राष्ट्रीय

टूट सकते हैं, मगर झुकेंगे नहीं! पीएम मोदी की डायरी में अटल जी की अमर पंक्तियाँ

नई दिल्ली 
'टूट सकते हैं मगर हम झुक नहीं सकते…' ये पंक्तियां सिर्फ एक कविता नहीं हैं, बल्कि एक सोच, एक संकल्प और एक जीवन-दर्शन हैं। आज अटल बिहारी वाजपेयी की 101वीं जयंती पर ये शब्द फिर से चर्चा में हैं, लेकिन इस बार वजह कुछ खास है। वजह है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दशकों पुरानी निजी डायरी का वह हस्तलिखित पन्ना, जिसमें अटल की यह कविता लिखी है। यह पन्ना केवल यादों का हिस्सा नहीं है, बल्कि इस बात का सबूत है कि कैसे विचार एक व्यक्ति से निकलकर पीढ़ियों तक देश की दिशा तय करते हैं। उस दौर की कल्पना कीजिए, जब नरेंद्र मोदी एक युवा कार्यकर्ता थे। न पद था, न सत्ता, बस संगठन, संघर्ष और सीखने की ललक। ऐसे समय में अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेता सिर्फ मंच से भाषण नहीं देते थे, वे अपने शब्दों से रास्ता दिखाते थे। अटल बिहारी की कविता, जिसमें सत्ता से सत्य के संघर्ष की बात है और अन्याय के सामने न झुकने का साहस है, उसी युवा मन में उतर गई। नरेंद्र मोदी ने उन शब्दों को सिर्फ पढ़ा नहीं, उन्हें अपनी साधना बना लिया।
आमतौर पर राजनीति को सत्ता का खेल कहा जाता है, लेकिन यह प्रसंग बताता है कि राजनीति असल में विचारों की यात्रा है। अटल बिहारी को 'अजातशत्रु' कहा गया। वे ऐसे नेता थे जिनके विरोधी भी सम्मान करते थे। उनकी राजनीति में संवाद था, कविता थी और लोकतंत्र के प्रति गहरा विश्वास था। वही विश्वास पीएम नरेंद्र मोदी की सोच में भी दिखाई देता है, जहां संघर्ष को अवसर और चुनौती को संकल्प में बदला गया।
डायरी का वह पन्ना इस बात का प्रतीक है कि गुरु-शिष्य की परंपरा आज भी जीवित है। अटल बिहारी के लिए कविता अभिव्यक्ति थी और पीएम मोदी के लिए वही कविता ऊर्जा का स्रोत बनी। यह दिखाता है कि नेतृत्व अचानक पैदा नहीं होता, वह वर्षों की साधना, अनुशासन और आदर्शों से गढ़ा जाता है। एक युवा कार्यकर्ता का उन शब्दों से जुड़ना और वर्षों बाद देश का नेतृत्व करना, यह अपने आप में एक प्रेरक यात्रा की कहानी को दर्शाता है।
पीएम मोदी की डायरी में लिखे छंद की फोटो शेयर करते हुए, इसमें कहा गया है, "अजातशत्रु अटल बिहारी वाजपेयी जी के साहस, दृढ़ विश्वास और संकल्प के शब्द युवा नरेंद्र मोदी की डायरी में जगह पाए। नरेंद्र मोदी की पर्सनल डायरी का यह हाथ से लिखा हुआ पन्ना, जो दशकों पहले लिखा गया था, एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक आदर्शों के हस्तांतरण को दर्शाता है।" छंद की पहली कुछ पंक्तियां इस प्रकार हैं, "हम टूट सकते हैं, लेकिन झुक नहीं सकते! "सत्ता के खिलाफ सच की लड़ाई, न्याय अत्याचार से लड़ता है, अंधेरे ने चुनौती दी है, आखिरी किरण ही रोशनी है।"

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button