अन्तर्राष्ट्रीय

आवामी लीग से बैन हटाओ’ पर अमेरिका ने युनुस को दिया झटका, बांग्लादेश में हसीना की वापसी का रास्ता तैयार?

ढाका 

बांग्लादेश में फरवरी में होने वाले आम चुनाव से पहले शेख हसीना की वापसी का रास्ता बनता दिख रहा है. मोहम्मद यूनुस की तानाशाही के खिलाफ अंतरिम सरकार पर अंतरराष्ट्रीय दबाव तेज हो गया है. अमेरिका के प्रभावशाली सांसदों के एक समूह ने साफ शब्दों में चेतावनी दी है कि यूनुस को शेख हसीना की पार्टी वामी लीग से बैन हटाना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर किसी बड़ी राजनीतिक पार्टी को चुनाव प्रक्रिया से बाहर रखा गया, तो यह चुनाव न तो स्वतंत्र होगा और न ही निष्पक्ष. अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की विदेश मामलों की समिति के वरिष्ठ सदस्य ग्रेगरी डब्ल्यू मीक्स, बिल हुईजेंगा और सिडनी कैमलागर-डोव ने मंगलवार को बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस को एक औपचारिक पत्र भेजा. इस पत्र में उन्होंने कहा कि किसी पूरे राजनीतिक संगठन पर प्रतिबंध लगाना लाखों मतदाताओं को उनके वोट के अधिकार से वंचित कर सकता है.

अमेरिकी सांसदों ने यह पत्र ऐसे समय में भेजा है जब बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने जुलाई विद्रोह के बाद अवामी लीग और उसकी छात्र इकाई बांग्लादेश छात्र लीग पर प्रतिबंध लगा रखा है. सांसदों ने स्पष्ट किया कि वे राष्ट्रीय संकट के दौरान अंतरिम सरकार की भूमिका को समझते हैं, लेकिन किसी पार्टी को सामूहिक रूप से दोषी ठहराना बुनियादी मानवाधिकारों और व्यक्तिगत आपराधिक जिम्मेदारी के सिद्धांत के खिलाफ है.पत्र में यह भी चेतावनी दी गई कि राजनीतिक गतिविधियों पर रोक और इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) को दोबारा उसी पुराने स्वरूप में शुरू करना चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचा सकता है.

अमेरिका से यूनुस ने की थी बात

अमेरिकी सांसदों ने जोर दिया कि चुनाव ऐसा होना चाहिए जिसमें जनता शांतिपूर्ण तरीके से बैलेट के जरिए अपनी इच्छा व्यक्त कर सके और सरकारी संस्थानों की निष्पक्षता पर भरोसा बहाल हो. यह पत्र ऐसे समय आया है जब यूनुस ने अमेरिकी विशेष दूत सर्जियो गोर से फोन पर बातचीत की. इस बातचीत में व्यापार, टैरिफ, चुनाव, लोकतांत्रिक संक्रमण और छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या पर चर्चा हुई. यूनुस ने कहा कि देश 12 फरवरी को चुनाव के लिए पूरी तरह तैयार है और अंतरिम सरकार स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण मतदान सुनिश्चित करेगी.

शेख हसीना की बैकडोर से एंट्री!

राजनीति में कहा जाता है कि नेता पद छोड़ सकता है, देश छोड़ सकता है, लेकिन उसका सियासी वजूद रातों-रात खत्म नहीं होता. बांग्लादेश में इन दिनों कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है. पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना भले ही देश से दूर हों, लेकिन उनकी पार्टी अवामी लीग का बेस इतना बड़ा है कि उसे बांग्लादेश के नक्शे से मिटाना नामुमकिन साबित हो रहा है. शेख हसीना को सत्‍ता से हटाने में अहम भूमिका न‍िभाने वाले नेशनल सिटीजन पार्टी (NCP) के संयोजक नाहिद इस्लाम ने चौंकाने वाला दावा किया है. उनका कहना है क‍ि शेख हसीना की पार्टी के नेता अब दूसरी पार्टियों के जरिए मुख्यधारा की राजनीति में लौटने की तैयारी कर रहे हैं. इसे शेख हसीना की बैकडोर एंट्री के तौर पर देखा जा रहा है. नाहिद इस्लाम के दावों ने अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस के सामने एक नई चुनौती खड़ी कर दी है.

5 अगस्त के बदलाव के बाद बांग्लादेश में अवामी लीग के लिए हालात चुनौतीपूर्ण हो गए हैं. पार्टी के कई बड़े नेताओं पर मुकदमे दर्ज हैं. लेकिन अवामी लीग बांग्लादेश की सबसे पुरानी और बड़ी पार्टियों में से एक है, जिसका हर गांव और कस्बे में अपना एक मजबूत वोट बैंक और कार्यकर्ता नेटवर्क है.

