अन्तर्राष्ट्रीय

US ने यमन में हूती विद्रोहियों को टारगेट कर ध्वस्त किए एयर डिफेंस

वाशिंगटन
इजरायल और हमास की जंग क्षेत्रीय लड़ाई में तब्दील होने जा रही है. हमास के समर्थक हूतियों पर पिछले दो दिनों से अमेरिका एयर स्ट्राइक कर रहा है. उसने ब्रिटेन के साथ मिलकर दर्जनों बमबारी कर हूती के कई ठिकानों को तबाह कर दिया. शुक्रवार के हमले में हूती के रडार सिस्टम को निशाना बनाया गया, जिसके जरिए वे लाल सागर में मिसाइलें दागते हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का रुख स्पष्ट है और साफ कर चुके हैं कि वह 'लाल सागर में शिपिंग रूट की सुरक्षा' चाहते हैं.

ताजा हमलों को अकेले अमेरिकी सेना ने अंजाम दिया है. इस संबंध में ज्यादा जानकारी दिए बगैर ही अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि यमन में हूती के रडार सिस्टम को निशाना बनाया गया है. इसी के जरिए वे लाल सागर में लगातार मिसाइलें दाग रहे थे. इसके जवाब में शुक्रवार को अमेरिकी सेना ने यमन में हूतियों के 30 ठिकानों को निशाना बनाया. राजधानी सना में अल-दैलामी एयरबेस को भी निशाना बनाया गया है.

यूएस-यूके के हमलों के जवाब में हूती ने दागीं मिसाइलें

यूएस जॉइंट स्टाफ के डायरेक्टर लेफ्टिनंट जनरल दुगला सिम्स न बताया कि गुरुवार के एयर स्ट्राइक के जवाब में हूतियों ने एंटी-शिप बैलिस्टिक मिसाइल दागे थे. हालांकि, अमेरिकी शिप पर किए गए ये हमले नाकाम रहे. इससे पहले अमेरिकी और ब्रिटिश वायु सेना ने जॉइंट ऑपरेशन में यमन की राजधानी सना और चार अन्य शहरों में 73 हूती ठिकानों को निशाना बनाया था. इस हमले में हूती के पांच लड़ाके मारे गए और अन्य छह घायल हो गए.

क्षेत्रीय लड़ाई में तब्दील हो रहा इजरायल-हमास युद्ध!

अक्टूबर 2023 में इजरायल-हमास युद्ध शुरू होने के बाद से ही इसके क्षेत्रीय लड़ाई में तब्दील होने की आशंका बनी हुई है. मसलन, ईरान समर्थित हथियारबंद समूह लगातार इजरायल-अमेरिका को 'सबक सिखाने' की धमकियां दे रहे हैं. लेबनान से हिजबुल्ला के हमले और यमन से हूतियों के मिसाइल अटैक से खतरा और बढ़ा. इसी को रोकने के लिए अमेरिका ने यमन में एयर रेड किए. इसके बाद हूतियों ने भी अमेरिका को चेताया है कि वे चुप नहीं बैठेंगे और इसका जवाब देंगे.

 

8 वर्षों में विद्रोहियों के खिलाफ पहला हमला

यमन में हूती विद्रोहियों पर हमले हो रहे हैं. पिछले 8 वर्षों में यमन में हूथियों के खिलाफ हुआ ये अमेरिका का पहला जवाबी हमला है. इसकी वजह से लाल सागर में तनाव बढ़ रहा है और पूरी दुनिया के व्यापारिक मार्ग पर बहुत गंभीर खतरा पैदा हो गया है.. जिस इलाके में अमेरिका और ब्रिटेन हमले कर रहे हैं.. वह भारत का भी प्रमुख समुद्री मार्ग है. यहीं से हमारे देश का ज्यादातर व्यापार होता है.. खाड़ी देशों से ईंधन लेकर जहाज भारत आते हैं और फिर अपना तैयार माल लेकर वहां जाते हैं. भारत ने अपने समुद्री रास्ते यानी लाइफलाइन की सुरक्षा के लिए नौसेना को तैनात कर दिया है.

बीच समंदर..भारतीय नौसेना के 12 'धुरंधर'

हूती विद्रोहियों पर हवाई हमले के बीच भारतीय नौसेना ने समंदर में बड़ी तैनाती की है. सागर में पहले समुद्री लुटेरों का खतरा था और अब हूती संकट शुरु हो गया है. इनसे निबटने के लिए भारतीय नौसेना के युद्धपोत, निगरानी विमान और ड्रोन, सब अरब सागर के आसमान में मंडरा रहे हैं. अरब सागर में तैनात भारतीय नौसेना के जंगी जहाज़ों की तादाद अब 12 से ज्यादा हो गई है. इनमें 5 सबसे बड़े जंगी जहाज़ डिस्ट्रॉयर हैं.

