंग्स-इन्वेस्टमेंट के तौर पर सोना या चांदी को ही तरजीह देते हैं.
सोने के साथ लोगों का भावुकता से भरा जुड़ाव होने का पहला कारण तो धार्मिकता है. सोने को सनातन परंपरा में सबसे शुद्ध धातु बताया गया है. यह भी कहा गया है सोना इतना पवित्र है कि यह धारण करने वाले को हमेशा पवित्र बनाए रखता है. सोने की मौजूदगी होने के मातलब है कि आप के पास किसी न किसी रूप में लक्ष्मीदेवी की कृपा है. पुराणों में सोने को स्वर्ण कहा गया है और स्वर्ण को लक्ष्मी का स्वरूप बताया गया है. देवी लक्ष्मी की कृपा अगर किसी व्यक्ति पर होती है तो वह आसानी से सोने की संपदा का मालिक बन जाता है. उनकी कृपा को सोने के तौर पर ही दिखाया जाता है.
चारों वेदों में सोने का महत्व
सोने के महत्व को समझने के लिए बीते युग में चलें तो इसका संदर्भ ऋग्वेद में भी मिलता है. ऋग्वेद के दशम मंडल में स्वर्ण के लिए हिरण्य शब्द आया है और इसके जरिए सूर्य को परिभाषित किया गया है. यानी पुराणों में जिस सूर्य का पहला नाम आदित्य (अदिति के पुत्र होने के कारण) है, वेदों में उसी सूर्य का पहला नाम हिरण्य है. जिसका अर्थ सुनहरा लिया जाता है. इस तरह सोना (हिरण्य) भारतीय संस्कृति में केवल भौतिक धातु नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और दैवीय शक्ति का प्रतीक माना गया है. वेदों में इसे कई जगहों पर प्रकाश, तेज, समृद्धि और अमरत्व से जोड़ा गया है.
ऋग्वेद में सूर्य को "हिरण्यगर्भ" (स्वर्णगर्भ) कहा गया है. दशम मंडल में सूक्ति है 'हिरण्यगर्भः समवर्तताग्रे भूतस्य जातः पतिरेक आसीत्.'(ऋग्वेद 10.121.1) यहां सूर्य को सारी सृष्टि का स्वर्णगर्भ माना गया है. सूर्य का यह स्वर्णिम तेज ही लाइफ सोर्स और सपोर्टिंग सिस्टम है. इसी वेद में अग्नि, इन्द्र और मरुतों की आभा को 'हिरण्य' कहा गया है. इसका उदाहरण भी एक प्रमुख ऋग्वैदिक सूक्ति में मिलता है.
हिरण्ययैः सविता रश्मिभिर्व्याख्यात्.'(ऋग्वेद 1.35.2) इसका अर्थ है कि, सूर्य अपनी स्वर्णिम किरणों से आकाश और पृथ्वी को प्रकाशित करता है.
इसी तरह यजुर्वेद में यज्ञ के साथ ही सोने का महत्व है. “हिरण्यपात्रं गृह्णामि ते ज्योतिरस्मि, ये सूक्ति कहती है कि हिरण्यपात्र (सोने का पात्र) यज्ञ में शुद्धि और तेज का प्रतीक है. यजुर्वेद (31.18) में "हिरण्ययूप" का भी उल्लेख मिलता है, जिसका अर्थ है स्वर्ण से निर्मित यज्ञ-स्तंभ. यह देवताओं को समर्पण की उच्चतम भावना का प्रतीक है. वहीं अथर्ववेद में सोने को स्वास्थ्य, दीर्घायु और रोगनिवारण का साधन माना गया है. इस बात को अथर्ववेद की एक सूक्ति साबित करती है, जो कहती है 'हिरण्यं भेषजं भवतु.' (अथर्ववेद 2.4.5) यानी सोना औषधि स्वरूप हो, जो जीवन में बल, ओज और आरोग्य प्रदान करे.
