तुलसी नगर के 535 अवैध प्लाॅट मालिक जमा करवा सकेंगे विकास शुल्क
इंदौर
तुलसी नगर के माथे पर लगा अवैध का धब्बा हट गया है। अब इस कालोनी के रहवासी भी शान से कह सकेंगे कि हमारी कालोनी वैध है। तुलसी नगर काॅलोनी के 535 प्लाॅट के भवन स्वामियों, भूखंडधारकों को भवन अनुज्ञा, जल संयोजन और विद्युत संयोजन से संबंधित विकास शुल्क की राशि जमा करने की अनुमति मिल गई है। महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने गुरुवार को तुलसी नगर रहवासियों को इस संबंध में जारी अधिसूचना की प्रति सौंपी। 22 साल बाद तुलसी नगर के लोगों को राहत मिली है।
अधिसूचना का प्रकाशन होगा
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महापौर ने बताया कि तुलसी नगर के सभी 535 भूखंडों के नियमितिकरण की अधिसूचना का प्रकाशन किया जा रहा है। तुलसी नगर के इन सभी भूखंडधारकों को कालोनी में अधोसंरचना के विकास के लिए निगम द्वारा निर्धारित विकास शुल्क जमा करना होगा।
प्लाॅट के क्षेत्रफल के हिसाब से लगेगा विकास शुल्क
महापौर ने बताया कि तुलसी नगर के भूखंडों को लेकर सार्वजनिक सूचना जारी करने के बाद प्राप्त दावे-आपत्तियों का निराकरण करने के बाद अभिन्यास को अंतिम रूप दिया गया है।
भूखंड, भवन स्वामियों को उतने क्षेत्रफल का विकास शुल्क जमा कराना होगा जितने की रजिस्ट्री उनके पास है।
तुलसी नगर के नियमितीकरण के बाद यहां विधिवत भवन अनुज्ञा, जल संयोजन, विद्युत संयोजन की स्वीकृति निगम से प्राप्त हो सकेगी।
भूखंड, भवनस्वामी अपने भूखंड के क्षेत्रफल के हिसाब से विकास शुल्क की राशि नगर निगम के कालोनी सेल में जमा कर सकते हैं।
रहवासियों ने जताया आभार
तुलसी नगर के नियमितिकरण को लेकर रहवासियों ने आभार जताया है। तुलसी सरस्वती सोशल वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष राजेश तोमर तथा सोसायटी के अन्य पदाधिकारियों को महापौर पुष्यमित्र भार्गव, विधायक महेंद्र हार्डिया, काॅलोनी सेल प्रभारी राजेश उदावत की उपस्थिति में अधिसूचना की प्रति सौंपी गई।
रहवासी महासंघ के संयोजक केके झा ने तुलसी नगर के शेष प्लाॅटों के शीघ्र नियमितीकरण का अनुरोध किया।
एक दशक से भी ज्यादा लंबा है तुलसी नगर के रहवासियों का संघर्ष
तुलसी नगर के रहवासियों का संघर्ष एक दशक से भी ज्यादा लंबा है। यह काॅलोनी किसी समय पंचायत में आती थी। 29 गावों के निगम सीमा में शामिल होने के साथ ही यह काॅलोनी नगर निगम क्षेत्र में आ गई। इसके बाद कालोनी में अनियोजित विकास की बात सामने आई।
कई जगह काट दिए गए प्लॉट
नगर निगम के सर्वे में पता चला कि तुलसी नगर में उद्यान की जमीन, नजूल की जमीन, नाले की जमीन पर भी प्लाॅट काट कर बेचे गए हैं। रहवासी महासंघ के संयोजक केके झा ने बताया कि प्रदेश में सीलिंग एक्ट के खत्म किए जाने के लगभग 22 वर्ष बाद छूट प्राप्त सीलिंग जमीन की सूची के आधार पर बगैर किसी सुनवाई के तुलसी नगर को अवैध काॅलोनी घोषित कर दिया गया था। यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के विरुद्ध था।
रहवासियों ने इसका विरोध किया। जनप्रतिनिधियों से लेकर मुख्यमंत्री तक को ज्ञापन दिया। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भी तुलसी नगर के नियमितीकरण को लेकर अभियान चला था। यह चुनावी मुद्दा भी बना। झा के मुताबिक तुलसी नगर में करीब 2400 भूखंड हैं। फिलहाल इनमें से 535 का नियमितीकरण किया जा रहा है। हमने मांग की है कि शेष भूखंडों के नियमितीकरण की कार्रवाई भी शीघ्र की जाए।