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Surya grahan kab hai: 14 अक्टूबर को लगेगा साल का अंतिम सूर्य ग्रहण, बरतें ये सावधानियां

कुल्लू: साल 2023 का अंतिम सूर्य ग्रहण अक्टूबर माह में लगने जा रहा है. दरअसल, अक्टूबर माह में जो सूर्य ग्रहण लगेगा उसे कंकण सूर्य ग्रह के नाम से जाना जाएगा. यह सूर्य ग्रहण 14 अक्टूबर को लगेगा और यह 15 अक्टूबर तक रहेगा. ज्योतिष गणना के अनुसार, सूर्य ग्रहण 14 अक्टूबर की रात 8:34 में शुरू होगा और मध्य रात्रि 2:35 तक रहेगा. यह ग्रहण आश्विन मास की अमावस्या तिथि के दिन लगेगा. वहीं, यह सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा ऐसे में इसका सूतक काल भी भारत में मान्य नहीं होगा. लेकिन धार्मिक शास्त्रों के अनुसार ग्रहण काल के दौरान विशेष पूजा या मंत्रो का जाप किया जा सकता है.

खगोल शास्त्र के अनुसार, सूर्य ग्रहण तब होता है जब सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आ जाता है. ऐसे में चंद्रमा सूर्य को ढक लेता है और कुछ देर के लिए सूर्य के रोशनी पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाती है. इसे ही सूर्य ग्रहण कहा जाता है. वहीं, इससे पहले अप्रैल माह में सूर्य ग्रहण लगा था. सूर्य ग्रहण को ज्योतिष और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है और कई विशेष सिद्धियों के लिए भी ग्रहण काल में पूजा अनुष्ठान करना काफी लाभदायक सिद्ध होता है.

भगवान की मूर्तियों को ना करें स्पर्श: आचार्य पुष्पराज का कहना है कि शास्त्रों के अनुसार जब भी सूर्य ग्रहण लगता है तो उसे ठीक 12 घंटे पहले सूतक काल लग जाता है और ग्रहण खत्म होने तक सूतक काल रहता है. ऐसे में 14 अक्टूबर को सुबह के समय 8:34 पर सूतक काल शुरू हो जाएगा. सूतक काल में पूजा पाठ करने के लिए मनाही है और इस दौरान भगवान की मूर्तियों को स्पर्श भी नहीं करना चाहिए. सूतक काल के दौरान भगवान की मूर्तियों के आगे पर्दा कर देना चाहिए और सूतक काल के समय खाने पीने पर भी मनाही है.

ना करें कोई भी शुभ कार्य: आचार्य पुष्पराज का कहना है कि शास्त्रों में लिखा गया है कि अगर कोई बीमार है. तो वह खाना खा सकता है और अगर कोई दवा का सेवन कर रहा है तो उसे भी किसी प्रकार की मनाहीं है. इसके अलावा सूर्य ग्रहण के समय मांगलिक कार्यों के लिए भी मनाही की गई है. क्योंकि इस समय नकारात्मक ऊर्जा काफी सक्रिय रहती है. सूर्य ग्रहण के दौरान ना तो व्यक्ति को सोना चाहिए और ना ही कोई शुभ कार्य करना चाहिए. इस दौरान उन्हें भगवान सूर्य के मंत्र या फिर अपने-अपने इष्ट देव के मित्रों का अधिक से अधिक जाप करना चाहिए.

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