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अखिलेश यादव और स्वामी प्रसाद मौर्य के बीच तल्खी भी खूब बढ़ गई, स्वामी प्रसाद पर बरसे अखिलेश यादव पर

नई दिल्ली
स्वामी प्रसाद मौर्य अब सपा से पूरी तरह अलग हो चुके हैं और राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के नाम से नए दल का गठन कर लिया है। इस बीच अखिलेश यादव और स्वामी प्रसाद मौर्य के बीच तल्खी भी खूब बढ़ गई है। स्वामी प्रसाद मौर्य के अलग होने पर अखिलेश ने तंज कसते हुए कहा कि वह फायदे के लिए सपा में आए थे। स्वामी प्रसाद को लेकर मीडिया ने उनसे सवाल किया तो वह बोले, 'लाभ लेने के लिए हर कोई आता है, लेकिन मौके पर कौन टिकता है। किसी के मन में क्या है यह कौन बताएगा?' यही नहीं अखिलेश यादव ने कहा कि क्या ऐसी कोई मशीन है जिससे पता चल पाए कि किसके मन में क्या चल रहा है? लाभ लेकर तो हर कोई चला ही जाता है।'

उनकी यह टिप्पणी आते ही थोड़ी देर में स्वामी प्रसाद का भी तीखा ही जवाब आया। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है समाजवादी पार्टी की केंद्र में और राज्य में सरकार है और वो मुझे लाभ दे रहे हैं। स्वामी ने अखिलेश यादव के बयान पर कहा उनके द्वारा ऐसी शेखचिल्ली बघारना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि मैंने तो हमेशा पद छोड़ा है। मैंने वैचारिकता को प्राथमिकता दी है। विचारों के सामने पद मायने नहीं रखता है। मैंने बहुजन समाज पार्टी में नेता विरोधी दल रहते हुए पार्टी को छोड़ दिया था। सत्ता में रहते हुए मैंने भारतीय जनता पार्टी को छोड़ दिया था।

'गलतफहमी में अखिलेश, रामगोपाल तो ना जाने कैसे प्रोफेसर'
ओबीसी और दलित की जगह जब जनरल भर्ती किए जा रहे थे, तब बीजेपी मैंने छोड़ा था। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव को बहुत बड़ी गलतफहमी है कि विपक्ष में रहकर के वह लाभ दे रहे हैं। यही नहीं उन्होंने कहा कि यदि पद और सम्मान की बात हो रही है तो मैं बहुत जल्दी ही MLC भी छोड़ दूंगा। स्वामी प्रसाद मौर्य बरसे तो उन्होंने अखिलेश के अलावा रामगोपाल यादव पर भी हमले किए। उन्होंने कहा, 'पता नहीं वह कैसे प्रोफेसर हैं। उनकी भाषा में ना सम्मान है ना बातचीत का सलीका और तरीका आता है। प्रोफेसर रामगोपाल यादव समाजवादी पार्टी के हितेषी है या दुश्मन है कोई अभी तक समझ  ही नहीं पाया।

परशुराम का फरसा लहराकर अखिलेश ने तोड़ा 85 बनाम 15 का फॉर्मूला
स्वामी प्रसाद ने यह भी कहा कि अखिलेश यादप सॉफ्ट हिंदुत्व पैदा करना चाहते हैं। अखिलेश यादव ने 85 और 15 का विरोध तभी कर दिया था, जब सुल्तानपुर में परशुराम की मूर्ति लगाकर फरसा लहराया था। अखिलेश यादव सॉफ्ट हिंदुत्व के रास्ते पर चल रहे हैं । वह खुद को सॉफ्ट हिन्दू दिखाने में व्यस्त हैं। भाजपा में जाने के सवाल पर भी स्वामी प्रसाद ने जवाब दिया और कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य जिसको ठुकरा देता है उससे कभी दोस्ती नहीं करता है।

 

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