राजधानी में बढ़ेगी जमीन की कीमत, सरकारी कीमत तय करने प्रस्ताव राज्य मूल्यांकन समिति को

रायपुर। एएनएन (Action News Network)
जिला प्रशासन ने जमीन की सरकारी कीमत तय करने के लिए प्रस्ताव राज्य मूल्यांकन समिति को भेज दिया है। आमतौर पर जिला मूल्यांकन समिति की सभी सिफारिशों को राज्य मूल्यांकन समिति जस का तस लागू कर देती है। इसलिए तय माना जा रहा है कि इस साल जमीन की कीमतें बढ़ना तय है। करीब पांच साल के बाद ऐसा होगा जब जमीन की सरकारी कीमत फिर बढ़ाई जाएगी। अभी तक हर साल 5 से 10 वार्डों में ही मामूली बढ़ोतरी की जाती थी, लेकिन इस साल यह बढ़ोतरी दोगुना से ज्यादा वार्डों में होगी।
राजस्व का लक्ष्य पूरा
करीब पांच साल के बाद ऐसा हो रहा है जब रायपुर को रजिस्ट्री के लिए दिया गया राजस्व का लक्ष्य पूरा हो रहा है, अर्थात रजिस्ट्री ज्यादा संख्या में हुई हैं। इस साल राज्य सरकार ने रायपुर जिले में 485 करोड़ की वसूली का टारगेट रखा था। इसमें अभी तक 80 फीसदी यानी 388 करोड़ से ज्यादा की वसूली हो गई है।
वार्डों की सीमा बदलने से नए सिरे से लैंडमार्किंग
राजस्व विभाग के सूत्रों के अनुसार नगर निगम चुनाव के लिए 70 वार्डों का नए सिरे से परिसीमन किया गया था। वार्डों की सीमाएं बदलने की वजह से कलेक्टर गाइडलाइन भी नए सिरे से बनाई गई है। लगभग सभी वार्डों की सीमा बदलने की वजह से ही इस साल ज्यादा वार्डों में जमीन की कीमत बढ़ गई है। जमीन की सरकारी कीमत लगातार दो साल और बढ़ती है तो जमीन की कीमतें फिर से वहीं हो जाएंगी जो 30 फीसदी की छूट देने से पहले थी। इस साल जमीन की कीमत बढ़ने की वजह से भी राज्य सरकार ने इस छूट को 2020-21 के लिए जारी रखा है।
आरआई-पटवारियों से भी मांगी थी सर्वे रिपोर्
टकलेक्टर गाइडलाइन तय करने के लिए प्रशासन ने शहर के सभी हल्कों के राजस्व निरीक्षकों और पटवारियों से भी सर्वे रिपोर्ट मांगी थी। इसमें पूछा गया था कि शहर के किन इलाकों में जमीन की डिमांड ज्यादा है। किस इलाके में जमीन की खरीदी-बिक्री अधिक हो रही है। आने वाले एक साल में किन वार्डों में निजी और सरकारी प्रोजेक्ट लांच हो रहे हैं। किस क्षेत्र में नई सड़कें बन रही हैं। इस रिपोर्ट के आधार में भी कलेक्टर गाइडलाइन नए सिरे से तय की गई। हालांकि शहर के बड़े बिल्डरों और कई संगठनों का आरोप है कि फील्ड रिपोर्टिंग के बजाय पूछताछ के आधार पर यह सर्वे रिपोर्ट तैयार कर ली जाती है।