राष्ट्रीय

सीजेआई के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट में कॉलेजियम सिस्टम के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करने से किया इनकार

नई दिल्ली
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति वाले कॉलेजियम सिस्टम के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। याचिका में कॉलेजियम सिस्टम को खत्म करने की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट की बेंच में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल थे। याचिका को वकील मैथ्यूज नेदुमपारा ने दायर की थी।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला एवं न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने वकील मैथ्यूज नेदुम्परा की इस दलील पर गौर किया कि कॉलेजियम प्रणाली को खत्म करने का अनुरोध करने वाली उनकी रिट याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाना है। वकील ने कहा, ''मैंने कई बार इसका उल्लेख किया है। रजिस्ट्री ने इसे खारिज कर दिया है और वह मेरी याचिका को सूचीबद्ध नहीं कर रही है।'' प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ''रजिस्ट्रार (सूचीबद्ध करने से संबंधित) ने कहा है कि जब संविधान पीठ किसी चीज पर एक बार फैसला सुना दे तो अनुच्छेद 32 के तहत याचिका (इस अनुच्छेद के तहत मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के आधार पर याचिका सीधे उच्चतम न्यायालय में दायर की जा सकती है) सुनवाई योग्य नहीं होती। रजिस्ट्रार के आदेश के विरुद्ध अन्य उपाय भी हैं।''

'मैं माफी चाहूंगा'
वकीलों ने कहा कि राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्त‍ि आयोग (एनजेएसी) पर फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका चैंबर में खारिज कर दी गई थी। उन्होंने कहा, ''यह संस्था की विश्वसनीयता का सवाल है। कॉलेजियम प्रणाली को खत्म करना होगा।'' इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ''मैं माफी चाहूंगा।'' पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने एनजेएसी अधिनियम और 99वें संविधान संशोधन को 17 अक्टूबर, 2015 को असंवैधानिक करार दिया था और इसे खारिज कर दिया था। इसमें नेताओं और नागरिक समाज को उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया में अंतिम अधिकार देने का प्रावधान था। पीठ ने कहा था कि स्वतंत्र न्यायपालिका संविधान की मूल संरचना का हिस्सा है।

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने कॉलेजियम प्रणाली को हटाने के लिए एनजेएसी विधेयक पारित किया था। इस प्रणाली के तहत न्यायाधीशों का एक समूह फैसला करता है कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश कौन होंगे। एनजेएसी ने इसके लिए छह सदस्यों वाली एक संस्था बनाने का प्रस्ताव रखा था जिसमें प्रधान न्यायाधीश, उच्चतम न्यायालय के दो वरिष्ठतम न्यायाधीश, केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री और दो प्रतिष्ठित व्यक्तियों को सदस्य बनाने की बात की गई थी।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button