हरियाणा

आज पूरे देश में खेती और किसान संकट में: हुड्डा

टीम एक्शन इंडिया/चंडीगढ़
आज पूरे देश में खेती और किसान संकट में हैं। बीजेपी ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का सपना दिखाया था लेकिन उसने किसानों की आय की बजाए उसकी लागत और कर्जा कई गुना बढ़ा दिया। ये कहना है पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह का। देश में कृषि व किसानों की हालत पर कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे हुड्डा ने कहा कि यह योजना किसानों की बजाय बीमा कंपनियों के लिए लाभकारी साबित हो रही है। क्योंकि, फसल खराबे के समय किसान मुआवजे का इंतजार करते रहते हैं और कंपनियां मोटा मुनाफा कूटती हैं। हरियाणा में पिछले दिनों हुई बेमौसमी बारिश से हुए नुकसान का मुआवजा अबतक किसानों को नहीं मिला। इस योजना के जरिए अबतक बीमा कंपनियां पूरे देश में 40 हजार करोड़ का लाभ कमा चुकी हैं।
हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस के रायपुर महाधिवेशन में पार्टी ने संकल्प लिया था कि कांग्रेस सरकार बनने पर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की सभी कमियों को दूर कर इसको नया स्वरूप दिया जाएगा। बीमा योजना का संचालन सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों द्वारा किया जाएगा, जो कि ‘नो-प्रॉफिट, नो-लॉस’ के सिद्धांत पर काम करेंगी। इसके लिए रिवॉल्विंग फंड का इंतजाम किया जाएगा । साथ ही इसका लाभ भूमिहीन खेतिहर मजदूरों को भी दिया जाएगा। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि आज किसानों को ना मुआवजा मिल रहा है और ना एमएसपी। इसी सीजन में किसानों को अपनी सरसों और गेहूं को एमएसपी से कम रेट पर बेचने पड़ रहे हैं। उन्होंने खुद मंडियों का दौरा करके किसानों का दर्द जाना। 2018-19 के बजट में सरकार ने टॉप स्कीम का ऐलान किया था ताकि टमाटर, प्याज और आलू जैसी सब्जियां उगाने वाले किसानों को लाभ पहुंचाया जा सके। लेकिन आज पंजाब के किसानों की शिमला मिर्च, मध्य प्रदेश के किसानों का टमाटर, महाराष्ट्र के किसानों की प्याज और हरियाणा के किसानों का आलू बुरी तरह पिट रहा है। पिछले दिनों उन्होंने खुद कुरुक्षेत्र की मंडी का दौरा किया तो किसानों ने उन्हें बताया कि उनका आलू आज 50 पैसे प्रति किलो के रेट पर पिट रहा है। जबकि उसे उगाने की लागत ?5-6 प्रति किलो है। इसी तरह आज सरसों किसानों को भी एमएसपी नहीं मिल पा रही है। किसान अपनी फसल को एमएसपी से 1000-1500 रुपए कम रेट पर बेचने के लिए मजबूर है। यहीं हाल गेहूं का है। ऊपर से बेमौसमी बारिश के चलते हुए लस्टर लॉस पर सरकारी खरीद एजेंसियों से गेहूं के रेट में भारी भरकम वैल्यू कट लगाने का फैसला लिया है। जबकि सरकार को ये वैल्यू कट खुद वहन करना चाहिए और किसानों को प्रति क्विंटल 500 रुपये का बोनस देना चाहिए। हुड्डा ने कहा कि बीजेपी स्वामीनाथन आयोग के सी2 फामूर्ले पर किसानों को एमएसपी देने का वादा करके सत्ता में आई थी। किसान आंदोलन के समय सरकार ने एमएसपी की लीगल गारंटी के लिए एक कमेटी बनाई थी, आज उनका कोई अता-पता नहीं है। सच्चाई यह है कि किसानों को एमसपी देने के मामले में मौजूदा सरकार कांग्रेस के सामने दूर-दूर तक कहीं नहीं ठहरती। उदहारण के तौर पर मौजूदा सरकार के कार्यकाल में धान की एमएसपी में मात्र 6% सालाना की बढ़ोत्तरी हुई है। जबकि कांग्रेस कार्यकाल में 12.6 प्रतिशत बढ़ोत्तरी होती थी। इसी तरह गेहूं की एमएसपी में आज 5.5 प्रतिशत सालाना बढ़ोत्तरी हो रही है, जबकि कांग्रेस सरकार के दौरान ये बढ़ोत्तरी 12.2 प्रतिशत थी। अरहर के रेट में मौजूदा सरकार द्वारा सिर्फ 5.8 प्रतिशत तो कांग्रेस द्वारा 21.6 प्रतिशत और मूंग के दाम में बीजेपी सरकार द्वारा 5.8 प्रतिशत तो कांग्रेस सरकार द्वारा 22.8 प्रतिशत सालाना की बढ़ोत्तरी की गई। किसानों की हालत इतनी खराब है कि आज किसान मात्र 27 रुपये प्रतिदिन कमा रहा है।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि किसानों की स्थिति सुधारने के लिए कांग्रेस उनको स्वामीनाथन आयोग के सी2 फामूर्ले के तहत कानूनी गारंटी के साथ एमएसपी देगी। कांग्रेस का मानना है कि एमएसपी की दायरे को और बढ़ाकर अन्य फसलों पर भी लागू किया जाना चाहिए। अदरक, लहसुन, हल्दी, मिर्च से लेकर बागवानी तक सभी कृषि उत्पादों को गारंटीशुदा कीमत मिलनी चाहिए। हुड्डा ने किसानों पर खतरनाक रूप से बढ़ते जा रहे कर्ज के बोझ को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की। बीजेपी सरकार के दौरान किसानों पर कुल बकाया कर्ज 2021-22 में बढ़कर ?23.44 लाख करोड़ हो चुका है, जो कि 31 मार्च, 2014 तक ?9.64 लाख करोड़ था। यूपीए सरकार ने 2007 में किसानों के लिए ?72,000 करोड़ की कर्ज माफी योजना को लागू किया था। कांग्रेस की राज्य सरकारें लगातार किसानों को कर्ज मुक्ति दिलाने की दिशा मे काम कर रही हैं। लेकिन बीजेपी सरकार लगातार पेट्रोल-डीजल, खाद, बीज, दवाई व खेती उपकरणों पर टैक्स लगाकर किसानों की लागत बढ़ा रही है। हुड्डा ने कहा है कि बीजेपी सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के अपने वादे को पूरा करने में फेल साबित हुई है। खेती से जुड़ी बजट में भी लगातार कटौती की जा रही है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के बजट को ?68,000 करोड़ से घटाकर ?60,000 करोड़ कर दिया गया। इसी तरह पीएम फसल बीमा योजना के लिए आवंटन 15,000 करोड़ से घटाकर इस साल 13,625 करोड़ रुपया कर दिया है। एफसीआई को मिलने वाली खाद्य सब्सिडी 2.14 लाख करोड़ से घटाकर 1.37 लाख करोड़ कर दी गई।
खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत खाद्य सब्सिडी 72,000 करोड़ से घटाकर 59,793 करोड़ कर दी गई है। मनरेगा के बजट को 73,000 करोड़ से घटाकर 60,000 करोड़ कर दिया गया है।

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