नाहिद इस्लाम का दावा है कि विपक्षी पार्टियां खासकर खाल‍िदा ज‍िया की पार्टी बीएनपी और जमात-ए-इस्‍लामी अवामी लीग के इस विशाल वोट बैंक की ताकत को समझती हैं. द डेली स्टार के एक कार्यक्रम में नाहिद ने कहा, इन वोटों को अपने पाले में करने के लिए पर्दे के पीछे एक खेल चल रहा है. दूसरी पार्टियां अवामी लीग के नेताओं को ऑफर दे रही हैं कि अगर वे उनका समर्थन करें, तो उनके खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस ले लिए जाएंगे या उन्हें सुरक्षा दी जाएगी.

शेख हसीना के शुरू हो गए अच्छे दिन

बांग्लादेश में चारों तरफ से बरस रही नफरत की आग के बीच एक ही नाम गूंज रहा है और वो है ‘शेख हसीना’ का…यहां के उग्रवादी पूर्व प्रधानमंत्री की वापसी की डिमांड कर रहे हैं. हालांकि, शेख हसीना ने साफ कर दिया है कि वो किसी धमकी से घबराती नहीं हैं, इस बीच चुपके से उनकी धमाकेदार वापसी की शुरुआत हो चुकी है. देश की एक बड़ी पोस्ट पर शेख हसीना का करीबी बैठ गया है. ये वही पोस्ट है जहां से शेख हसीना के खिलाफ लिए गए कई कानूनी एक्शन कैंसिल हो सकते हैं लेकिन अभी ऐसा कोई ऐलान नहीं हुआ है.

कौन हैं शेख हसीना के करीबी?

बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को बांग्लादेश में फांसी की सजा तक सुनाई जा चुकी है और उन्हें फंदे पर लटकाने के लिए मौजूदा सरकार बार-बार उनके प्रत्यर्पण की डिमांड कर रही है. बांग्लादेश में तबाही मचा रहे आंदोलनकारी भी शेख हसीना का ही नाम जप रहे हैं. इन सबके बीच हाल ही में यूनुस की आखों के सामने हसीना के करीबी जुबैर रहमान चौधरी, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की कुर्सी पर जाकर बैठ गए हैं. बांग्लादेश राष्ट्रपति शहाबुद्दीन ने उनके नियुक्ति पत्र पर मुहर लगी है और बात पक्की हो चुकी है.

कैसे दिखाई शेख हसीना के प्रति वफादारी?

बताया जा रहा है कि अब जुबैर रहमान 27 दिसंबर को कुर्सी पर बैठेंगे और इसके बाद अपनी जिम्मेदारी संभालेंगे. माना जा रहा है कि इस तारीख के बाद से शेख हसीना की देश में धमाकेदार वापसी की शुरुआत हो सकती है. अभी भले ही ऐसा कोई इशारा नहीं मिला है लेकिन रहमान, शेख हसीना के करीबी माने जाते हैं. बताया जाता है कि तख्तापलट के बाद से अपीलीय न्यायालय प्रभाग के न्यायाधीश पद पर रहते हुए रहमान के पास शेख हसीना के खिलाफ कई केसेस आए लेकिन उन्होंने ज्यादातर पर फैसला नहीं दिया.

शेख हसीना के राज में क्या हुआ था?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शेख हसीना के राज में ही जुबैर का कद बढ़ा है. साल 2003 में जुबैर को जज के तौर पर पहली नियुक्ति मिली थी और 2007 में उनकी ही अदालत ने शेख हसीना को एक्सटॉर्शन मामले में राहत दी थी. इसके बाद जब 2008 में शेख हसीना देश की प्रधानमंत्री बनीं तब जुबैर को ढाका हाईकोर्ट में तैनाती मिली. फिर 2017 और 2022 में शेख हसीना के खिलाफ जो जितने भी मामले कोर्ट गए, सभी में शेख हसीना को संजीवनी मिली.

क्या बोलीं शेख हसीना?

हालांकि यूनुस ने यह भी आरोप लगाया कि अपदस्थ शासन के समर्थक करोड़ों डॉलर खर्च कर चुनाव प्रक्रिया को बाधित करने की कोशिश कर रहे हैं और विदेश से हिंसा भड़काई जा रही है. उन्होंने कहा कि सरकार हर चुनौती से निपटने के लिए तैयार है. इसी बीच पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने 22 दिसंबर को कड़ा बयान देते हुए कहा कि अवामी लीग के बिना चुनाव चुनाव नहीं बल्कि ‘राजतिलक’ होगा. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर उनकी पार्टी पर प्रतिबंध बरकरार रहा तो लाखों लोग मतदान से दूर रहेंगे और ऐसी सरकार को नैतिक वैधता नहीं मिलेगी. हसीना ने मौजूदा हिंसा, अल्पसंख्यकों पर हमलों और उस्मान हादी की हत्या के लिए यूनुस सरकार को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि भारत समेत पड़ोसी देश बांग्लादेश की अराजकता को चिंता के साथ देख रहे हैं.

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