राष्ट्रीय

तिरुपति लड्डू विवाद, घी खरीद में ठेके के नियमों का उल्लंघन, कंपनी ने नहीं दिया NABL सर्टिफिकेट, TTD की भी घोर लापरवाही?

नईदिल्ली

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू के एक दावे से बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है, जिसमें उन्होंने कहा कि पिछली सरकार के दौरान तिरुपति के लड्डुओं में पशु चर्बी का इस्तेमाल किया गया था. उन्होंने दावा किया किया पिछली वाईएस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली सरकार ने तिरुपति में श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर को भी नहीं बख्शा और लड्डू बनाने के लिए घटिया सामग्री और पशु चर्बी का इस्तेमाल किया.

टीडीपी ने कथित प्रयोगशाला रिपोर्ट दिखाई, जिसमें दिए गए घी के नमूने में “पशु की चर्बी”, “लार्ड” (सूअर की चर्बी से संबंधित) और मछली के तेल की मौजूदगी का भी दावा किया गया है. नमूने लेने की तारीख नौ जुलाई, 2024 थी और प्रयोगशाला रिपोर्ट 16 जुलाई की थी.

 घी टेंडर की कॉपी

इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या घी का टेंडर ब्लैक लिस्टेड कंपनियों को दी गई “अनदेखी या जानबूझकर छूट” का मामला है?  सूत्रों के घी के टेंडर की कॉपी लगी है जिसने  खरीद प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर दिए हैं. सूत्रों के मुताबिक टेंडर की शर्तों का उल्लंघन किया गया और घी को जांच के लिए नहीं भेजा गया. टेंडर के क्लॉज 80 के अनुसार आपूर्ति की गई घी की प्रत्येक खेप के लिए एनएबीएल सर्टिफिकेट प्रस्तुत करना जरूरी है.

इसके अलवा टेंडर क्लॉज 81 के अनुसार तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) को घी के नमूनों को लैब परीक्षण के लिए भेजना अनिवार्य है. सवाल उठ रहे हैं कि अगस्त 2023 और जुलाई 2024 के बीच ब्लैक लिस्टेड कंपनी के पहले के नमूनों में ये मिलावट कैसे नहीं पकड़ी गई? क्या टीटीडी ने एनएबीएल/लैब परीक्षण के लिए नमूने नहीं भेजे? क्या ब्लैक लिस्टेड कंपनी ने उस बैच का एनएबीएल प्रमाणपत्र प्रस्तुत नहीं किया जिसमें मिलावट पाई गई थी?

नायडू का जगनमोहन पर आरोप

तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर का प्रबंधन करता है. प्रकाशम जिले में एक जनसभा को संबोधित करते हुए चंद्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया कि पिछली सरकार ने घटिया किस्म का घी सस्ते दामों पर खरीदा, जिससे लड्डू की गुणवत्ता प्रभावित हुई और तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम की पवित्रता को नुकसान पहुंचा.

उन्होंने कहा, "आज हमने घी आपूर्तिकर्ता को बदल दिया है. हमने कर्नाटक से नंदिनी ब्रांड का घी खरीदना शुरू कर दिया है. लोग कह रहे हैं कि (तिरुपति के लड्डू में मिलावटी घी और पशु चर्बी की मौजूदगी के आरोपों के बाद) उनकी भावनाएं आहत हुई हैं. जब भावनाएं आहत हुई हैं, तो क्या मुझे उन्हें (दोषियों को) छोड़ देना चाहिए? वो भी तब, जब अक्षम्य गलतियां की गई. लोगों की अपने-अपने धर्मों में आस्था है."

टीटीडी के ईओ राव ने कहा, "चारों सैंपल की रिपोर्ट में एक जैसे नतीजे आए हैं. इसलिए हमने तुरंत सप्लाई रोक दी. ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट करने की प्रक्रिया शुरू की गई और जुर्माना लगाने की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी. अब कानूनी प्रक्रिया शुरू होगी." उन्होंने कहा, 'गुणवत्ता में कमी का कारण इन-हाउस लैब का न होना, सैंपल को जांच के लिए बाहरी लैब में भेजना और उचित दरें न होना है. आपूर्तिकर्ताओं ने इन कमियों का फायदा उठाया और 320 से 411 रुपये के बीच घी की आपूर्ति की.'

 तिरुपति लड्डू विवाद में कब क्या हुआ?

जुलाई 2023: केएमएफ ने नंदिनी घी की कीमत बढ़ाई

जुलाई 2023: नंदिनी ने पुष्टि की कि तिरुपति लड्डू अब उनके घी से नहीं बनाए जाएंगे क्योंकि टीटीडी ने तमिलनाडु की नई कंपनी को पैनल में शामिल किया है जो सस्ती दर पर घी उपलब्ध करा रही है.इसके बाद, एआर डेयरी फूड (तमिलनाडु स्थित) को लड्डू के लिए घी की आपूर्ति का ठेका मिला जिसके तहत 320 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से घी की सप्लाई की गई.

जून 2024: टीडीपी सरकार ने जेएस राव को टीटीडी कार्यकारी अधिकारी नियुक्त किया.

जुलाई 2024: एनडीडीबी कैल्फ ने घी के नमूनों पर रिपोर्ट दी, नमूनों में बीफ फैट, मछली का तेल, लार्ड (पशु वसा) सहित मिलावट पाई गई. मिलावट की रिपोर्ट के बाद एआर डेयरी फूड का ठेका रद्द कर दिया गया.

अगस्त 2024 : नंदिनी को 470 रुपये प्रति किलोग्राम पर ठेका दिया गया.

कंपनी बोली- प्रमाणित होने के बाद ही करते थे सप्लाई
एआर डेयरी प्रोडक्ट्स ने कहा, जून और जुलाई में मामला सामने आया था. हमने तिरुपति मंदिर में 0.1% की भी सप्लाई नहीं की है. स्वीकृति के बाद चार टैंकर (घी) दिए गए. उन्होंने भुगतान किया. पांचवें टैंकर की उन्होंने शिकायत की है. हमने इसे चैलेंज किया है. हम प्रतिष्ठित NAPL लैब में परीक्षण और एगमार्क अथॉरिटी द्वारा प्रमाणित होने के बाद ही टैंकर भेज रहे हैं. मामले को राजनीतिक बनाया जा रहा है. रोजाना 10 टन की जरूरत है. जबकि हम 0.1% भी सप्लाई नहीं कर रहे हैं.

रिपोर्ट में हमारा नाम नहीं, रिजल्ट में अन्य कारण भी बताएकंपनी ने आगे कहा, जो रिपार्ट आई है, उसमें अन्य कारण भी बताए गए हैं. जैसे- चारा या पशु दवा के कारण भी ऐसा हो सकता है. उस लैब रिपोर्ट को ध्यान से पढ़ा जाना चाहिए. उस रिपोर्ट में हमारा नाम नहीं है, लेकिन उसमें रिजल्ट के अन्य कारण भी बताए गए हैं. चूंकि, यह क्लोज सब्जेक्ट था और हम इसे टेक्निकल रूप से देख रहे थे. रिपोर्ट के बाद यह फिर गरमा गया है. हम आरोपों को खारिज करते हैं और रिपोर्ट को चैलेंज किया है.

 

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