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180 रुपये की उड़द तो 200 के पार जाएगी अरहर, देश में दालें मचाएगी कहर!

किसने सोचा था, जिस टमाटर को उगाने में कोई ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ती, उसका प्रोडक्शन कम होगा और कीमतें 150 रुपये प्रति किलो पहुंच जाएंगी. अब इसका प्याज और आलू पर भी साफ देखने को मिल रहा है और दूसरी सब्जियों के दाम भी आसमान पर पहुंच गए हैं. ऐसे अगला नंबर दालों का आने वाला है. जी हां, अब दालें देश में बवाल की शक्ल में सामने आने वाली है. जिनकी बुवाई 31 से 60 फीसदी तक कम हुई है. इनके दाम भी डबल सेंचुरी लगाने को तैयार बैठीं हैं. इसका कारण भी है दालों के दाम में कुछ दिनों से लगातार तेजी बनी हुई है.

कहा ये जा रहा है अरहर और उड़द राज्यों में पैदा होती है, वहां बारिश 30 से 40 ही मानसून आ पाया है. यही वजह है कि दालों को लेकर अभी से चिंता होनी शुरू हो चुकी है. आरबीआई महंगाई को कम करने की जो मुहिम छेड़ चूंकी हैं, उसके आगे आने वाले 6 महीने काफी चुनौतिपूर्ण होने जा रहा है. बुवाई कम तो प्रोडक्शन हुआ और प्रोडक्शन कम होने मार्केट में सप्लाई की जरुरत होंगी तो महंगाई तो बढ़ेगी तो महंगाई दर में इजाफा देखने को मिलेगा जो मई में 25 महीने के लोबर लेवल पहुंच गई थी. ऐसे में उन परिस्थितियों को मथना काफी जरूरी है, जिसने दालों की महंगाई में इजाफा कर दिया है.

65 फीसदी बुवाई हुई ही नहीं

भारत के अधिकांश हिस्सों में मानसूनी बारिश में तेजी के बावजूद, शुक्रवार को समाप्त सप्ताह तक खरीफ फसलों का रकबा पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले लगभग 8.6 फीसदी देखने को मिला. चावल, दालें जैसे अरहर और उड़द, सोयाबीन जैसी खरीफ फसलों का रकबा काफी कम हो गया है. लेकिन, पिछले महीने के मिड से मानसून की बारिश में जोरदार बढ़ोतरी देखी जा रही है, उम्मीद है कि आने वाले हफ्तों में कुछ प्रमुख फसलों के संबंध में रकबे में साल-दर-साल अंतर कम हो जाएगा. इसके अलावा, यदि बुआई समय पर हो जाती है तो बुवाई की कमी काफी ​हद तक पूरी हो जाएगी. कुल मिलाकर, ख़रीफ फसलें लगभग 101 मिलियन हेक्टेयर में होती हैं. शुक्रवार तक 35.34 मिलियन हेक्टेयर में बुआई पूरी हो चुकी थी (लगभग 35 फीसदी) इसलिए जुलाई के शेष सप्ताहों और अगस्त में भी बारिश का जरूरी हो चली है.

दालों का कम हो सकता है प्रोडक्शन

व्यापारियों के अनुसार, अरहर या तुअर जैसी कुछ फसलों के लिए, बाजार ने पहले ही पैदावार में गिरावट और कीमतों में कमी ना होने की बात माननी शुरू कर दी है. इससे फूड इंफ्लेशन को कम रखने के प्रयासों पर असर पड़ सकता है क्योंकि अरहर की दाल रोजमर्रा में यूज होने वाली प्रमुख वस्तुओं में से एक है. शुक्रवार तक अरहर का रकबा सालाना आधार पर लगभग 60 फीसदी कम यानी 0.6 मिलियन हेक्टेयर था, जोकि पिछले साल की समान अवधि में 1.5 मिलियन हेक्टेयर देखने को मिला था. अगर बात उड़द की दाल की करें तो रकबा पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 31.43 फीसदी कम देखने को मिला है. इस साल का रकबा 0.48 मिलियन हेक्टेयर है जो पिछले साल 0.7 मिलियन हेक्टेयर था. वहीं दूसरी ओर चावल की बात करें तो 23.8 फीसदी यानी साल 2022 में 7.1 मिलियन हेक्टेयर था, इस साल रकबा 5.41 मिलियन हेक्टेयर देखने को मिला है. चावल का रकबा मुख्य रूप से पंजाब, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में कम हुआ है. पंजाब में, जो एक प्रमुख चावल उत्पादक राज्य है, जहां पर बुवाई थोड़ी ठीक—ठाक देखने को मिली है.

