धर्म-आस्था

शनि के प्रकोप से बचाएंगी ये 7 चमत्कारी वस्तुएं, बनेंगी साढ़ेसाती-ढैय्या में कवच

सिर्फ साढ़ेसाती या ढैय्या से प्रभावित जातकों को ही शनिदेव दंड नहीं देते, बल्कि उनके लिए भी संकट खड़ा करते हैं, जिनकी कुंडली में शनि देव की स्थिति ठीक नहीं होती.  बताया जाता है कि एक बार शनि की टेढ़ी नजर किसी व्यक्ति पर पड़ गई तो जीवन में उथल पुथल मच जाती है.

हालांकि, शनिदेव हमेशा लोगों से नाराज नहीं होते हैं. कुंडली की ग्रह स्थिति के अनुसार भी उनका प्रभाव देखने में मिलता है. वहीं, यदि एक बार शनिदेव किसी व्यक्ति पर प्रसन्न हो जाएं तो इंसान का जीवन खुशियों से भी भर देते हैं. यदि कुंडली में शनि ठीक न हों या साढ़ेसाती व ढैय्या के प्रभाव में हों तो ये सात उपाय जरूर करें. ये सात ऐसी चमत्कारी चीजें हैं, जिनके प्रयोग से शनिदेव प्रसन्न होते हैं. साथ ही जिंदगी में खुशियां ला सकते हैं.

 

इन सात चीजों से होगा बचाव

1. लोहे का बर्तन: क्या आप जानते हैं शनिदेव के निमित्त जो दान किए जाते हैं, उनमें खाना बनाने के लिए लोहे के बर्तन का विशेष महत्व है. अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में दुर्घटनाओं के योग हों या बार-बार दुर्घटनाएं व ऑपरेशन की नौबत आने लगे तो खाना बनाने के लोहे के बर्तनों का दान करना चाहिए. शनिवार के दिन शाम को किसी निर्धन व्यक्ति को तवा, कड़ाही या लोहे के बर्तन दान करें. दुर्घटना के योग टल जाते हैं.

2. घोड़े की नाल: घोड़े की नाल का शनिदेव के लिए अत्यंत महत्व होता है, पर इस बात का विशेष ध्यान रखें कि उसी घोड़े की नाल का शनिदेव के लिए प्रयोग करें, जो घोड़े के पैर में पहले लग चुकी हो. नई खरीदी गई या बिना इस्तेमाल की गई नाल का कोई प्रभाव नहीं होगा. अगर काले की घोड़े की नाल मिल जाए तो बहुत अच्छा माना गया है. नाल को शुक्रवार के दिन सरसों के तेल से अच्छे से धो लीजिए. शनिवार को शाम को घर के मुख्य द्वार पर लगा दीजिए. इससे घर के क्लेश मिट जाएंगे.

3. काले कपड़े एवं काले जूते: अगर किसी व्यक्ति को स्वास्थ्य की गंभीर समस्या हो एवं बीमारी नहीं जा रही हो तो अपने पहनने की काली चीजें दान करें. शनिवार को शाम को किसी भी निर्धन व्यक्ति को काले कपड़े एवं काले जूतों का दान करें. इसे दान करने के बाद उस व्यक्ति से आशीर्वाद लीजिए. इससे आपका स्वास्थ्य धीरे-धीरे ठीक होने लगेगा.

4. पीपल का वृक्ष: पीपल के वृक्ष को शनिदेव का प्रतीक माना गया है. कभी भी पीपल के वृक्ष के पास गंदगी नहीं करनी चाहिए एवं न ही इस पेड़ को काटना चाहिए, अन्यथा व्यक्ति के जीवन मे संतान बाधा उत्पन्न हो सकती है. अगर किसी व्यक्ति को संतान होने में बाधा आ रही हो तो उसे पीपल का वृक्ष लगवाना चाहिए, जो लोग हर शनिवार को पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाते हैं एवं वृक्ष की 21 बार परिक्रमा करते हैं, उन्हें शनिदेव की साढ़ेसाती एवं ढैय्या में राहत मिलती है.