भारत ने आजतक इतने युद्धपोत अरब सागर में कभी तैनात नहीं किए थे.. पहली बार भारत के 12 बड़े युद्धपोत अरब सागर में निगरानी कर रहे हैं. भारतीय नौसेना यहां अमेरिका और ब्रिटेन के गठबंधन का हिस्सा नहीं है बल्कि भारत इस इलाके से गुजरनेवाले जहाजों को अपने दम पर सुरक्षा की गारंटी दे रहा है. 

भारतीय नौसेना ने दिसंबर से ही अरब सागर में अपनी मौजूदगी बढ़ानी शुरू कर दी थी. 5 जनवरी को व्यापारिक जहाज़ लीला नॉरफॉक को समुद्री डाकुओं से छुड़ाने के लिए डिस्ट्रायर INS चेन्नई को भेजा गया था, जिसे हूती संकट गहराने के बाद ही अरब सागर में तैनात किया गया था. 

ब्रह्मोस समेत आधुनिक मिसाइलों के साथ तैनात

INS चेन्नई के अलावा इसी क्षमता के INS कोलकाता, INS कोच्चि, INS मारमुगाओ और INS विशाखापट्टनम को भी अरब सागर में तैनात कर दिया गया है. ये पांचों स्वदेशी जंगी जहाज़ है, जिनमें किसी हवाई हमले से निबटने के लिए 70 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तक मार करने वाली बराक मिसाइलें तैनात है..साथ ही 450 किलोमीटर तक ज़मीन पर या बड़े जंगी जहाज़ पर हमला करने वाली स्वदेशी ब्रह्मोस मिसाइलें भी तैनात हैं. 

इन युद्धपोतों पर एक मुख्य तोप के अलावा 4 छोटी तोपें लगी हैं जिनसे किसी भी नाव को पूरी तरह तबाह किया जा सकता है. डिस्ट्रॉयर्स के अलावा गश्त करने वाले जंगी जहाज़, मिसाइलों से हमला करने वाली मिसाइल बोट्स और ताक़तवर फ्रिगेट्स भी तैनात किए गए हैं. निगरानी के लिए टोही विमान P8(I) और प्रीडेटर ड्रोन तैनात किए गए हैं जो पूरे अरब सागर पर दिन-रात मंडरा रहे हैं और अपने कंट्रोल रूम पर LIVE तस्वीरें और वीडियोज भेज रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक अगर हालात और बिगड़े तो नौसेना दूसरे जंगी जहाज़ों को भी अरब सागर भेजेगी.

दुनिया में बढ़ी तेल की कीमतें

अरब सागर दुनिया के सबसे व्यस्त व्यापारिक मार्गों में से एक है. यहीं से लाल सागर के ज़रिए स्वेज़ नहर से होकर एशिया को यूरोप से जोड़ने वाला समुद्री मार्ग जाता है. भारत स्वेज नहर के रास्ते यूरोप को खाने-पीने का सामान, कपड़े और इलेक्ट्रॉनिक्स का सामान निर्यात करता है. हूती विद्रोहियों पर हमले के बाद अब तेल की कीमतें भी बढ़ गई हैं.  ब्रेंट क्रूड का भाव 2.1 प्रतिशत बढ़कर 79 डॉलर प्रति बैरल से अधिक हो गया है.

ब्रिटिश सरकार का अनुमान है कि मिडल ईस्ट में समस्याओं के कारण कच्चे तेल की क़ीमत में 10 डॉलर प्रति बैरल और प्राकृतिक गैस की क़ीमतों में 25 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है. 

भारत के लिए सबसे महत्वपूर्ण कच्चा तेल इसी रास्ते से आता है और अगर हूती संकट की वजह से इसे नए रास्ते से लाना पड़ा तो इसकी क़ीमत बहुत बढ़ जाएगी. रूस ने 2021 में कच्चे तेल पर दी जाने वाली छूट को काफ़ी हद तक कम कर दिया है. ऐसे में अगर दूसरे देशों से आने वाला कच्चा तेल भी मंहगा हो गया तो देश में डीज़ल और पेट्रोल की क़ीमतें बढ़ेंगी जिसका व्यापक असर होगा. 

भारत में भी बढ़ रही है टेंशन

भारत की चिंता इस बात को लेकर है कि अगर हूती संकट जल्द नहीं थमा और व्यापारिक जहाज़ों पर हमले ना रुके तो भारत आ रहे जहाजों को अफ्रीका का लंबा रास्ता इस्तेमाल करना होगा..जिससे समय तो ज्यादा लगेगा ही माल की क़ीमत भी बहुत बढ़ जाएगी.

अरब सागर में नौसेना तैनात है तो बंगाल की खाड़ी में भारत और जापान के कोस्टगार्ड मिलकर ज्वाइंट ट्रेनिंग एक्सरसाइज कर रहे हैं. चेन्नई समुद्र तट के पास ये अभ्यास 13 जनवरी तक चलेगा यानी पश्चिमी समुद्री सीमा से लेकर पूर्वी सीमा तक समंदर में तैयारी चल रही है. 

 

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