जिला के ‘ज्ञान केन्द्र’ युवाओं के लिये, स्वअध्य्यन एवं प्रतियोगिता की तैयारियों के लिए वरदान
कुल्लू/श्याम कुल्वी
कुल्लू जिला की ग्राम पंचायतों में ‘ज्ञान केन्द्रोंझ् की अवधारणा की पहल के पीछे अनेक कारक सहायक बने हैं। कोविड-19 के दौर में समाज में तमाम व्यवस्थाएं प्रभावित हुई हैं। शिक्षा से लेकर कार्यालय कार्यों के निष्पादन तक अधिकांश गतिविधियों को आॅनलाइन बनाने के कारण विद्यार्थियों को अनेक कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। गांव के कुछ लोग अपने बच्चों के लिये अच्छे मोबाइल फोन खरीदने में असमर्थ थे और यदि जैसे-तैसे मोबाइल की व्यवस्था हो भी गई तो इंटरनेट का अच्छा पैकेज बच्चों को उपलब्ध नहीं करवा पाए। यही परिस्थितियां प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवाओं को भी झेलनी पड़ी। शहर में पुस्तकालय बंद पड़े थे या फिर गांव के सभी युवक अध्ययन के लिये शहरों में नहीं जा पाते। जिलाधीश आशुतोष गर्ग के जहन में काफी अरसे से ऐसा विचार चल रहा था कि किस प्रकार युवाओं को उनके घरद्वार के समीप चौबीस घण्टे बारहमासी इंटरनेट सुविधा से लैस ऐसे पुस्तकालय की स्थापना की जाए जहां पर प्रतियोगी परीक्षाओं सहित सभी आयुवर्ग के लोगों की रूचि की पुस्तकें उपलब्ध हों। शिक्षार्थियों को अध्ययन के लिये एक ऐसा वातावरण तैयार हो जहां वे वाईफ ाई के माध्यम से आॅनलाइन कक्षाओं से सुगमतापूर्वक जुड़ सके। गरीब छात्रों के लिये सुगम व नि:शुल्क पाठन सामग्री की उपलब्धता हो। इसके अतिरिक्त, युवाओं को नशे जैसी सामाजिक बुराईयों से दूर रखने तथा उनमें पढ?े की आदत को विकसित करना भी उनकी सोच रही है। अंतत: व्यापक अध्ययन और सर्वेक्षण के उपरांत उन्होंने जिला में पंचायत स्तर पर पुस्तकालय की स्थापना की पहल करके कुल्लू को प्रदेश का पहला जिला बनने का गौरव प्रदान किया।उनकी यह अद्वितीय पहल जिले के दूरस्थ लोगों के लिए एक सुनहरे भविष्य के निर्माण के लिए कारगर साबित हो रही है। एक वर्ष पूर्व ज्ञान केन्द्र के शुभारंभ के साथ शुरूआत में विकास खण्ड नग्गर की 11 पंचायतों में ज्ञान केन्द्रों में ग्राम पंचायत पांगन, बरूआ, नसोगी, विशिष्ट तथा करालस, कुल्लू विकास खण्ड की पंचायत बनोगी, जिंदौड़ तथा जलूग्रां तथा बंजार विकास खण्ड की सुचैण व दुशाहड़ ग्राम पंचायतें शामिल थी जहां पर एक साथ ज्ञान केन्द्र स्थापित करवाए गए थे। इन केंद्रों की सफलता को देखते हुए इन्हें जिले के अन्य पंचायतों में भी बढ़ाया गया।
उपायुक्त आशुतोष गर्ग का कहना है कि पंचायत स्तर पर पुस्तकालय स्थापित करने की यह मुहिम पिछले एक वर्ष से चल रही है जिसमें निरमण्ड का ब्रो, बजौरा की हाट तथा गाहर के ज्ञान केंद्र इस मुहिम की सफलता का उदाहरण हैं। एक वर्ष की अवधि में जिला में अभी तक कुल 35 ज्ञान केन्द्रों की स्थापना की जा चुकी है। हमारा लक्ष्य है कि पंचायत प्रधानों के सहयोग से चरणबद्ध ढंग से जिला की सभी 235 ग्राम पंचायतों में ज्ञान केन्द्रों की स्थापना की जाए ताकि पढ़ाई के लिए दूरदराज के बच्चों को न तो अधिक दूर का सफ? करना पड़े और न ही पुस्तकों, शिक्षण सामग्री और इंटरनेट जैसी सुविधाओं का अभाव झेलना पड़े।