डा.श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की
टीम एक्शन इंडिया
राजकुमार प्रिंस
करनाल। श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि के अवसर पर वार्ड 12 के बूथ नंबर 33, 34, 35 के भाजपा कार्यकर्ताओं ने उनके चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। पूर्व पार्षद एवं भाजपा जिला मीडिया प्रभारी डा अशोक कुमार ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि आज हम सभी भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि को बलिदान दिवस के रूप में मना रहे हैं।
डा. अशोक कुमार ने उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि आज ही के दिन 23 जून 1953 को श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने श्रीनगर जेल में संदिग्ध हालत में अंतिम सांस ली। जिस संदिग्ध हालत में उनकी जान गई, वह आज भी हम सभी के लिए एक प्रश्नवाचक चिह्न बनकर रहा है।
एक देशभक्त, शिक्षाविद और सामाजिक न्याय दिलाने वाले नेता के रूप में हम सब जानते हैं। उन्होंने कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई, 1901 को एक संभ्रांत परिवार में हुआ था। महानता के सभी गुण उन्हें विरासत में मिले थे। उनके पिता आशुतोष बाबू अपने जमाने ख्यात शिक्षाविद् थे। डॉ. मुखर्जी ने 22 वर्ष की आयु में एमए की परीक्षा उत्तीर्ण की तथा उसी वर्ष उनका विवाह भी सुधादेवी से हुआ।
उनको दो पुत्र और दो पुत्रियां हुई। वे 24 वर्ष की आयु में कोलकाता विश्वविद्यालय सीनेट के सदस्य बने। उनका ध्यान गणित की ओर विशेष था। इसके अध्ययन के लिए वे विदेश गए तथा वहां पर लंदन मैथेमेटिकल सोसायटी ने उनको सम्मानित सदस्य बनाया। वहां से लौटने के बाद डॉ.मुखर्जी वकालत तथा विश्वविद्यालय की सेवा में कार्यरत हो गए। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कर्मक्षेत्र के रूप में 1939 से राजनीति में भाग लिया और आजीवन इसी में लगे रहे। उन्होंने गांधी जी व कांग्रेस की नीति का विरोध किया, जिससे हिन्दुओं को हानि उठानी पड़ी थी। एक ही देश में दो झंडे और दो निशान भी उनको स्वीकार नहीं थे।
भाजपा कर्ण मंडल महामंत्री अजय कश्यप ने कहा कि डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी जम्मू-कश्मीर को भारत का पूर्ण और अभिन्न अंग बनाना चाहते थे। संसद में अपने भाषण में उन्होंनें धारा-370 को समाप्त करने की भी जोरदार वकालत की।