सामवेद, जो कि देवताओं यज्ञ की ऋचाओं के गायन का संकलित ग्रंथ है, उसमें देवताओं कि पवित्रता को सोने की उपमा दी गई है. सूक्ति 'हिरण्यपाणिः सविता देवो अस्तु.' (सामवेद 1.3.1) में सूर्य को स्वर्ण करधनी और स्वर्णिम हाथों वाला देवता बताया गया है. यह स्वर्णिम प्रतीक देवत्व और दिव्यता का बोध कराता है. वेदों में सोना केवल भौतिक धातु नहीं, बल्कि सूर्य के तेज, देवताओं की आभा, यज्ञ की पवित्रता और औषधीय शक्ति का प्रतीक है. "हिरण्य" शब्द वेदों में बार-बार आता है, जो यह दर्शाता है कि स्वर्ण यानी सोने को मनुष्य के भौतिक और आध्यात्मिक जीवन दोनों में बहुत महत्व रहा है.
नीतिशतक जैसे ग्रंथों में सोने का महत्व
सोने का महत्व अलग-अलग समय पर पौराणिक आख्यानों में, नीतिग्रंथों और यहां तक मनुस्मृति और पंचतंत्र तक में बताया गया है.
नीति शतक में एक सूक्ति आती है, जिसमें कहा गया है कि 'स्वर्णं कणिकां चापि, निम्नस्थानेपि सर्वदा' अगर सोना निम्न स्थान पर भी पड़ा हो तो उसे ग्रहण करना चाहिए और सद्गुणी कन्या हो लेकिन निम्नकुल में भी हो तो भी उसे सम्मान के साथ स्वीकार करना चाहिए. इसी तरह नीतिशतक एक और सूक्ति में कहता है कि 'सर्वे गुणा कांचनम् आश्रयन्ते' यानी सभी गुण सोने में होते हैं.
सोना वह धातु है जिसका निर्माण सृष्टि में सबसे पहले हुआ, ऐसा माना जाता है. सूर्य के ही तेज से सोने की उत्पत्ति हुई है, इसलिए सोने के सुनहले पन में सूर्य का ही तेज समाया हुआ है. यह सागर मंथन में लक्ष्मी के साथ निकला है, इसलिए उनका भाई है. धरती के गर्भ से प्राप्त होता है इसलिए पाताल लोक का खजाना है. देवता इसे जीतकर स्वर्ग ले गए इसलिए सोना, शक्ति का, सामर्थ्य का और क्षमता का भी प्रतीक बना.
राजा परीक्षित की स्वर्ण कथा
महाभारत में कथा आती है कि राजा परीक्षित के प्रभाव के कारण कलयुग का युग नहीं आ पा रहा था. तब कलियुग एक लाचार फरियादी बनकर परीक्षित की शरण में पहुंचा और रहने की जगह मांगी. उस दिन परीक्षित शिकार पर निकले थे और राज्य से बहुत दूर निकल आए थे. भूखे -प्यासे भी थे और उम्र बढ़ने के कारण कमजोर भी हो रहे थे. इसी दौरान कलियुग उनके सामने शरण मांगने पहुंचा था. वह बार-बार मुझे स्थान दीजिए-मुझे स्थान दीजिए कहकर उनका रास्ता रोक रहा था.
झल्लाए राजा परीक्षित ने उससे कह दिया कि मेरे सिर पर बैठ जाओ. इतना सुनना था कि कलियुग ने राजा का सिर देखा जहां सोने का मुकुट चमक रहा था. कलियुग हंसा और राजा के मुकुट पर बैठ गया. इस तरह वह सोने में प्रवेश कर गया और तबसे सोना लालच का भी प्रतीक बन गया. कलियुग के प्रभाव में राजा परीक्षित ने तपस्या कर रहे ऋषि का अपमान किया और उनके गले में मरा सांप डाल दिया. जिसके कारण राजा को सांप के डंसने से होने वाली मृत्यु का श्राप मिला.
इंद्र के पाप का बोझ ढो रहा है सोना
जब इंद्र ने धोखे से त्रिशिरा को मारा तब उन्हें ब्रह्महत्या का पाप लगा. गुरु बृहस्पति ने उनके पाप को चार भागों में बांट दिया. एक भाग स्त्रियों को मासिक धर्म के रूप में दिया. दूसरा भाग नदियों को बाढ़ के रूप में दिया, तीसरा भाग पेड़ों को गोंद के रूप में दिया और चौथा भाग सोने को लोभ के रूप में दिया.
