
उरला के करालडी में तीन दैवीय शक्तियों का हुआ महामिलन
मंडी/खेमचंद शास्त्री
मंडी जिला की चौहारघाटी के पहाड़ी बजीर नाम से विख्यात आराध्य देव श्री पशाकोट उरला के करालडी स्थित काष्ठकुणी शैली से नवनिर्मित मंदिर में विराजमान हुए। नए मंदिर के प्रतिष्ठा समारोह में मंडी जनपद के बड़ा देव हुरंग काली नारायण और इलाका रुहाड़ा के आराध्य देव सूत्रधारी ब्रह्मा ने भी मंदिर प्रतिष्ठा में विशेष रूप से शिरकत की। देव समाज मे पहली बार एक नया इतिहास भी बना। बड़ा देव हुरंग काली नारायण इतिहास में पहली बार किसी मंदिर की प्रतिष्ठा में शामिल हुए। तीन दैवीय शक्ति के आगमन से उरला क्षेत्र का माहौल भक्तिमय बना हुआ है। तीनों देवताओं के आपस में हुए भव्य मिलन के हजारों की तादाद में श्रद्धालु साक्षी बने। मंदिर कमेटी सहित स्थानीय ग्रामीणों द्वारा करालडी पहुंचने पर तीनों देवताओं का भव्य स्वागत किया गया। झ्बड़ादेव हुरंग नारायण ने रिबन काट किया उदघाटन
मंडी जनपद के बड़ा देव हुरंग नारायण के पुजारी इंद्र सिंह मुगलाना ने रिबन काट कर मंदिर का उदघाटन किया। इस मौके पर तीनों देवताओं के गुर, पुजारी, दुमच और अन्य कारदार मौजूद रहे। श्रद्धालुओं ने देवताओं की विधिवत पूजा अर्चना कर मनोकामना की। वहीं मणौतियाँ भी चढ़ाई।
80 लाख की लागत से निर्मित काष्ठकुणी मंदिर में विराजमान हुए पहाड़ी बजीर
मंडी जिला की चौहारघाटी में पहाड़ी बजीर नाम से विख्यात आराध्य देव पशाकोट 80 लाख की लागत से नव निर्मित काष्ठ कुणी शैली मंदिर में विराजमान हुए। नवनिर्मित मंदिर को जिला की सराज घाटी के विख्यात काष्ठकुणी कारीगरों ने ढंग की नकासी से प्रदर्शित किया है।
मंदिर में भगवान भोलेनाथए विष्णु महाराज और राधे कृष्णा की मूर्तियां भी अपनी शोभा बढ़ा रही हैं। मंदिर में पहुंच रहा हर श्रद्धालु कारीगरों की काष्ठ कुणी शैली के कायल हैं।