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कल बजट सत्र से पहले शीतकालीन सत्र के दौरान निलंबित विपक्षी सांसदों का निलंबन रद्द किया जाएगा, सरकार का बड़ा फैसला

नई दिल्ली
कल 31 जनवरी से शुरू होने वाले संसद के बजट सत्र से पहले सभी सांसदों का निलंबन रद्द किया जाएगा। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि शीतकालीन सत्र के दौरान निलंबित विपक्षी सांसदों का निलंबन रद्द किया जाएगा। इस दौरान सभी 11 राज्यसभा सांसदों का निलंबन रद्द कर दिया गया है। बता दें कि पिछले साल शीतकालीन सत्र के दौरान 146 सांसदों को निलंबित कर दिया गया था। विपक्षी सांसद लोकसभा में सुरक्षा उल्लंघन को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री से बयान की मांग कर रहे थे। भारी हंगामे के बीच इन सांसदों को निलंबित किया गया था।

निलंबित सांसदों के निलंबन को रद्द करने के बारे में पूछे जाने पर संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, "सभी (निलंबन) रद्द किए जाएंगे। मैंने (लोकसभा) अध्यक्ष और (राज्यसभा) सभापति से बात की है। मैंने सरकार की ओर से भी उनसे अनुरोध किया है…यह अध्यक्ष और सभापति का अधिकार क्षेत्र है। इसलिए, हमने उन दोनों से अनुरोध किया है कि वे संबंधित विशेषाधिकार प्राप्त समितियों से बात करें, निलंबन रद्द करें और उन्हें सदन में आने का अवसर दें। दोनों राजी हो गए हैं।" जब उनसे पूछा गया कि क्या निलंबित सांसद कल से सदन में आएंगे तो उन्होंने कहा, "हां।"

146 में से 132 सांसदों को संसद के केवल शीतकालीन सत्र तक के लिए ही निलंबित किया गया। इसलिए जब दोनों सदन के सत्र फिर से शुरू होंगे तो उनका निलंबन रद्द कर दिया जाएगा। बाकी बचे हुए 14 सांसदों में 11 राज्यसभा से और 3 लोकसभा से हैं। इनके मामले को संसद की विशेषाधिकार समितियों के पास भेजा गया था और कहा गया था कि समिति का फैसला आने तक उन्हें निलंबित कर दिया गया है। अब इन सांसदों का निलंबन भी वापस ले लिया गया है। लोकसभा की विशेषाधिकार समिति ने जहां 11 जनवरी को 11 लोकसभा सांसदों का निलंबन रद्द कर दिया था, वहीं 2 राज्यसभा सांसदों का निलंबन आज रद्द कर दिया गया।

इससे पहले बजट सत्र के मद्देनजर सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में मंगलवार को विभिन्न दलों के नेता शामिल हुए। रक्षा मंत्री और लोकसभा में सदन के उपनेता राजनाथ सिंह, संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी और संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बैठक में सरकार का प्रतिनिधित्व किया। संसद भवन परिसर में हुई इस बैठक में उपस्थित नेताओं में कांग्रेस के नेता कोडिकुनिल सुरेश, तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के नेता टी आर बालू, शिवसेना के राहुल शेवाले, समाजवादी पार्टी के नेता एस टी हसन, जनता दल (यूनाइटेड) के नेता राम नाथ ठाकुर और तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) के जयदेव गल्ला शामिल थे।

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का बैठक में प्रतिनिधित्व करने वाले कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि उन्होंने असम में राहुल गांधी के नेतृत्व वाली ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ पर ‘‘हिंसक हमले’’ और उस पर राज्य सरकार द्वारा लगाई गई पाबंदियों का मुद्दा उठाया। उच्च सदन में कांग्रेस के उप नेता तिवारी ने संवाददाताओं से कहा कि देश में ‘‘अघोषित तानाशाही’’ कायम है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद जैसे विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने के लिए सीबीआई और ईडी का दुरुपयोग कर रही है।

तिवारी ने कहा कि उन्होंने विपक्षी दलों से सलाह के बाद ये मुद्दे उठाए हैं। प्रत्येक सत्र से पहले एक बैठक बुलाने की प्रथा है । बैठक में विभिन्न दलों के नेता उन मुद्दों को उजागर करते हैं जिन्हें वे संसद में उठाना चाहते हैं, और सरकार उन्हें अपने एजेंडे की एक झलक बताती है और उनका सहयोग मांगती है। संसद के प्रत्येक सत्र से पहले बैठक बुलाने की एक पंरपरा है जिसमें विभिन्न दलों के नेता उन मुद्दों को सामने रखते हैं जिन्हें वे संसद में उठाना चाहते हैं और सरकार उन्हें अपने एजेंडे के बारे में जानकारी प्रदान करती है और सदन चलाने में उनका सहयोग मांगती है।

लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले, 31 जनवरी से शुरू हो रहे संसद के बजट सत्र के मद्देनजर सरकार ने मंगलवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई थी जिसमें विभिन्न दलों के नेता शामिल हुए। इस बार 31 जनवरी से 9 फरवरी के बीच संसद सत्र होगा जिसमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लोकसभा चुनाव से पहले अंतरिम बजट पेश करेंगी। पूर्ण बजट नयी सरकार पेश करेगी। सत्र की शुरुआत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के संबोधन से होगी।

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