5. लोहे का छल्ला: शनिदेव की पीड़ा समाप्त करने के लिए लोहे का छल्ला धारण किया जाता है. यह छल्ला अगर घोड़े की नाल या नाव की कील से बना हुआ हो तो ज्यादा लाभकारी होता है. इस छल्ले को धारण करने के लिए जो अंगूठी बनाई जाती है, उसको पहले आग में नहीं तपाया जाता है. शनिवार को इसको सरसों के तेल में थोड़ी देर रख दीजिए. फिर जल से धोकर दाहिने हाथ की मध्यमा अंगुली में धारण कीजिए. अगर किसी भी व्यक्ति को शनि के कारण शारीरिक पीड़ा है या दुर्घटनाओं के योग हैं तो इसको धारण करना बेहद शुभ होगा.

6. सरसों का तेल: शनिदेव के लिए सरसों के तेल का दान करना एवं प्रयोग करना काफी अनुकूल परिणाम देता है. अगर शनिदेव के कारण किसी व्यक्ति को जीवन में सफलता नहीं मिल पा रही है तो वह सरसों के तेल का विशेष प्रयोग करें. शनिवार को प्रातः लोहे के पात्र में सरसों का तेल लीजिए एवं उसमें एक सिक्का डालिये. इसके बाद तेल में अपना चेहरा देखकर किसी निर्धन को दान कर दीजिए या पीपल के नीचे रख दीजिए.

7. उड़द की दाल एवं काला तिल: शनिदेव अगर किसी व्यक्ति के जीवन में आर्थिक समस्याएं दे रहे हों एवं धन का अभाव होता जा रहा हो तो काली उड़द की दाल या काले तिल का प्रयोग कीजिये. शनिवार को शाम में सवा किलो काली उड़द की दाल या काला तिल किसी निर्धन व्यक्ति को दान कीजिये. कम से कम पांच शनिवार ये दान करना होगा. दान करने के साथ ही साथ आपकी आर्थिक समस्याएं समाप्त हो जाएंगी.

ज्योतिष के अनुसार, शनि जब किसी राशि के 12वें भाव या राशि में रहते हैं या किसी राशि के दूसरे भाव में रहते हैं तो उस राशि पर शनि का साढ़ेसाती शुरू हो जाती है. इतना ही साढ़ेसाती का प्रभाव तीन चरणों का होता है, जो ढाई-ढाई साल का तीन चरण होता है. इस तरह से साढ़ेसाती की पूर्ण अवधि साढ़े सात साल की होती है.

ढैय्या की बात करें तो शनि जब गोचर में जन्मकालीन राशि से चतुर्थ या अष्टम भाव में स्थित होते हैं तो इसे शनि ढैय्या कहा जाता है. शनि ढैय्या की अवधि ढाई वर्ष की होती है.

सामान्यत: शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या को अशुभ और कष्टदायक माना जाता है. लेकिन ऐसा नहीं है. कुंडली में शनि की स्थिति के अनुसार ही ढैय्या और साढ़ेसाती का अच्छा या बुरा फल मिलता है. ज्योतिष में शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या के नकारात्मक प्रभाव को दूर करने के उपाय भी बताए गए हैं.

शनिवार को शाम में दशरथ कृत शनि स्त्रोत का पाठ करने से भी शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव कम होता है. शनि देव की कृपा पाने के लिए आप शनिवार के दिन शनि से संबंधित चीजों जैसे, काली उड़द दाल, काले वस्त्र, सरसों तेल, लोहा और गुड़ आदि का दान करें.

बरतें ये सावधानी: शनि देव की पूजा हमेशा सूर्यास्त के बाद ही करें. पूजा में तिल या सरसों तेल का प्रयोग करें, शनिवार को मांसाहार भोजन न करें, पूजा में नीले या काले रंग के वस्त्र पहनें, काले कुत्तों को न सताएं.

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