बारिश कम होने से बुवाई हुई कम

बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनवीस ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत करते हुए कहा कि कि महाराष्ट्र और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में, जहां पर अरहर का प्रोडक्शन ज्यादा होता है, वहां पर मानसूनी बारिश में कमी देखने को मिली है. इसीलिए बड़े पैमाने पर बुवाई शुरू नहीं हो सकी है. आंकड़ों के अनुसार कर्नाटक में मॉनसून वर्षा लगभग 36 फीसदी कम है और महाराष्ट्र के विभिन्न क्षेत्रों में 31 फीसदी से 43 फीसदी के बीच है. महाराष्ट्र में उड़द का रकबा तेजी से कम हुआ है. पंजाब में मानसून की बारिश भी कुछ हद तक जोरदार रही है और इससे चावल की बुआई में भी मदद मिलेगी.

क्या अरहर लगाएगा दोहरा शतक?

अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या दालों की कीमतों में असर देखने को मिलेगा? जानकारों की मानें तो अगर बुवाई में कमी इसी तरह से देखने को मिली तो अगस्त के मिड या आखिरी हफ्ते तक अरहर की दाल दोहरा शतक लगा सकती है. जी हां, अरहर की दाल 200 रुपये प्रति किलोग्राम तक भी पहुंच सकती है. आईआईएफल के वाइस प्रेसीडेंट और एग्री कमोडिटी के जानकार अनुज गुप्ता कर कहना है कि अगर बुवाई में कमी जारी रहती है तो अरहर के दाम 180—200 रुपये तक पहुंच सकते हैं, जबकि उड़द की दाल के दाम 130 रुपये से 150 रुपये पर आ सकते हैं. मौजूदा समय की बात करें तो कंज्यूमर डिपार्टमेंट के अनुसार देश में अरहर की दाल के औसत दाम 132.63 रुपये प्रति किलोग्राम देखने को मिले हैं, जबकि दिल्ली में 148 रुपये है. देश के विजयवाड़ा में अरहर की दाल 163 रुपये सबसे ज्यादा महंगी है. वहीं दूसरी ओर उड़द की दाल की औसत वैल्यू 112.7 रुपये प्रति किलोग्राम है. दिल्ली में 123 रुपये प्रति किलोग्राम पर कारोबार कर रहा है. वहीं यूपी के एटा में दाम अभी से 150 रुपये के पार पहुंच गए हैं.

अलनीनो का असर होगा या नहीं होगा

आईसीएफएआई बिजनेस स्कूल, हैदराबाद के प्रतिष्ठित प्रोफेसर एस महेंद्र देव ने कहा कि जून में देश के कई हिस्सों में मानसून की बारिश समय पर नहीं हुई और इसके कारण बुआई में देरी हुई. देव ने कहा कि अब भी, तेलंगाना के कई हिस्सों में, दक्षिण-पश्चिम मानसून कमजोर है. अब यह सब जुलाई और अगस्त में होने वाली बारिश और अल नीनो के प्रभाव पर निर्भर करता है. यदि अल नीनो के कारण अगस्त के बाद मानसून में मंदी आती है, तो इससे खरीफ की बुआई पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन यदि अल नीनो जुलाई और अगस्त में वर्षा को प्रभावित करना शुरू कर देता है, तो यह खरीफ फसलों और उनकी पैदावार को नुकसान पहुंचा सकता है. 1 जून से 7 जुलाई तक दक्षिण-पश्चिम मानसून वर्षा लगभग 215 मिमी रही है, जो सामान्य से लगभग 3 फीसदी कम है. मौसम विभाग के अधिकारियों को उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में यह कमी दूर हो जाएगी.

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