इसके बावजूद सोना पवित्र धातु है. सोने का स्पर्श मनुष्य को पवित्र कर देता है. यह सौभाग्य का प्रतीक है. सोना स्त्रियों के पास स्त्रीधन के रूप में उनकी पूंजी है. रामायण में माता अनुसूया सीता जी को दिव्य स्वर्ण आभूषण देती हैं और इन्हें हमेशा पहने रहने के लिए कहती हैं, उन्होंने आभूषण के तौर पर सोने का महत्व गृहस्थ जीवन में बताया है, इसलिए सोना गृहस्थों के धन के रूप में मान्यता पाता है. उन्होंने हर आभूषण की जरूरत और उसके महत्व की भी व्याख्या की है. यही व्याख्या सोने की जरूरत को मिडिल क्लास में महत्वपूर्ण बना देती है.
सोने की ग्लोबल मौजूदगी
अब सोने की ग्लोबल मौजूदगी पर बात करें तो भारत दुनिया के सबसे बड़े सोने के आयातक और उपभोक्ताओं में से एक है. 2023 में, भारत ने 747.5 टन सोना आयात किया, जो चीन के बाद दूसरा सबसे अधिक था. एक्सपर्ट मानते हैं कि, भारत और दुनिया के अधिकांश हिस्सों में, सोना मुख्य रूप से मुद्रास्फीति के खिलाफ बचाव के रूप में खरीदा जाता है. 2022 के दौरान, जब वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में, भारत सहित, मुद्रास्फीति हाई थी, सोने ने अच्छे रिटर्न दिए.
कितना बड़ा एसेट है सोना?
साल 2022 में, भारत में सोना बड़ा एसेट क्लास था, जिसमें 11.8% रिटर्न मिले. इसने रियल एस्टेट (9.1% – एनएचबी हाउस प्राइस इंडेक्स के आधार पर), निफ्टी 50 इंडेक्स (5.7%), फिक्स्ड इनकम (4.1% – कुछ डेट म्यूचुअल फंड्स के औसत रिटर्न के आधार पर), और अमेरिकी इक्विटी (-9.1% – एसएंडपी 500 इंडेक्स) से बेहतर रिटर्न दिए. ये सभी आंकड़े फंड्स इंडिया वेल्थ कन्वर्सेशंस – मार्च 2024 की रिपोर्ट पर आधारित हैं.
सोने पर इतना भरोसा क्यों?
सोना महामारी, युद्ध, ट्रेड वार, पॉलिटिकल क्राइसिस जैसे समय में सेफ माना जाता है. कोविड-19 महामारी के दौरान, साल 2020 में सोने ने 27.6% रिटर्न दिए. इसी तरह, नोटबंदी की अनिश्चितता के दौरान, साल 2016 में सोने ने 10.9% रिटर्न दिए. ये रिटर्न डेट (9.2%), रियल एस्टेट (7.6%), और निफ्टी 50 इंडेक्स (4.4%) से बेहतर थे.
सोना जमा करने का सबसे सामान्य लक्ष्य उनके संतान की शादी होता है. अधिकतर 'बिग फेट इंडियन वेडिंग्स' सोने के गहनों की चमक के बिना अधूरी मानी जाती हैं. सोना एक एसेट क्लास के रूप में पोर्टफोलियो वैरियेंट में जरूरी भूमिका निभाता है. इसका इक्विटी, फिक्स्ड इनकम, रियल एस्टेट आदि अन्य एसेट क्लासेस के साथ कम महत्व नहीं है. इसलिए, यह आमतौर पर इन एसेट क्लासेस की हाई-लो परफॉर्मेंस एक्टिविटी के दौरान भी बेअसर रहता है. सबसे बड़ी बात है कि सोना एक स्थिर स्थिति का प्रतीक है और यही बात भारतीयों के लिए सोने के महत्व को बहुत बड़ा बना देती है.