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जब हम अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखते हैं, तो हम मानसिक शांति का अनुभव करते हैं
सोनीपत ( 30-9) नेपाल केसरी, राष्ट्र संत, मानव मिलन के संस्थापक डॉ श्री मणिभद्र मुनि जी महाराज ने कहा कि संयम का अर्थ है आत्म-नियंत्रण और अपनी इच्छाओं और भावनाओं पर काबू पाना। यह एक ऐसा गुण है जो न केवल व्यक्तिगत जीवन में बल्कि समाज में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब हम संयमित रहते हैं, तो हम अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जा सकते हैं। इसके विपरीत, अगर हम अनियंत्रित रहते हैं, तो दुख और परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
डॉ श्री मणिभद्र मुनि जी महाराज गुड मंडी स्थित श्री एसएस जैन सभा जैन स्थानक में आयोजित चातुर्मास के दौरान उपस्थित भक्तजनों को संबोधित कर रहे थे। डॉ श्री मणिभद्र मुनि जी महाराज ने कहा कि संयम हमें सोचने और समझने की शक्ति देता है। यह हमें अपने कार्यों के परिणामों पर विचार करने की अनुमति देता है। जब हम संयमित होते हैं, तो हम अपने निर्णयों में अधिक सतर्कता बरतते हैं। संयम का यह गुण हमें आत्म-विश्वास और आत्म-सम्मान के साथ आगे बढ़ने में मदद करता है।
संयमित जीवन जीने वाले व्यक्ति अधिक संतुष्ट और खुश रहते हैं। जब हम अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखते हैं, तो हम मानसिक शांति का अनुभव करते हैं। संयमित रहने से हम उन कार्यों में संलग्न रहते हैं जो हमारे लिए लाभकारी होते हैं। इससे न केवल हमारा व्यक्तिगत विकास होता है, बल्कि हम अपने समाज में भी सकारात्मक योगदान कर सकते हैं।
उन्होने कहा कि संयम हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण तत्व है जो हमें सुख और शांति की ओर ले जाता है। संयमित जीवन जीने से हम अच्छे कार्य कर सकते हैं, जो हमें औरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनाता है। इसके विपरीत, अनियंत्रित जीवन दुख और परेशानियों का कारण बनता है। इसलिए, संयम का पालन करना न केवल हमारे लिए बल्कि समाज के लिए भी आवश्यक है। संयमित रहकर ही हम अपने जीवन को स्वर्ग के समान बना सकते हैं।
अंत में, हमें यह समझना चाहिए कि संयम केवल एक गुण नहीं है, बल्कि यह एक जीवन का तरीका है जो हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने और एक खुशहाल जीवन जीने में मदद करता है।
गोरतलब है कि जैन स्थानक में भक्तामर जाप का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें आज के भाग्यशाली परिवार महावीर प्रसाद जैन एवं कुसुम जैन हैं।